शाम की पूजा में क्या आप भी बजाते हैं घंटी और शंख, जानिए यह करना सही है या गलत, इसके क्या पड़ते हैं प्रभाव

आज के  इस लेख में शाम की पूजा 3 जरूरी महत्वपूर्ण बातें बताने जा रहे हैं जिसे ध्यान में रखकर पूजा करके हैं तो यह ज्यादा फलदायी होगी. 

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पूजा से पहले या बाद में तैलीय या मांसाहारी भोजन न करें.

Evening puja niyam : हिन्दू धर्म में दिन की शुरूआत पूजा के साथ होती है और अंत भी ईश्वर की प्रार्थना के साथ किया जाता है. शाम की पूजा बेहद खास मानी गई है, क्योंकि संध्या के बाद रात की शुरुआत होती है जिससे ऊर्जा में परिवर्तन होता है. यही कारण है संध्या पूजा आध्यात्मिक रूप से खास होती है. आज के इस लेख में शाम की पूजा से जुड़े 3 जरूरी महत्वपूर्ण बातें बताने जा रहे हैं, जिसे ध्यान में रखकर पूजा करते हैं तो ज्यादा फलदायी होगी. 

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शाम के समय पूजा का नियम - Rules for worship in the evening

  1.  पूजा के समय वातावरण का शुद्ध और शांत होना बहुत जरूरी है. शाम की पूजा के लिए गोधूलि वेला सबसे अच्छी मानी जाती है. यह वह समय होता है जब सूर्य अस्त होने के करीब होता है यानी यह समय दिन औऱ रात के बीच का होता है. यह पूजा के लिए बहुत प्रभावशाला माना जाता है. 
  2. वहीं, शाम के समय पूजा करते समय घंटी और शंख न बजाएं. माना जाता है इससे देवताओं के आराम में खलल पड़ता है. इसके अलावा सूर्यास्त के समय गायत्री मंत्र का जाप न करें. 
  3. पूजा से पहले या बाद में तैलीय या मांसाहारी भोजन न करें. शाम को तुलसी के पौधे के पास दीपक जरूर जलाएं. इससे घर में सकारात्मकता आती है. शाम की पूजा के बाद अगरबत्ती या धूप को घर के कोनों में घुमा दीजिए. यह शुभ होता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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