Garbh grah significance : अयोध्‍या में राम मंद‍िर का गर्भ गृह तैयार, क्या होता है यह और जानें प्रवेश से जुड़े नियम

आज के इस लेख में हम गर्भ गृह के बारे में जानेंगे जिसकी चर्चा अयोध्या राम मंदिर के निर्माण शुरू होने से सबसे ज्यादा हुई है...

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गर्भगृह में प्रवेश केवल पुजारी या अधिकृत व्यक्तियों को ही होता है.

Garbh grah importance in hindu religion : अयोध्या के राम मंदिर में राम लला के दरबार की प्राण प्रतिष्ठा तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है. यहां गर्भगृह से लेकर सभी मंडप के निर्माण कार्य पूरे हो गए हैं. राम दरबार में स्थापित की जाने वाली मूर्तियां जयपुर से लाई जा चुकी हैं, जिनकी प्राण प्रतिष्ठा 5 जून की जाएगी. यह कार्यक्रम 120 आचार्यों की उपस्थिति में होगा. आपको बता दें कि 6 जून से राम भक्त अयोध्या के राम मंदिर के पहले तल पर राम दरबार के दर्शन कर सकेंगे. फिलहाल, आज के इस लेख में हम गर्भ गृह के बारे में जानेंगे जिसकी चर्चा अयोध्या राम मंदिर के निर्माण शुरू होने से सबसे ज्यादा हुई है...

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गर्भ गृह क्या होता है

ब्रह्म स्थान होता है

हिंदू धर्म में मंदिरों में गर्भ गृह का विशेष महत्व होता है. यह हर बड़े मंदिर में आपको मिल जाएगा. यह स्थान बहुत पवित्र माना जाता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यह मंदिर का ब्रह्म स्थान होता है. इस स्थान को वास्तु शास्त्र को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है. गर्भ गृह में देवी-देवता की मूल मूर्ति स्थापित होती है. इसी स्थान पर भगवान को स्नान, भोग और विश्राम कराया जाता है. 

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गर्भ गृह का द्वार होता है छोटा

वहीं, गर्भ गृह का द्वार हमेशा छोटा रखा जाता है, ताकि भगवान के सामने हर बड़ा और छोटा व्यक्ति सिर झुकाकर आए. हालांकि वर्तमान में अब द्वार का आकार कहीं-कहीं बड़ा भी देखने को मिल सकता है.

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गर्भगृह होता है आयताकार

इसके बाहर चारों ओर परिक्रमा का स्थान होता है, और गर्भ गृह के ठीक सामने भगवान के भक्तों के दर्शन, पूजन और कीर्तन आदि के लिए स्थान होता है. गर्भगृह अमूमन आयताकार आकार में होता है. 

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केवल पुजारी कर सकता है प्रवेश

गर्भगृह में प्रवेश केवल पुजारी या अधिकृत व्यक्तियों को ही होता है, आम भक्त वहां प्रवेश नहीं कर सकते हैं. दरअसल, गर्भगृह छोटा सा स्थान होता है इसलिए स्वच्छता, पवित्रता आदि बनाए रखने के लिए आम भक्तों की मनाही होती है.

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गर्भ गृह का महत्व

गर्भ गृह का निर्माण मंदिर के बीचों बीत होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसमें देवी-देवताओं की मूर्ति स्थापित होने के कारण यहां की ऊर्जा सकारात्मक होती है. कहा जाता है यहां दर्शन पूजन करने से पांचों ज्ञानेंद्रियां सक्रिय हो जाती हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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