नवरात्रि के छठे दिन की जाती है मां कात्यायनी की पूजा, यहां जानिए मुहूर्त, भोग और मंत्र

Puja vidhi of Maa Katyayani : मां कात्यायनी देली को पूजा में लाल रंग के फूल चढ़ाएं. इस दिन लाल रंग का गुलाब अर्पित करना मां को बहुत शुभ माना जाता है.

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'ॐ ह्रीं नम:।।' चन्द्रहासोज्जवलकराशार्दुलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।। ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥

6th day of Navratri : आज शारदीय नवरात्रि का छठा दिन है. इस दिन मां के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाएगी. देवी दुर्गा के इस रूप को यश और सफलता का स्वरूप माना जाता है. इस रूप में मां सिंह पर सवार चतुर्भुज के साथ जिसमें से एक भुजा में कमल, दूसरी भुजा में तलवार नजर आती है, जबकि एक भुजा की मुद्रा अक्षय और दूसरे की वर होती है. ऐसे में आइए जानते हैं मां कात्यायनी की पूजा शुभ मुहूर्त, विधि, भोग और मंत्र के बारे में. 

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मां कात्यायनी पूजा मुहूर्त

मां कात्यायनी की पूजा आप 9 मुहूर्तों में कर सकते हैं. ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 44 मिनट से सुबह 5 बजकर 34 मिनट तक है.

प्रातः संध्या मुहूर्त 05 बजकर 9 मिनट से 6 बजकर 25 मिनट तक, अभिजित मुहूर्त 11 बजकर 43 मिनट ए एम से लेकर 12 बजकर 28 मिनट तक, विजय मुहूर्त 1 बजकर 59 मिनट पी एम से लेकर 2 बजकर 45 मिनट पी एम, गोधूलि मुहूर्त 5 बजकर 47 मिनट पीएम से लेकर 6 बजकर 12 मिनट पीएम तक है. सायान्ह काल 5 बजकर 47 मिनट पी एम से लेकर 7 बजकर 03 मिनट पीएम तक,  अमृत काल 2 बजकर 23 मिनट पी एम से लेकर 3 बजकर 58 मिनट पीएम तक, निशिता मुहूर्त 11 बजकर 41 मिनट पी एम से 12 बजकर 31 मिनट ए एम. वहीं रवि योग 21 अक्टूबर 6 बजकर 25 मिनट ए एम से लेकर 8 बजकर 41 मिनट पी एम तक है. 

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मां कात्यायनी भोग

मां कात्यायनी देवी को पूजा में लाल रंग के फूल चढ़ाएं. इस दिन लाल रंग का गुलाब अर्पित करना मां को बहुत शुभ माना जाता है. वहीं, मां को भोग में शहद चढ़ाना चाहिए. यह मां को बहुत प्रिय है. 

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मां कात्यायनी मंत्र

1- 'ॐ ह्रीं नम:।।'

चन्द्रहासोज्जवलकराशार्दुलवरवाहना।

कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।

ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥

2- कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी।

नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।

मां कात्यानी आरती

मां कात्यायनी की आरती
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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