देवी के 51 शक्ति पीठ में से एक है कामाख्या मंदिर, साल में 3 दिन पुरुषों का प्रवेश होता है वर्जित, जानिए क्या है इसका कारण

मान्यता है इस जगह पर ही देवी सती का योनि का भाग गिरा था, जिसके कारण यहां पर योनि की पूजा की जाती है. मान्यता है यहां पर मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.

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Facts about kamakhya temple : यहां पर साल में तीन दिन मंदिर बंद रहता है (22 से 25 जून).

Kamakhya mandir significance : कामाख्या मंदिर असम के कामरूप जिले के गुवाहाटी शहर की नीलांचल पहाड़ी यानी की कामागिरी पहाड़ी पर स्थित है. यह मंदिर देवी सती का है. यह देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक है, जिसे सबसे शक्तिशाली माना जाता है. मान्यता है इस जगह पर ही देवी सती का योनि का भाग गिरा था, जिसके कारण यहां पर योनि की पूजा की जाती है. मान्यता है यहां पर मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. इसके अलावा और क्या कुछ खास है इस मंदिर के बारे में आइए आगे आर्टिकल में जानते हैं ...

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कामाख्या मंदिर में दर्शन करने से क्या होता है

कामाख्या मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि तीन बार दर्शन करने से सांसारिक बंधनों से मुक्ति मिल सकती है. इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है. यहां पर योनि की पूजा की जाती है. 

3 दिन के लिए पुरुषों का जाना है वर्जित

यहां पर साल में तीन दिन मंदिर बंद रहता है (22 से 25 जून). क्योंकि इन 3 दिनों में माता सती रजस्वला रहती हैं. यही कारण है इस दौरान पुरुषों का मंदिर में जाना वर्जित होता है. ऐसे में तीन दिन के लिए मंदिर में माता के दरबार में सफेद रंग का कपड़ा रखा जाता है, जो 3 दिन में लाल हो जाता है. इस कपड़े को 'अंबुवाची' कहते हैं.

आपको बता दें कि जब देवी सती मासिक धर्म में होती हैं, तो यहां पर एक विशाल मेला भी लगता है, जिसे 'अंबुवाची' के नाम से ही जाना जाता है. इस दौरान किसी को भी मंदिर में प्रवेश करने नहीं दिया जाता है.

जानवरों की दी जाती है बलि

यहां पर जानवरों की बलि दी जाती है, लेकिन मादा जानवर की नहीं. दुर्गा पूजा, परोहना बिया, दुर्गा देऊल, बसंती पूजा, मदान देऊल, अम्बुवासी और मनासा पूजा पर इस मंदिर की रौनक और बढ़ जाती है. 

क्यों होती है योनि की पूजा

पुराणों के अनुसार विष्णु भगवान ने अपने चक्र से माता सती के 51 भाग किए थे, जहां-जहां उनके अंग के भाग गिरे वहां पर माता का एक शक्तिपीठ बनाया गया. कामाख्या में माता की योनी गिरी थी, इसलिए यहां उनकी कोई मूर्ति नहीं बल्कि योनी की पूजा होती है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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