Eid-ul-Adha 2024: आज मनाई जा रही है बकरीद, जानिये इस पर्व का क्या है विशेष महत्त्व

इस्लाम में ईद उल अजहा यानी बकरीद का अत्यधिक महत्व होता है. जानिए भारत समेत यूएई और अन्य देशों में किस दिन बकरीद मनाई जाएगी. 

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इस दिन मनाया जाएगा बकरीद का पावन पर्व. 
नई दिल्ली:

इस्लाम धर्म में ईद का विशेष महत्व होता है. ईद उल अजहा यानी बकरीद का त्योहार इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 12वें महीने जुल-हिज्जा के दसवें दिन मनाया जाता है. ईद उल फितर के बाद ईद उल अजहा (Eid Ul Adha) इस्लाम धर्म का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. यह त्योहार प्रेम, समर्पण और विश्वास का प्रतीक माना जाता है. इस त्योहार की परंपरा के अनुसार इस दिन बकरे की कुरबानी दी जाती है और इसे रिश्तेदारों, दोस्तों, पड़ोसियों और जरूरतमंदों में बांटा जाता है. इस दिन मुस्लिम मस्जिद जाते हैं और दुआ मांगते हैं. 

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कब है ईद उल अजहा | When Is Eid Ul Adha 

भारत (India) समेत कुछ एशियाई देशों में धुल हिज्जा का चांद 7 जून को दिखा था इसीलिए भारत में ईद उल अजहा 17 जून, सोमवार को मनाई जाएगी. भारत के अलावा पाकिस्तान, मलेशिया, इंडोनेशिया, जापान, ब्रूनेई और होंग कोंग में 17 जून के दिन ही ईद मनाई जाने वाली है. 

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सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), कतर, कुवैत, ओमान, जोरडन, सीरिया और इराक में ईद उल अजहा 16 जून को मनाई जाएगी. 

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ईद उल अजहा का महत्व 

ईद उल अजहा से पैगंबर हज़रत इब्राहीम की कहानी जुड़ी है. माना जाता है कि एक बार अल्लाह ने पैगंबर हज़रत इब्राहीम का इम्तिहान लेने की सोची और उनके ख्वाब में आकर कहा कि वे अपनी कोई अजीज चीज, कोई प्यारी चीज अल्लाह को दे दें. इस ख्बाब से आंखें खुलीं तो हज़रत इब्राहीम उठे और सोच में पड़ गए. उन्होंने अपनी सबसे प्यारी चीज के बारे में सोचा और उनके जहन में सबसे पहले उनका बेटा इस्माइल आया. पिता ने अल्लाह (Allah) को अपना पुत्र सोंपने का मन बना लिया. 

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जब पैगंबर हज़रत इब्राहीम बेटे स्माइल को लेकर कुर्बानी के लिए पहुंचे तो रास्ते में कई शैतानों ने उन्हें समझाया कि ऐसा ना करें लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी. उनके लिए बेटे को कुर्बान करना मुश्किल था इसीलिए उन्होंने आंखों पर पट्टी बांधकर बेटे पर तलवार चलाई. लेकिन, जब पट्टी हटाई तो देखा बेटा सही सलामत है और उसके स्थान पर एक डुम्बा यानी बकरा है. इसके बाद से ही बकरीद (Bakrid) मनाई जाने लगी और अल्लाह की इबादत में बकरे को कुर्बान करने की परंपरा शुरू हुई. 

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ईद (Eid) के दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है. इस दिन नए कपड़े पहने जाते हैं, पकवान बनाए जाते हैं, मस्जिद जाकर नमाज़ पढ़ी जाती है और हर तरफ खुशी का माहौल होता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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