गणेश विसर्जन के दौरान जरूर करें इन नियमों का पालन, जानिए प्रभु को अर्पित नारियल, दूर्वा और सुपारी से जुड़े उपाय

Rules for Ganesh Visarjan छ भगवान गणेश की प्रतिमा के विसर्जन के लिए अनंत चतुर्दशी का दिन सबसे शुभ माना जाता है. गणपति को विदा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है, जिसके बारे में यहां बताया जा रहा.

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Ganesh Visarjan Upay :  भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से गणेश उत्सव (Ganesh Chaturthi) शुरू हो जाता है. भक्त इस दिन अपने घर में विधि-विधान से बप्पा (Lord Ganesh) को स्थापित करते हैं और पूरे दस दिन तक गणेश जी की पूजा अर्चना में लगाते हैं. भगवान गणेश की प्रतिमा के विसर्जन के लिए अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi 2024) का दिन सबसे शुभ माना जाता है. गणपति को विदा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है. भगवान पर चढ़ाए गए दूर्वा, नारियल के विशेष उपाय से घर में सुख और समृद्धि आती है. ऐसे में आइए जानते हैं दूर्वा, नारियल से जुड़े विशेष उपाय और गणेश विसर्जन के नियम.

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कब है अनंत चतुर्दशी - Date of Anant Chaturdashi

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 16 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 10 मिनट पर शुरू होकर 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट समाप्त होगी. वहीं, अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर मंगलवार को मनाई जाएगी.

दूर्वा, नारियल से जुड़े विशेष उपाय

गणपति स्थापना के दौरान स्थापित कलश के पानी को पूरे घर में छिड़कें और शेष जल नीम, पीपल या बरगद के पेड़ की जड़ में डाल दें. जल को घर में लगे गमलों में भी डाल सकते हैं. चढ़ाए गए दूर्वा को गणेश जी के साथ विसर्जित कर दें. कुछ दूर्वा बचाकर घर की तिजोरी में रखें, इससे आर्थिक स्थिति बेहतर होती है. कलश पर स्थापित नारियल को विसर्जन के दौरान प्रसाद के रूप में बांट दें. चढ़ाए गए सुपारी में से पांच सुपारी को अपने तिजोरी में रखें और शेष को विसर्जित कर दें.

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गणेश विसर्जन के नियम - Rules for Ganesh Visarjan

गणपति विसर्जन के लिए प्रतिमा को ले जाते समय भगवान का मुख घर की ओर रखें. मान्यता है कि घर की तरफ पीठ रखने से गणेश जी रूष्ट हो जाते हैं. विसर्जन से पहले बप्पा से सुख-समृद्धि में वृद्धि की प्रार्थना करें और जाने-अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे. विसर्जन से पहले आरती के और प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए. गणपति बप्पा को शुभ मुहूर्त में विदा करना चाहिए. पृजा के दौरान अर्पित की गई चीजों को प्रभु के संग ही विसर्जित कर देनी चाहिए और अगले वर्ष उन्हें फिर आने की प्रार्थना करनी चाहिए.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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