Hariyali Teej Vrat Katha: हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल सावन (Sawan) माह के शुक्ल पक्ष तृतीया हरियाली तीज (Hariyali Teej) के तौर पर मनाई जाती है. इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा और व्रत करती हैं. इस साल हरियाली तीज का व्रत 7 अगस्त को मनाया जा रहा है. इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके मेहंदी लगाती हैं और भगवान शिव की पूजा करती हैं. कई जगहों पर हरियाली तीज पर कुंवारी कन्याएं भी मनचाहे वर के लिए भगवान शिव के निमित्त व्रत करती हैं.
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कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की सच्चे मन से पूजा की जाए तो वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. हरियाली तीज की पूजा और व्रत के दौरान भगवान शिव की कथा (Hariyali Teej vrat katha) भी सुनी जाती है. मान्यता है कि इस कथा को सुने बिना हरियाली तीज का व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है. चलिए यहां जानते हैं कि हरियाली तीज का व्रत क्या है.
हरियाली तीज पर सुनें ये व्रत कथा : hariyali Teej vrat katha
एक बार भगवान शिव ने मां पार्वती को उनके पिछले जन्म की याद दिलाते हुए बताया कि किस तरह पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था. उन्होंने अन्न जल का त्याग कर दिया था और दुरूह तपस्या में रही थी. इसी प्रसंग को सुनाते हुए भगवान शिव ने कहा कि मां पार्वती ने राजा पर्वतराज हिमालय के घर में जन्म लिया था. वो भगवान शिव को पति रूप में पाना चाहती थी. एक बार नारद जी पार्वती के पिता के घर पधारे. उन्होंने पार्वती के पिता से कहा कि मुझे यहां भगवान विष्णु ने भेजा है. भगवान विष्णु आपकी तेजस्वी और रूपवती कन्या पार्वती से विवाह करना चाहते हैं. राजा हिमालय प्रस्ताव सुनकर बहुत प्रसन्न हो गए. उन्होंने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और ये खबर अपनी बेटी पार्वती को भी सुनाई.
शिव को पति रूप में पाने के लिए पार्वती ने किया कठोर तप : maa parvati does tap for lord shiva
पिता के पास आया भगवान विष्णु का शादी का प्रस्ताव सुनकर पार्वती दुखी हो गई क्योंकि वो भगवान शिव को वर रूप में पाना चाहती थी. उन्होंने ये दुख अपनी सखी से साझा किया. सखी ने पार्वती को भगवान शिव के लिए कठोर तप और व्रत की सलाह दी. इस सलाह को मानकर पार्वती कंदराओं में चली गई और वहां रेत का शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा और कठोर तप करने लगी. पार्वती ने अन्न जल का त्याग कर दिया और सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करने लगी. सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन भगवान शिव ने पार्वती की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए. दर्शन देने के बाद भगवान शिव ने पार्वती की मनोकामना पूरी करते हुए उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया. इसके बाद पार्वती ने पिता हिमालय राज से कहा कि मैं आपके साथ महल में तभी चलूंगी जब आप शिव को मेरे पति के रूप में स्वीकार करेंगे. इसके बाद दोनों का विवाह हुआ. कहा जाता है कि सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी हरियाली तीज के दिन ही भगवान शिव ने मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था और इसलिए पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए महिलाएं इस दिन व्रत और पूजा करती हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)