हिंदू धर्म में किसी भी कार्य की शुरुआत से पहले भगवान गौरी गणेश का पूजन किया जाता है. अधिकांश लोग किसी भी मांगलिक कार्य से पहले सर्वप्रथम बुद्धि के दाता भगवान श्रीगणेश का विधि-विधान से पूजन करते हैं और पूजा स्थल पर श्रीगणेशाय नम: लिखते हैं. इसके पीछे की मान्यता है कि ऐसा करने से किसी भी पूजा, आराधना, अनुष्ठान व कार्य में किसी भी प्रकार की विघ्न-बाधा नहीं आती, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव और माता पार्वती के लाडले व ऋद्धि-सिद्धि के स्वामी कहे जाने वाले विघ्नहर्ता गणपति महाराज कैसे बने प्रथम पूज्य. पढ़िए इसके पीछे की पौराणिक कथा.
प्रचलित कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय समस्त देवताओं में सर्वप्रथम पूजे जाने को लेकर क विवाद शुरू हो गया. इस बीच सभी देवता खुद को सर्वश्रेष्ठ बताने लगे, इस विवाद की स्थिति को देख नारद जी ने सभी को भगवान शिव जी से इस विवाद को हल करने और इसका उत्तर जानने की सलाह दी. नारद जी की बात को सुनकर सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे. उन्होंने शिव जी इस विवाद को हल करने की प्रार्थना की. देवताओं की प्रार्थना सुन भगवान शिव ने एक योजना बनाई. भगवान शिव ने एक प्रतियोगिता आयोजित की, जिसमें सभी देवताओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया. प्रतियोगिता के मुताबिक, सभी देवगणों को अपने वाहन पर बैठकर पूरे ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाना था. इस प्रतियोगिता में जो भी सर्वप्रथम ब्रह्माण्ड की परिक्रमा लगाकर भगवान शिव के पास पहुंचेगा वहीं सर्वप्रथम पूजनीय माना जाएगा.
सभी देवगण तत्काल अपने वाहनों पर सवार हुए और ब्रह्माण्ड की परिक्रमा करने निकल पड़े. इस प्रतियोगिता में भगवान श्री गणेश ने भी भाग लिया था, लेकिन वे ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने नहीं निकले, बल्कि उन्होंने अपने माता-पिता भगवान शिव और माता पार्वती की सात परिक्रमा लगाई और उनके सम्मुख हाथ जोड़कर स्मरण किया. गौरी गणेश के ऐसा करने से भगवान शिव उनसे प्रसन्न हो गए और सभी देवताओं के आने के बाद शिव जी ने गणेश जी को प्रतियोगिता में विजयी घोषित कर दिया. इससे अचंभित होकर सभी देवताओं ने भगवान शिव से ऐसा करने के पीछे की वजह पूछी, जिस पर भगवान शिव ने कहा, पूरे ब्रह्माण्ड व समस्त लोक में सर्वोच्च स्थान माता-पिता को दिया गया है, जो देवगणों व सृष्टि में सबसे उच्च माने गए हैं. शिव जी की इस बात को सुनकर सभी देवगण सहमत हो गए, जिसके बाद से भगवान श्री गणेश को सर्वप्रथम पूज्यनीय माना जाने लगा. तब से आज तक प्रत्येक शुभ कार्य व उत्सव से पूर्व गणेश वंदन को शुभकारी माना जाता है. मान्यता है कि भगवान गणेश जी का पूजन सभी कष्टों को दूर कर खुशहाली लाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)