महिलाओं और लड़कियों को क्यों नहीं छूना चाहिए हनुमान जी के पैर, इसके पीछे की क्या है वजह, जानिए ज्योतिषाचार्य से

हनुमान जी ने भगवान श्री राम के कार्यों को सिद्ध करने में सहयोगी के रूप में अवतार लिया है. लेकिन इनकी पूजा करते समय महिलाओं और लड़कियों को क्यों मूर्ति छूना वर्जित है. आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से यह नियम क्यों है...  

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हनुमान जी स्त्री, पुरुष, बच्चे और सभी की भूत प्रेत आदि से रक्षा करते हैं.

Hanuman ji puja : हनुमान जी को संकट मोचन के नाम से जाना जाता है. यह अपने भक्तों के सारे दुख हर लेते हैं, जो भी इनकी सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है बजरंगबली उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.  श्री हनुमान जी भगवान शिव के 11 वे रुद्र अवतार हैं . हनुमान जी ने भगवान श्री राम के कार्यों को सिद्ध करने में सहयोगी के रूप में अवतार लिया है. लेकिन इनकी पूजा करते समय महिलाओं और लड़कियों को क्यों बजरंगबली की मूर्ति नहीं छूनी चाहिए, आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से...  

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महिलाएं और लड़कियां क्यों नहीं छूती हैं हनुमान जी के पैर

पंडित अरविंद मिश्र कहते हैं कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे. राम जी की अनंत भक्ति और सेवा में लगे रहते हैं. हनुमान जी सभी स्त्रियों को अपनी माता मानते हैं.  इसलिए स्त्रियों को हनुमान जी के पैर नहीं छूने चाहिए और ना ही मूर्ति को स्पर्श करें. क्योंकि हमारे सनातन धर्म में माता अपने पुत्र के पैर नहीं छू सकती. हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं जिसका अर्थ है कि उन्होंने आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करने का व्रत लिया है. 

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हनुमान जी ने माता सीता जी को अपनी माता माना और माता सीता जी ने हनुमान जी को चिरंजीवी होने का वरदान दिया है. रामायण में जब अशोक वाटिका में हनुमान जी माता सीता जी से मिले और उन्होंने कहा कि यदि आप चाहें तो मेरे साथ चलें मैं आपको प्रभु श्री राम जी के पास लेकर चल सकता हूं. लेकिन माता सीता ने यह कहते हुए हनुमान जी के साथ चलने के लिए मना कर दिया कि पुत्र रावण तो मुझे जबरदस्ती उठा कर ले आया था. लेकिन वो मेरी विवशता थी. लेकिन मैं स्वेच्छा से तुम्हें स्पर्श करुं और तुम्हारे साथ चल दूं तो ये मेरे पति व्रत धर्म का अपमान होगा. 

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इसलिए हनुमान जी सीता जी को अपनी माता मानते हैं और उनके सम्मुख झुकते हैं. हनुमानजी खुद तो महिलाओं के सामने झुक सकते हैं. लेकिन उन्हें ये पसंद नहीं है कि महिलाएं उनके सामने झुकें और चरण स्पर्श करें. बल्कि हनुमान जी महिलाओं के आगे झुकते हैं.

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यह एक मान्यता है जो कुछ लोगों में प्रचिलत है, और इसका कारण हनुमान जी को ब्रह्मचारी मानना है. लेकिन हम किसी भी देवता को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा आराधना करते हैं और उनके पैर छूते हैं. लेकिन हनुमान जी महिलाओं द्वारा जल चढ़ाने, वस्त्र अर्पित करने, चोला चढ़ाने और पैर छूने से रूष्ट हो जाते हैं. महिलाएं हनुमान जी की मूर्ति को स्पर्श किए बिना, केवल हाथ जोड़कर प्रणाम कर सकती हैं. 

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महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान हनुमान जी पूजा करना तो दूर, मन्दिर में भी नहीं जाना चाहिए. हनुमान जी स्त्री, पुरुष, बच्चे और सभी की भूत प्रेत आदि से रक्षा करते हैं. इसलिए अपनी रक्षा के लिए महिलाएं मासिक धर्म को छोड़कर हनुमान चालीसा, सुंदरकांड आदि पढ़ सकती हैं. 

महिलाओं को हनुमान जी के मन्दिर में मर्यादा में रहना चाहिए और मर्यादादित कपड़े पहनने चाहिए. 

महिलाओं को लम्बी पूजा व्रत अथवा अनुष्ठान नहीं करना चाहिए. महिलाओं को हनुमान जी को कभी भी स्पर्श नहीं करना चाहिए, वे अप्रसन्न हो सकते हैं, और हम पूजा आराधना उन्हें प्रसन्न करने के लिए करते हैं, तो इसलिए भी महिलाओं को हनुमान के पैर नहीं छूने चाहिए. 

हनुमान जी सप्त चिरंजीवियों में से एक हैं. वे कलयुग के एक मात्र प्रकट रूप देवता हैं, जो भगवान श्री राम जी की पूजा आराधना में संलग्न रहते हैं और जहां भी श्री राम जी कथा होती है, उसमें सूक्ष्म रूप से विद्यमान रहते हैं. 

हमारी भारतीय संस्कृति में सभी देवी देवताओं की पूजा विधि में कुछ विशेष बातें बताई गई हैं और कुछ सावधानियां बरतने का भी निर्देश है. जिससे वे भले ही प्रसन्न न हों लेकिन वे हमेशा कदापि कुपित अथवा नाराज नहीं होने चाहिए.

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