Chhath Puja 2022: महाभारत काल में द्रौपदी ने की थी छठ पूजा, जानिए इसके पीछे की वजह

Chhath Puja 2022: पौराणिक मान्यता के अनुसार छठ महापर्व महाभारत काल से चला आ रहा है. कहा जाता है कि महाभारत काल में द्रौपदी ने भी छठ पर्व पर सूर्य देव की पूजा की थी.

विज्ञापन
Read Time: 16 mins
Chhath Puja 2022: महाभारत काल से जुड़ा है छठ महापर्व का इतिहास.

Chhath Puja 2022, Chhath Puja Story: लोक आस्था का सबसे बड़ा पर्व छठ आने वाला है. इस साल छठ पूजा 28 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ शुरू होगी. इसके ठीक दूसरे दिन यानी 29 अक्टूबर को खरना किया जाएगा. वहीं 30 अक्टूबर को संध्याकालीन अर्घ्य दिया जाएगा. छठ पर्व के आखिरी दिन यानी 31 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही लोक आस्था के महापर्व का समापन होगा. छठ को लेकर कई पौराणिक मान्यताएं और कथाएं प्रचलित हैं. जिसके मुताबिक महाभारत काल में द्रौपदी ने भी छठ का व्रत रखा था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे की वजह क्या है. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

छठ पूजा का महत्व | Chhath Puja Importance

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक छठ पर में मुख्य रूप से छठी मैया सूर्य देव की पूजा की जाती है. माना जाता है कि चार दिनों का छठ महापर्व घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि के लिए की जाती है. सभी पर्व-त्योहारों में छठ ही एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें डूबते हुए सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है. छठ महापर्व का पौराणिक महत्व भी है. मान्यता है कि छठी मैया सूर्य देव की बहन हैं. यही कारण है कि छठ पर्व पर सूर्य देव की उपासना विशेष फलदायी होती है. धार्मिक मान्यता है कि छठ पर पर महिलाएं 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखती हैं और सूर्य देव और छठी मैया से अपने संतान के दीर्घायु होने का आशीर्वाद मांगती हैं. वहीं इस दिन छठी मैया की पूजा करने से घर-परिवार सुखी और संपन्न रहता है. इसके अलावा कई महिलाएं सांतान प्राप्ति के लिए भी छठ का व्रत रखती हैं.

Chhath Puja 2022: दिल्ली में इन 1100 जगहों पर होगा छठ पूजा का आयोजन, छठी मैया को खुश करने के लिए जरूर करें ये काम

Advertisement

महाभारत काल में द्रौपदी ने क्यों किया था छठ का व्रत

छठ महापर्व महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा की थी. कहा जाता है कि सूर्य देव के आशीर्वाद से ही कर्ण महान योद्धा बने. मान्यतानुसार, कर्ण सूर्य के परम भक्त थे. वे रोज घंटों तक पानी में खड़े होकर सूर्य देव की उपासना किया करते थे. एक अन्य कथा के अनुसार, द्रोपदी ने भी छठ पर्व किया था. कहते हैं कि जब पांडव जुए में अपना सारा राज-पाट हार गए थे तो द्रौपदी ने राजपाट वासप प्राप्त करने के लिए सूर्य देव की उसपना की थी और छठ का व्रत रखा था. कहा जाता है कि जब द्रौपदी नें विधिपूर्वक छठ पर्व दिया तो पांडवों को उनका राजपाट वापस मिल गया.

Advertisement

Chhath 2022: चार दिनों तक चलने वाला छठ पर्व कब से शुरू हो रहा है, यहां जानें डेट

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

PM मोदी बोले- महाकाल की नगरी प्रलय के प्रहार से भी मुक्‍त, उज्‍जैन भारत की आत्‍मा का केंद्र 

Featured Video Of The Day
PM Modi Guyana Visit: Sudhanshu Trivedi के निशाने पर कौन है?