Shardiya Navratri 2025 Kanya Pujan: नवरात्रि के 09 दिनों में की जाने वाली साधना-आराधना में अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व माना गया है क्योंकि इसमें भगवती दुर्गा का प्रतीक मानी जाने वाली कन्याओं की विशेष पूजा की जाती है. कन्या पूजन की इस पंरपरा में नवरात्रि के आखिरी दो दिनों में 09 कन्याओं को बुलाकर उनका पूजन किया जाता है फिर उसके बाद उन्हें हलवा, पूड़ी, चना, आदि का भोग लगाकर खिलाया जाता है, लेकिन कई बार लोगों को एक साथ 09 कन्याएं नहीं मिल पाती हैं, ऐसे में किस विधि से कन्या पूजन करना चाहिए? आइए इस सवाल के जवाब को विस्तार से जानते हैं.
जब लड़कियां न मिले तो कैसे करें कन्या पूजन
यदि किसी कारणवश आपको नवरात्रि की अष्टमी या नवमी तिथि पर कन्या पूजन के लिए 09 लड़कियां एक साथ न मिलें तो आप बिल्कुल भी निराश न हों और जितनी भी कन्याएं आपके घर में आई हों उन्हें आदर के साथ अपने घर के भीतर पैर धोकर बिठाएं. इसके बाद उनका पूजन करने के बाद जब भोग निकालें तो यदि वे एक, दो या तीन की संख्या में हो तो बाकी संख्या में थाली या प्लेट में भोग जरूर निकालें.
यानि कुल 09 कन्याओं और एक लंगूर के लिए प्लेट में भोग प्रसाद लगाएं. इसके बाद जिन थालियों के सामने कन्याएं नहीं हैं, उन थालियों को ही कन्या मानकर तिलक और अक्षत अर्पित करें. इसके बाद बाकी कन्याओं को भोग प्रसाद खाने को कहें और अपने मन में इस भाव को लाएं कि नवदुर्गा का प्रतिनिधित्व करने वाली कन्याएं आपके द्वारा दिये गये भोग को ग्रहण कर रही हैं.
Navratri 2025 Kanya Pujan: कन्या पूजन में 9 लड़कियों के साथ एक लड़के की पूजा क्यों होती है?
इसके बाद जब एक दो या तीन जो भी कन्या भोजन कर लें तो उन्हें आदर के साथ उपहार, धन आदि देकर विदा करें और बाकी थालियों का प्रसाद इकट्ठा करके रखें और जब बाद में वे कन्याएं आएं तो उन्हें वह प्रसाद दक्षिणा और उपहार के साथ दें. यदि बाद में भी आपको कन्याएं नहीं मिलती हैं तो आप बाहर किसी मंदिर या कालोनी आदि में जाकर जो कोई भी कन्या मिले उसे वह भोग प्रसाद, धन और उपहार दे दें.
यदि बाहर जाने पर भी आपको कोई कन्या न मिले तो उस भोग को गोमाता या फिर किसी जरूरतमंद व्यक्ति को खाने के लिए दें. कन्या को दिये जाने वाला उपहार और धन किसी देवी मंदिर में पुजारी को यह सोचकर दान करें दें कि आपका दिया उपहार और दक्षिणा उसके जरिये भगवती दुर्गा तक पहुंच रही है.
जब कन्या के साथ बालक न मिले तो क्या करें
हिंदू मान्यता के अनुसार कन्याओं के साथ बटुक भैरव और हनुमान के रूप में एक या दो बालक की पूजा और भोग प्रसाद खिलाने की परंपरा है. यदि नवरात्रि की अष्टमी-नवमी तिथि पर 09 कन्याओं के साथ बालक न मिले तो आप उसके लिए अलग से थाली में भोग निकाल दें और कन्या पूजन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद उस भोग को बाद में बाहर किसी बालक को ले जाकर खाने के लिए दे सकते हैं. यदि बाद में भी कोई बालक न मिले तो आप उसे किसी कुत्ते या बंदर को खिला सकते हैं क्योंकि इन दोनों को क्रमश: भैरव और हनुमान जी का स्वरूप माना जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)