सावन का पहला कालाष्टमी व्रत आज, जानें महत्व, मंत्र, पूजा मुहूर्त और विधि

मान्यता है यह उपवास करने से जीवन से डर, दोष, रोग और दरिद्रता दूर होती है. ऐसे में आइए जानते हैं सावन मास की कालाष्टमी पूजा विधि, मंत्र, पूजन मुहूर्त और महत्व…

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यह व्रत पूरा होने के बाद आप कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं या कच्चा दूध पिलाइए.

Kalaashtami vrat 2025 : मासिक कालाष्टमी हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, काल भैरव भगवान शिव के रौद्र रूप हैं, जो कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को प्रकट हुए थे. यही कारण है हर माह की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है. मान्यता है यह उपवास करने से जीवन से डर, दोष, रोग और दरिद्रता दूर होती है. ऐसे में आइए जानते हैं सावन मास पहली कालाष्टमी की पूजा विधि, मंत्र, पूजन मुहूर्त और महत्व…

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कालाष्टमी पूजन मुहूर्त 2025 - Kalashtami Puja Muhurta 2025

  • इस दिन निशा काल 12 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. इस अवधि में आप काल भैरव की पूजा करते हैं तो आपके जीवन से सभी बाधाएं दूर होंगी और जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी.

काल भैरव पूजा विधि 2025 - Kal Bhairav Puja Vidhi 2025

  • सबसे पहले आप कालाष्टमी के दिन आप ब्रह्म मुहूर्त में उठें. फिर स्न्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लीजिए.
  • अब आप एक लकड़ी के पाट पर भगवान शिव और माता पार्वती की तस्वीर को स्थापित कर दीजिए. 
  • इसके बाद काल भैरव की प्रतिमा लगाएं. अब आप उस स्थान पर जल छिड़कर सभी को फूल या फूल माला अर्पित करें.
  • अब आप चौमुखी दीपक जलाइए और गुग्गल जलाएं. फिर हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प लीजिए. 
  • इसके बाद आप देवी पार्वती और भगवान शिव की आरती करें, फिर आप भैरव जी की आरती करिए, शिव चालीसा और भैरव चालीसा पढ़िए. 
  • वहीं, यह व्रत पूरा होने के बाद आप कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं जरूर खिलाएं. इससे काल भैरव प्रसन्न होंगे. इसके अलावा  रात्रि में धूप, काले, तिल, दीपक, उड़द और सरसों के तेल से उनकी विशेष पूजा करिए. 

काल भैरव मंत्र

ओम भयहरणं च भैरव:।
ओम कालभैरवाय नम:।
ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ओम भ्रं कालभैरवाय फट्।
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

कालाष्टमी का महत्व - Importance of Kalashtami

  • सावन कालाष्टमी का व्रत करने से शनि, राहु और केतु के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं. आपको बता दें कि काल भैरव को तांत्रिक देवता माना जाता है. ऐसे में इनकी पूजा करने से भूत-प्रेत बाधा और नकारात्मक घर परिवार से दूर होती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


 

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