Kamada Ekadashi 2025 : आज है कामदा एकादशी, बन रहे हैं कई मंगलकारी योग, जानिए यहां

इस बार कामदा एकादशी का व्रत दोगुना फलदायी होगा क्योंकि कई मंगलकारी योग का संयोग बन रहा है. इन योग में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. 

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चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर अश्लेषा और मघा नक्षत्र  भी बन रहा है.

Kamda Ekadashi april 2025 : कल यानी 8 अप्रैल को कामदा एकादशी है. यह पर्व पूर्ण रूप से जगत के पालनहार श्री कृष्ण को समर्पित है. इस दिन भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इस दिन विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं साथ ही, जीवन में आने वाली सभी बाधाएं भी दूर होती हैं. इस बार कामदा एकादशी का व्रत दोगुना फलदायी होगा क्योंकि कई मंगलकारी योग का संयोग बन रहा है. इन योग में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होगी. ऐसे में आइए जानते हैं कामदा एकादशी पर कौन से मंगलकारी योग बन रहे हैं...

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कामदा एकादशी पर कौन से बन रहे हैं शुभ योग - Which auspicious yogas are being formed on Kamada Ekadashi

रवि योग

ज्योतिषियों की मानें कामदा एकादशी पर रवि योग बन रहा है, जो सुबह 6 बजकर 3 मिनट से शुरू हो जाएगा और सुबह 7 बजकर 55 मिनट तक रहेगा. इस शुभ योग में आप लक्ष्मी नारायण की पूजा करेंगे तो आरोग्य का वरदान प्राप्त होगा. इससे आपकी शारीरिक और मानसिक परेशानियां दूर होंगी. 

सर्वार्थ सिद्धि योग

कामदा एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. यह योग भी सुबह 6 बजकर 3 मिनट से शुरू हो चुका है, जो सुबह 7 बजकर 55 मिनट तक रहेगा. इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से सारे काम सफल होंगे और शुभ कामों में सिद्धि मिलेगी. 

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नक्षत्र और करण 

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर अश्लेषा और मघा नक्षत्र भी बन रहा है. यह नक्षत्र भी बहुत मंगलकारी माना जाता है. इसके साथ ही वणिज एवं बव करण का भी संयोग बन रहा है. इस योग में भी भगवान श्री कृष्ण और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से सौभाग्य में वृद्धि होगी. 

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विष्णु भगवान आरती

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

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ॐ जय जगदीश हरे।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥

ॐ जय जगदीश हरे।

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा॥

ॐ जय जगदीश हरे।

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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