Holika Dahan 2025: जानिए भद्रा काल में क्यों नहीं होता है होलिका दहन

इस बार होलिका दहन के दिन भद्रा काल (Holi me Bhadra Kaal) का साया है. ऐसे में आइए जानते हैं कब है होली और होलिका दहन पर पड़ रहे भद्रा के साया का क्या होगा प्रभाव.

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विजय मुहूर्त - दोपहर के दो बजकर 30 मिनट से दोपहर के तीन बजकर 18 मिनट तक

Holika Dahan 2025: फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाई जाने वाली होली हिंदू धर्म का प्रमुख और लोकप्रिय त्योहार है.  होली जहां रंग, उमंग और नई ऊर्जा का त्योहार है वहीं, होली के एक दिन पहले रात के समय होलिका दहन किया जाता है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. मान्यता है कि होलिका की अग्नि से हमारे जीवन और वातावरण की नकारात्मक शक्तियों को पराजित कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है. देश भर में हर चौक-चौराहे पर होलिका दहन किया जाता है. इस बार होलिका दहन के दिन भद्रा काल (Holi me Bhadra Kaal) का साया है. ऐसे में आइए जानते हैं कब है होली और होलिका दहन पर पड़ रहे भद्रा के साया का क्या होगा प्रभाव.

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कब है होलिका दहन 2025 - Date of Holika Dahan-2025

फाल्गुन पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 मार्च 2025 को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर होगी और अगले दिन 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 तक रहेगी. फाल्गुन पूर्णिमा यानी होलिका दहन वाले दिन इस बार साल का पहला चंद्र ग्रहण भी रहेगा. इस वर्ष होलिका दहन 13 मार्च गुरुवार को है. होलिका दहन के लिए प्रदोष व्यापिनी भद्रा रहित पूर्णिमा तिथि सर्वोतम मानी जाती है. हिंदू धर्म में भद्रा लगना अशुभ माना जाता है और उस समय कोई भी शुभ काम नहीं किए जाते हैं.

होलिका दहन के दिन भद्रा की अवधि - Bhadra Time on Holika Dahan-2025

13 मार्च को भद्रा पूंछ शाम 6 बजकर 57 मिनट से रात 8 बजकर 14 मिनट तक रहेगा. इस समय के बाद भद्रा मुख का समय शुरू होगा, जो रात 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. रात 10 बजकर 22 मिनट के बाद  ही होलिका दहन करना शुभ होगा.

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होलिका दहन 2025 मुहूर्त - Holika Dahan 2025 Muhurat

होलिका दहन के लिए 13 मार्च गुरुवार को रात 11 बजकर 26 मिनट से देर रात 12 बजकर 30 मिनट का समय उत्तम है. 13 मार्च को होलिका दहन के लिए करीब एक घंटे का शुभ मुहूर्त रहेगा.

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भद्रा काल में होलिका दहन पर क्यों है मनाही - Why is Holika Dahan prohibited during Bhadra Kal

पुराणों के अनुसार सूर्य की पुत्री और शनि देव की बहन भद्रा क्रोधित स्वभाव की हैं. भद्रा के इस स्वभाव के कारण भद्रा काल में किसी काम की शुरुआत वर्जित मानी गई है. भद्रा काल में होलिका दहन करना अनिष्ट को न्योता देने के समान है. यही वजह है कि होलिका दहन से पहले भद्रा पर जरूर विचार किया जाता है.

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पंचांग में भद्रा का अर्थ - Meaning of Bhadra in the Panchang

हिंदू पंचांग में पांच प्रमुख अंग होते हैं, तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण.  भद्रा काल भी पंचांग से जुड़ा होता है. भद्रा का शाब्दिक का अर्थ समझें, तो इसका अर्थ कल्याण करने वाला होता है, लेकिन नाम से विपरीत भद्रकाल में शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है.

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होलिका दहन के दिन का पंचांग - Holika Dahan Panchang

सूर्योदय - सुबह 6 बजकर 33 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 6 बजकर 28 मिनट पर

चंद्रोदय - शाम 5 बजकर 45 मिनट पर

चंद्रास्त - सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर (14 मार्च)

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 4 बजकर 56 मिनट से 5 बजकर 45 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर के दो बजकर 30 मिनट से दोपहर के तीन बजकर 18 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 6 बजकर 26 मिनट से 6 बजकर 50 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 54 मिनट तक 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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