Guggal Dhoop: पूजा-पाठ में से कई तरह की धूप का इस्तेमाल होता है और उन्हीं में से एक है गुग्गल धूप. जिन अन्य धूप का इस्तेमाल होता है उनमें कुष्ठ, शर्करा, इलायची, चंदन, नखनखी, जटामांसी, सदलन और मुशीर आदि शामिल हैं. पूजा की धूप (Puja ki dhoop) काले या भूले रंग का चिपचिपा टुकड़ा होता है जिसे जलाने पर धुआं निकलता है. इसमें से आने वाली सुगंध मन को शांत करने वाली होती है. अक्सर घर, वाहन या फिर काम की जगह पर लोग धूप जलाए नजर आते हैं. अब गुग्गल धूप की बात करें तो पूजा करते समय इस धूप को जलाना बेहद अच्छा माना जाता है और इसके विशेष लाभ भी बताए जाते हैं.
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गुग्गल धूप से मिलने वाले लाभ | Guggal Dhoop Benefits
सुगंध में सर्वश्रेष्ठ
गुग्गल धूप का एक लाभ यह माना जाता है कि इसकी सुगंध बेहद अच्छी होती है. इस धूप में इत्र और औषधि का इस्तेमाल किया जाता है जिस चलते यह इतना महकती है. ज्यादातर गुरुवार के दिन पूजा में इसका इस्तेमाल किया जाता है.
कहते हैं पूजा-पाठ (Puja-Path) करते समय पूजाघर में सुगंध होती है तो मन को शांति मिलती है. इस धूप को मन को आराम देने वाला कहा जाता है. इस चलते इसका इस्तेमाल बेहद अच्छा माना जाता है.
जब व्यक्ति को जरूरत से ज्यादा तनाव रहने लगता है तो उसे अरोमा थैरेपी की सलाह दी जाती है. लोग अलग-अलग तरह की मोमबत्तियां भी जलाते हैं जिससे वे तनाव और नकारात्मकता (Negativity) से दूर होकर सकारात्मक हो सकें. गुग्गल धूप से पूजा करने पर कमरे में फैला इसका धुआं अरोमा थैरेपी की ही तरह काम करता है.
मान्यतानुसार धूप जलाते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखा जाता है जिससे भगवान प्रसन्न हों और पूजा सफल हो जाए.
- रोजाना नहीं तो सप्ताह में एक से दो बार धूप करना अच्छा माना जाता है.
- धूप जलाने के दौरान आरती (Aarti) या मंत्रों का जाप किया जाता है.
- धूप को मंदिर पर बिछे कपड़े या जमीन पर रखने की बजाय धूप के लिए आने वाले पात्र में रखना चाहिए या फिर किसी छोटी प्लेट में रखा जा सकता है.
- धूप जलाने से पहले घर को साफ कर लेना भी आवश्यक है.
- माना जाता है कि सुबह के समय की जाने वाली धूप देवताओं के लिए और शाम की धूप पितरों के लिए होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)