Easter 2025: क्या है ईस्टर के संडे के पीछे का इतिहास, क्यों ईसाई धर्म में यह दिन होता है खास, जान‍िए यहां

History Of Easter Sunday: ईस्टर का त्योहार ईसाई समुदाय के लिए एक खास फेस्टिवल होता है, इस दिन से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हैं. यह दिन प्रभु यीशु के पुनः जीवन से जुड़ा हुआ है, आइए आपको बताते हैं इस दिन का इतिहास और मान्यताएं.

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Easter 2025: क्या है ईस्टर के संडे के पीछे का इतिहास, क्यों ईसाई धर्म में यह दिन होता है खास, जान‍िए यहां
चलिए आज हम आपको बताते हैं ईस्टर संडे से जुड़ी मान्यताओं के बारे में और इसके पीछे का इतिहास क्या है.

History Of Easter Sunday: ईस्टर का त्योहार ईसाई धर्म के लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं, क्योंकि इस दिन कहा जाता है कि प्रभु यीशु का पुनर्जन्म हुआ था. दरअसल, ईस्टर का संडे का इतिहास ईसाई धर्म की नींव से जुड़ा हुआ है. इस त्योहार को न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, बल्कि ईसाई धर्म के सबसे पुराने और सबसे पवित्र त्योहार (Easter Ka Ravivar Kyon Manaya Jata Hai) में से एक माना गया है. इस बार ईस्टर का त्योहार 20 अप्रैल 2025, रविवार के दिन मनाया जाएगा. इससे पहले 18 अप्रैल को गुड फ्राइडे और 19 अप्रैल को होली सैटरडे है. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं ईस्टर संडे से जुड़ी मान्यताओं के बारे में और इसके पीछे का इतिहास क्या है.

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क्या है ईस्टर संडे का इतिहास (What Is The History Of Easter Sunday)


ईसा मसीह को यहूदी धर्म गुरुओं ने दोषी ठहराया था, क्योंकि वह खुद को ईश्वर का पुत्र बताते थे. उन्हें रोमन गवर्नर पॉन्टियस पिलातुस के सामने पेश किया गया और गुड फ्राइडे के दिन उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया. सूली पर चढ़ने के बाद ईसा मसीह की मौत हो गई और उन्हें कब्र में दफनाया गया. बाइबल के अनुसार, तीसरे दिन यानी कि रविवार को ईसा मसीह का फिर से जन्म हुआ इसी चमत्कारिक घटना को ईस्टर संडे कहा जाता है.

क्यों खास होता है ईस्टर संडे (Why Is Easter Sunday Special?)


ईस्टर संडे ईसाई धर्म के लोगों के लिए बहुत ही खास होता है. इस दिन ईसाई धर्म के लोग चर्च में इकट्ठा होते हैं, प्रेयर करते हैं, इस दिन चर्च को लाइट और फूलों से सजाया जाता है. ईस्टर प्रेयर के बाद लोग एक दूसरे को बधाई देते हैं, प्रभु यीशु के उपदेशों को याद करते हैं. साथ ही इस दिन मोमबत्ती से अपने घरों को सजाते हैं और प्रभु यीशु के पुनः जीवित होने की खुशियां मनाते हैं.

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2000 साल से पुराना त्योहार है ईस्टर (Easter Festival Is More Than 2000 Years Old)


प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, ईस्टर 2000 साल से ज्यादा पुराना त्योहार है. पहले ईस्टर को बहुत ही साधारण तरीके से मनाया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे इसमें अंडों की सजावट, ईस्टर बनीज और कई सारे आयोजन करने की परंपरा शुरू हुई. दरअसल, अंडा जीवन और पुनः जीवन का प्रतीक माना जाता है, इसलिए ईस्टर पर अंडों को रंग-बिरंगे कलर से सजाया जाता है. बच्चों के बीच में ईस्टर एग हंट जैसी कंपीटीशन भी होते हैं. यह त्योहार न केवल ईसाई धर्म का सबसे पवित्र त्योहार है, बल्कि यह त्योहार संदेश देता है कि अंधकार के बाद प्रकाश आता है, मृत्यु के बाद जीवन है. यह दिन प्रेम बलिदान और पुनः जीवन का त्योहार है, जो हमें आशा और विश्वास सिखाता है.

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ईस्टर के दिन क्या करें (What To Do On Easter Day)

  • ईस्टर की सुबह चर्च में ईस्टर प्रेयर में शामिल होते हैं.
  • बच्चों के लिए रंग-बिरंगे अंडों को छुपाया जाता है और बच्चे उन्हें ढूंढते हैं.
  • घर को फूलों, बनी (खरगोश) और रंगीन अंडों से सजाएं.
  • इस दिन परिवार के लिए मजेदार डिश जैसे- रोस्टेड चिकन या लैम्ब, ईस्टर केक, चॉकलेट एग्स या हॉट क्रॉस बन्स बनाएं.
  • बच्चों को चॉकलेट अंडे, टॉफियां या खिलौने गिफ्ट करें और बच्चों को यीशु मसीह की कहानियां सुनाएं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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