महाभारत के 'शिखंडी' की कहानी है दिलचस्प, जानें क्या है पूर्व जन्म की कथा

शिखंडी की कहानी काफी दिलचस्प है. उसका जन्म तो एक कन्या के रूप में हुआ था, लेकिन वह पुरुष भी बन जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं आखिर क्या है शिखंडी की पूरी कहानी...

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
पुरुषत्व पाकर शिखंडी खुश हो गया और नगर लौट आया.

Mahabharat : महाभारत की कथा में कई रोचक और रहस्यमयी पात्रों के बारें में आप जानते होंगे, लेकिन बहुत कम लोगों को शिखंडी के बारें में पता होगा. कथा के अनुसार, शिखंडी ही भीष्म पितामह की मृत्यु का कारण बना था. शिखंडी की कहानी काफी दिलचस्प है. उसका जन्म तो एक कन्या के रूप में हुआ था, लेकिन वो पुरुष भी बन जाता है. उसका विवाह भी एक कन्या से ही हुआ था. ऐसे में आइए जानते हैं आखिर क्या है महाभारत में शिखंडी का रोल.

Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जयंती पर बजरंगबली की पूजा के साथ इस तरह करें शनि देव को भी प्रसन्न

शिखंडी कौन था

पांचाल के राजा द्रुपद के यहां शिखंडी का जन्म हुआ था. वो एक कन्या थी. इसी समय आकाशवाणी हुई और फिर राजा ने उस कन्या का पालन-पोषण एक बालक की तरह किया. उसका विवाह भी एक कन्या से ही करवाया गया, लेकिन जब पत्नी को इसकी सच्चाई पता चला तो वह छोड़कर चली गई. शिखंडी के ससुर राजा हिरण्यवर्मा ने तो सच्चाई जानकर उसे मारने तक की धमकी दे डाली. पत्नी के जाने और ससुराल की धमकी के बाद शिखंडी आत्महत्या करने चला गया लेकिन तभी  स्थूणाकर्ण नाम का एक यक्ष प्रकट हो गया और उसे अपना पुरुषत्व उधार में दे दिया. हालांकि, इसके साथ ही यक्षराज को लगा कि जब तक शिखंडी जीवित रहेगा तब तक उसका पुरुषत्व वापस नहीं मिलेगा, इसलिए उसे एक श्रॉप भी दिया. 

भीष्म पितामह ने सुनाई कहानी

पुरुषत्व पाकर शिखंडी खुश हो गया और नगर लौट आया. शिखंडी को पुरुष के रूप में देखकर राजा द्रुपद और उसके ससुर बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हुए. जब महाभारत के युद्ध में भीष्म पितामह सेनापति बनाए गए तो उन्होंने शिखंडी को छोड़ सबसे युद्ध करने को कहा. जब दुर्योधन ने पितामह से इसका कारण पूछा तो उन्होंने शिखंडी के पूर्व जन्म की कहानी बताई.

Advertisement
शिखंडी की कथा

शिखंडी पूर्व जन्म में अंबा नाम की राजकुमारी थी. भीष्म ने अपनी भाई विचित्रवीर्य की शादी अंबा से करने के लिए उसका अपहरण कर लिया था. अंबा के विरोध करने पर भीष्म ने उसे छोड़ दिया, लेकिन अंबा के मन में उससे बदला लेने की भावना आ गई. उसने भीष्म के गुरु परशुराम की मदद ली. हालांकि, भीष्म गुरु परशुराम से नहीं हारे, जिसके बाद अंबा ने भगवान शिव की तपस्या की. उन्होंने अंबा को वरदान दिया कि भीष्म से बदला इस जन्म में संभव नहीं लेकिन अगले जन्म में वो भीष्म की मृत्यु का कारण बनेगी. अगले जन्म में यही अंबा शिखंडी के रूप में जन्मी.

Advertisement
शिखंडी ने भीष्म से लिया बदला

भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान था. युद्ध के 10वें दिन जब भीष्म पितामह हाहाकार मचा रहे थे तब भगवान कृष्ण अर्जुन के साथ शिखंडी लेकर भीष्म के सामने पहुंच गए. शिखंडी को देखते ही भीष्म ने अपने शस्त्र नीचे रख दिया. उन्होंने कहा कि वे किसी स्त्री पर वार नहीं कर सकते हैं. तब कृष्ण के कहने पर शिखंडी ने भीष्म पर वार कर दिया. उसके बाणों से भीष्म के शरीर को छलनी कर दिया. कई महीनों तक भीष्म बाणों की शैय्या पर लेटे रहें फिर इच्छामृत्यु के अनुसार अपने शरीर का त्याग किया.

Advertisement
शिखंडी कब तक जीवित रहा

महाभारत युद्ध की समाप्ति के पश्चात अश्वत्थामा ने बदला लेने के लिए पांडवों से शिविर पर आक्रमण कर दिया. शिखंडी उसी शिविर में सोया था. उसी समय अश्वत्थामा ने वार कर उसका वध कर दिया. इस तरह शिखंडी मृत्यु को प्राप्त हुआ.

Advertisement

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

गर्मियों में भी फटने लगी हैं एड़ियां, तो जानिए इसका कारण और घरेलू उपचार

Featured Video Of The Day
PM Modi Guyana Visit : गुयाना की संसद में भाषण, PM Modi ने ऐसे बनाया इतिहास | NDTV India
Topics mentioned in this article