Puri Rath yatra 2025 :जगन्नाथ मंदिर की तीसरी सीढ़ी पर भक्त क्यों नहीं रखते हैं पैर?

आपको बता दें कि जगन्नाथ मंदिर 22 सीढ़ियों हैं जिसमें से तीसरी सीढ़ी पर भक्त दर्शन के बाद पैर नहीं रखते हैं. इसके पीछे बड़ी ही रोचक पौराणिक कथा है, जिसके बारे में हम आपको यहां पर बता रहे हैं.

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22 सीढ़ियों में से तीसरी सीढ़ी पर भक्त दर्शन के बाद पैर नहीं रखते हैं.

Jagannath Rath Yatra 2025 : भारत के ओडिशा राज्य के पुरी में हर साल निकलने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा 27 जून यानी आज कुछ में शुरू होने जा रही है, जो 5 जुलाई को 'बहुड़ा' रस्म के साथ समाप्त होगी. यह यात्रा हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को शुरू होती है. इस यात्रा में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु शामिल होने के लिए पहुंचते हैं. हिंदू धर्म में इस यात्रा का विशेष महत्व है. मान्यता है जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होने से सारे पाप धुल जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. 

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इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ के भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा अलग-अलग रथों पर भक्तों को दर्शन देने के लिए निकलते हैं. यह यात्रा पुरी से शुरू होती है और गुंडीचा मंदिर पहुंचती है जहां भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर 9 दिन विश्राम करते हैं. यह रथ यात्रा भक्ति, आस्था और भारतीय संस्कृति का अद्भुत संगम है. 

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इसके अलावा जगन्नाथ मंदिर से जुड़े कई ऐसे रहस्य हैं, जिसे जानने के बाद हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है. इस मंदिर में 22 सीढ़ियां हैं, जिन्हें ‘बैसी पहाचा' कहा जाता है. 22 सीढ़ियों में से तीसरी सीढ़ी पर भक्त दर्शन के बाद पैर नहीं रखते हैं. इसके पीछे बड़ी ही रोचक पौराणिक कथा है, जिसके बारे में हम आपको यहां पर बता रहे हैं.

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जगन्नाथ मंदिर की तीसरी सीढ़ी पर क्यों नहीं रखते हैं पैर

दरअसल, प्राचीन काल में भक्त भगवान जगन्नाथ के दर्शन करके अपने सारे पापों से मुक्ति पा जाते थे. जिसके कारण यमराज बहुत परेशान हो गए और जगन्नाथ जी के पास पहुंचे और कहा कि आपने पाप मुक्ति का मार्ग बहुत आसान कर दिया है, जिसके कारण कोई यमलोक नहीं आ रहा है. यह बात सुनने के बाद जगन्नाथ जी ने कहा तुम मुख्य द्वार की तीसरी सीढ़ी पर अपना स्थान बना लो, जो भी भक्त दर्शन के बाद इस सीढ़ी पर पैर रखेगा उसे यमलोक जाना पड़ेगा. यही कारण है भक्त मंदिर की तीसरी सीढ़ी पर पैर नहीं रखते हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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