Chaitra Navratri 2025: हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों का बेहद महत्व है. ये नौ दिन देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित होते हैं. इस वर्ष, चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू होगी, जो 9 अप्रैल तक चलेगी. नवरात्रि में पूरे विधि विधान से देवी के 9 स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. इसकी शुरुआत पहले दिन कलश स्थापना के साथ की जाती है. नवरात्रि की पूजा में कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है. हालांकि, कई बार लोग कलश स्थापना के समय कुछ गलतियां कर बैठते हैं. यहां हम आपको ऐसी ही कुछ गलतियों के बारे में बता रहे हैं.
कलश स्थापना के दौरान इन गलतियों से बचें
गलत दिशा में कलश की स्थापना
कलश की स्थापना करते समय दिशा का खास ध्यान रखें. कलश को उत्तर या पूर्व दिशा में स्थापित करना शुभ माना जाता है. यानी कलश ऐसा रखें कि उसका मुख उत्तर-पूर्व दिशा की ओर रहे. यदि उत्तर-पूर्व की दिशा नहीं मिल पाती है, तो आप उत्तर दिशा या पूर्व दिशा की ओर कलश को स्थापित कर सकते हैं.
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सही धातु न चुननाकलश स्थापना में सोने, चांदी, तांबे या मिट्टी के कलश का उपयोग करना शुभ माना जाता है. इससे अलग किसी धातु का उपयोग करने से बचें.
एक बार स्थापित कर दिए कलश को हटाएं नहीं और ना ही नौ दिनों तक उसको हिलाएं.
कलश स्थापना का समयइन सब से अलग स्थापना करते समय शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें. ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 30 मार्च को घटस्थापना समय सुबह 06 बजकर 13 मिनट से लेकर 10 बजकर 22 मिनट तक है. इसके बाद अभिजीत मुहूर्त 12 बजकर 01 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक है. आप इस समय में स्नान-ध्यान कर कलश स्थापना कर सकते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)