Chhath puja calendar : छठ का पर्व मुख्य रूप से बिहार और झारखंड में धूम-धाम से मनाया जाता है. लेकिन बीते कई सालों से अब ये पूरे देश में मनाया जाता है. यह महापर्व कार्तिक मास (Kartik Maas) के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को शुरू होता है और सप्तमी तिथि पर समाप्त. इस बार यह त्योहार 7 नवंबर को है. आपको बता दें कि यह एक ऐसा पर्व है जिसमें उगते और अस्त होते है सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस व्रत की शुरुआत नहाय-खाय (Nahay Khaye) के साथ होती है. आपको बता दें कि यह व्रत 36 घंटे का होता है. इसमें सख्त नियम का पालन करना पड़ता है. जरा सी गलती उपवास खंडित कर सकता है. ऐसे में आइए जान लेते हैं छठ के पर्व में किन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए.
छठ की पूजा में क्या न करें
पूजा में किसी भी तरह का चांदी, स्टील और प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इस पूजा में केवल मिट्टी के चूल्हे और बर्तनों का ही इस्तेमाल किया जाता है.
वहीं, जहां पर आप प्रसाद बनाती हैं, वहां पर आप भोजन न पकाएं. इसके अलावा घर में मांसाहार न बने न ही कोई सेवन करे. व्रत में अपशब्द भी बोलने से बचें. इसके अलावा आप लहसुन और प्याज का सेवन भी न करें. पूजा के लिए बना रहे प्रसाद को गलती से भी जूठा न करें.
छठ पूजा का कैलेंडर
- नहाय-खाय - 5 नवंबर
- खरना - 6 नवंबर, बुधवार को
- शाम का अर्घ्य - 7 नवंबर को
- सुबह का अर्घ्य - 8 नवंबर को
नहाय खाय - आपको बता दें कि इस दिन व्रती लोग एक ही समय भोजन करते हैं. इस दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 39 मिनट पर होगा और सूर्यास्त शाम 5 बजकर 41 मिनट पर होगा.
खरना- दूसरा दिन होता है खरना का. इस दिन छठी मइया के लिए भोग तैयार किया जाता है. इस दिन मीठा भात और लौकी की खिचड़ी खाई जाती है.
सूर्यास्त अर्घ्य - तीसरे दिन शाम को सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है. इस दौरान सूप में फल, गन्ना, चावल के लड्डू ठेकुआ की सामग्री रखकर पानी में खड़े होकर सूर्य देव की आराधना की जाती है. इस दिन सूर्यास्त का समय 5 बजकर 29 मिनट पर होगा.
सूर्योदय अर्घ्य - आखिरी दिन होता है उगते सूर्य को अर्घ्य देना. इस दिन व्रत का पारण किया जाता है. छठ के आखिरी दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 37 मिनट पर होगा.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)