स्कंद षष्टी के दिन होती है भगवान कार्तिकेय की पूजा, जानें पूजा विधि

शास्त्रों के अनुसार, षष्ठी तिथि को कार्तिकेय भगवान जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन भगवान कार्तिकेय का  विधि-विधान से पूजन और व्रत करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. यह व्रत संतान षष्ठी नाम से भी जाना जाता है. 

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
आज भगवान कार्तिकेय के लिए रखा जाएगा व्रत, जानिए पूजा तिथि
नई दिल्ली:

हिन्दू धर्म के अनुसार, स्कन्द षष्ठी (Skand Sashti) दक्षिणी भारत (sounth india) में मनाये जाने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है. शास्त्रों के अनुसार, षष्ठी तिथि को कार्तिकेय भगवान (Lord Kartikeya) का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय की उपासना की जाती है. भगवान स्कंद (lord skanda) को मरुगन (Marugan) और कार्तिकेय (Kartikeya) के नाम से भी जाना जाता हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान कार्तिकेय (Lord Kartikeya) का  विधि-विधान से पूजन और व्रत करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. यह व्रत संतान षष्ठी नाम से भी जाना जाता है. स्कंद षष्ठी को कंद षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है.

स्कंद षष्ठी का महत्व | importance of skand sashti

बताया जाता है कि इस दिन कार्तिकेय भगवान (Lord Kartikeya) ने दैत्य ताड़कासुर का वध किया था. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र स्कंद को समर्पित होने के कारण स्कंद षष्ठी के नाम से जाना जाता है. शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि स्कन्द षष्ठी का व्रत करने से काम, क्रोध, मद, मोह, अहंकार से मुक्ति मिलती है और सन्मार्ग की प्राप्ति होती है.भगवान कार्तिकेय को चम्पा के फूल पसंद होने के कारण ही इस दिन को स्कन्द षष्ठी के अलावा चम्पा षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. 

स्कन्द षष्ठी शुभ मुहूर्त

  • षष्ठी तिथि आरंभ- 7 जनवरी, शुक्रवार,  प्रातः  11:10 मिनट से 
  • षष्ठी तिथि समाप्त- 8 जनवरी, शनिवार प्रातः 10:42 मिनट पर

स्कंद षष्ठी पूजा के लिए मंत्र

  • देव सेनापते स्कन्द कार्तिकेय भवोद्भव, कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥
  • ऊँ ऐं हुं क्षुं क्लीं कुमाराय नमः
  • ऊँ नमः पिनाकिने इहागच्छ इहातिष्ठ 
  • ऊँ नमः पशुपतये

स्कन्द षष्ठी की पूजा विधि

  • स्कन्द षष्ठी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर लें.
  • इसके बाद घर के मंदिर की सफाई करें.
  • अब एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित करें.
  • इनके साथ ही शंकर-पार्वती और गणेश जी की मूर्ति भी स्थापित करें.
  • इसके बाद कार्तिकेय जी के सामने कलश स्थापित करें.
  • पहले गणेश वंदना करें.
  • संभव हो तो अखंड ज्योत जलाएं.
  • सुबह शाम दीपक जरूर जलाएं.
  • इसके उपरांत भगवान कार्तिकेय पर जल अर्पित करें और नए वस्त्र चढ़ाएं.
  • पुष्प या फूलों की माला अर्पित कर फल, मिष्ठान का भोग लगाएं.
  • आरती के बाद मंत्रों का जाप करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
Canada Hindu Temple Attack: Khalistani भीड़ में शामिल कनाडाई पुलिसवाला निलंबित, Video हुआ था Viral