Raksha Bandhan History: रक्षा बंधन का त्योहार कैसे शुरू हुआ, यहां जानें 5 कारण

Raksha Bandhan History: रक्षा बंधन का इतिहास बेहद पौराणिक है. रक्षा बंधन का त्योहार कैसे शुरू हुआ, इसके बारे में महाभारत सहित कई पौराणिक ग्रंथों में बताया गया है.

विज्ञापन
Read Time: 26 mins
Raksha Bandhan History: रक्षा बंधन से जुड़ी ये कथाएं बेहद दिलचस्प हैं.

Raksha Bandhan History: भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षा बंधन सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस बार रक्षा बंधन की तिथि को लेकर दुविधा की स्थिति बनी हुई है. रक्षा बंधन की सही तिथि (Raksha Bandhan Exact Date 2022) कुछ पंडितों और विद्वानों का कहना है कि 11 अगस्त को है. वहीं इस संबंध में कुछ ज्योतिर्विदों का मानना है कि रक्षा बंधन 12 अगस्त को मनाया जाएगा, क्योंकि उदय व्यापिनी तिथि के अनुसार, पूर्णिमा 12 तारीख को पड़ रही है. हालांकि इस दिन सुबह 7 बजकर 05 मिनट तक ही पूर्णिमा तिथि है. रक्षा बंधन का त्योहार पौराणिक है. इस पर्व की चर्चा कई पौरिणिक ग्रंथों में की गई है. आइए जानते हैं कि रक्षा बंधन का त्योहार कैसे शुरू हुआ और इससे जुड़ी रोचक कथा क्या है. 

राजा बली की कथा

राजा बली बहुत दानी और भगवान विष्णु के परम भक्त थे. एक बार उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया. उस यज्ञ में भगवान विष्णु, राजा बली की परीक्षा लेने के लिए वामन अवतार में पहुंचे. जिसके बाद उन्होंने राजा बलि के तीन पग भूमि दान स्वरूप देने के लिए कहा. राजा बलि तो दानवीर थे ही, उन्होंने भगवान विष्णु को तीन पग भूमि दान में दे दिया. उसके बाद भगवान विष्णु ने दो पग में ही पूरी पृथ्वी और आकाश नाप लिया. भगवान विष्णु की इस चाल को राजा बलि समझ गए और उनके तीसरे पग को अपने सिर पर रखवा लिया. राजा बलि ने भगवान से प्रार्थना की कि हे प्रभु! अब तो मेरा सबकुछ चला ही गया है, मेरी विनती स्वीकार करें और मेरे साथ पाताल लोक चलें. भगवान विष्णु ने भक्त की विनती स्वीकार कहते हुए पाताल लोग चले गए. दूसरी ओर मां लक्ष्मी परेशान होने लगीं. जिसके बाद उन्होंने एक गरीब महिला का रूप बनाकर राजा बलि के पास पहुंची और राजा बलि को राखी बांधीं. जिसके बाद राजा बलि ने मां लक्ष्मी के कहा कि मेरे पास तो आपको देने के लिए कुछ भी नहीं है. जिस पर मां लक्ष्मी ने कहा कि आपके पास को साक्षात् भगवान विष्णु हैं, मुझे वही चाहिए. इस पर राजा बलि ने भगवान विष्ण को मां लक्ष्मी के साथ जाने दिया. साथ ही जाते वक्त भगवान विष्णु ने बलि को वचन दिया कि वह हर साल 4 महीने पाताल लोक में निवास करेंगे.

Raksha Bandhan 2022 Date: रक्षा बंधन की तारीख 11 या 12 का कंफ्यून अभी कर लें दूर, इस दिन भूल से भी ना बांधें राखी!

Advertisement

महाभारत में राखी से जुड़ी कथा

कथा है कि जब युधिष्ठिर इंद्रप्रस्थ में राजसूय यज्ञ कर रहे थे उस समय सभा में शिशुपाल भी मौजूद था। शिशुपाल ने भगवान श्रीकृष्ण का अपमान किया तो श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका वध कर दिया। लौटते हुए सुदर्शन चक्र से भगवान की छोटी उंगली थोड़ी कट गई और रक्त बहने लगा। यह देख द्रौपदी आगे आईं और उन्होंने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर लपेट दिया। इसी समय श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि वह एक-एक धागे का ऋण चुकाएंगे। इसके बाद जब कौरवों ने द्रौपदी का चीरहरण करने का प्रयास किया तो श्रीकृष्ण ने चीर बढ़ाकर द्रौपदी के चीर की लाज रखी। कहते हैं जिस दिन द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की कलाई में साड़ी का पल्लू बांधा था वह श्रावण पूर्णिमा की दिन था।

Advertisement

युधिष्ठिर से जुड़ी कथा


रक्षा बंधन की एक अन्य कथा युधिष्ठिर से जुड़ी हुई है. कहते हैं कि पांडवों को महाभारत का युद्ध जिताने में रक्षासूत्र का बड़ा योगदान था. महाभारत युद्ध के दौरान युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि हे भगवन! मैं कैसे सभी संकटों से पार पा सकता हूं, मुझे कोई उपाय बताएं. तब श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि वह अपने सभी सैनिकों को रक्षासूत्र बांधें. इससे उनकी विजय सुनिश्चित होगी. तब युधिष्ठिर ने ऐसा ही किया और विजयी हुए. यह घटना भी सावन महीने की पूर्णिमा तिथि पर ही घटित हुई मानी जाती है.

Advertisement

राखी 11 या 12 अगस्त को चाहते हैं बांधना तो जानें दोनों दिन के शुभ मुहूर्त

भविष्य पुराण की कथा

भविष्य पुराण में एक कथा है कि वृत्रासुर से युद्ध में देवराज इंद्र की रक्षा के लिए इंद्राणी शची ने अपने तपोबल से एक रक्षासूत्र तैयार किया. जिसे श्रावण पूर्णिमा के दिन इंद्र की कलाई में बांध दी। इस रक्षासूत्र ने देवराज की रक्षा की और वह युद्ध में विजयी हुए. यह घटना भी सतयुग में हुई थी.

Advertisement

राजा पुरु से जुड़ी कथा

राजा पुरु बहुत वीर और बलशाली राजा थे, उन्होंने युद्ध में सिकंदर को धूल चटा दी थी. इसी दौरान सिकंदर की पत्नी को भारतीय त्योहार रक्षाबंधन के बारे में पता चला. उन्होंने अपने पति सिकंदर की जान बख्शने के लिए राजा पुरु को राखी भेजी. पुरु आश्चर्य में पड़ गए, लेकिन राखी के धागों का सम्मान करते हुए उन्होंने युद्ध के दौरान जब सिकंदर पर वार करने के लिए अपना हाथ उठाया तो राखी देखकर ठिठक गए और बाद में बंदी बना लिए गए.

Raksha Bandhan 2022: राखी बांधते वक्त 3 गांठ लगाना क्यों होता है जरूरी? जानें किन देवताओं से है संबंध


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

मॉनसून स्किन केयर टिप्स बता रही हैं ब्यूटी एक्सपर्ट भारती तनेजा

Featured Video Of The Day
Philippines: उपराष्ट्रपति ने दी राष्ट्रपति को मारने की धमकी | Top 10 International News