Amalaki Ekadashi 2025: आमलकी एकादशी के दिन किन चीजों का दान करना माना जाता है शुभ, जानें पूजा की विधि

Amalaki Ekadashi Daan: फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहा जाता है. इस दिन पूजा संपन्न करने  पर मान्यतानुसार मोक्ष की प्राप्ति होती है. 

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Amalaki Ekadashi Puja Vidhi: आमलकी एकादशी पर पूरे मनोभाव से की जाती है पूजा संपन्न. 

Amalaki Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में सालभर में 24 एकादशी पड़ती हैं. फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी आमलकी एकादशी कहलाती है. इसे रंगभरी एकादशी और आंवला एकादशी (Amla Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है. मान्यतानुसार इस एकादशी व्रत में भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण के साथ ही आंवले के वृक्ष की पूजा भी की जाती है. आमलकी एकादशी की पूजा करने पर माना जाता है कि जीवन में खुशहाली आती है, सुख-समृद्धि आती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसे में यहां जानिए इस माह किस दिन रखा जाएगा आमलकी एकादशी का व्रत और इस दिन किन चीजों का दान करना शुभ माना जाता है. 

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आमलकी एकादशी कब है | Amalaki Ekadashi 2025 Date 

पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी की तिथि सुबह 7 बजकर 45 मिनट पर शुरू होकर 10 फरवरी सुबह 7 बजकर 44 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए 10 मार्च, सोमवार के दिन आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाएगा. आमलकी एकादशी के व्रत (Amalaki Ekadashi Vrat) का पारण अगले दिन 11 मार्च, मंगलवार को किया जाएगा. व्रत पारण का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 35 मिनट से लेकर 8 बजकर 13 मिनट के बीच है. 

आमलकी एकादशी पर किन चीजों का करें दान 

मान्यतानुसार आमलकी एकादशी पर कुछ चीजों का दान करना शुभ माना जाता है. इस दिन आंवले की पूजा करना शुभ होता है और इसीलिए आंवले का दान भी किया जा सकता है. आमलकी एकादशी पर केले, केसर और हल्दी का दान भी अच्छा माना जाता है. इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनना और पीले रंग की वस्तुओं का दान करना भी शुभ होता है. 

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आमलकी एकादशी पर कैसे करें पूजा 

आमलकी एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान किया जाता है और स्नान के पश्चात पीले रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है. एकादशी के दिन भगवान विष्णु का ध्यान लगाया जाता है. आमलकी एकादशी पर विष्णु भगवान (Lord Vishnu) की पूजा करने के लिए सामग्री में तुलसी दल, पीले वस्त्र और मिठाई भी अर्पित किए जाते हैं. इस दिन कथा सुनने और सुनाने के साथ ही पूरे मनोभाव से भगवान विष्णु की आरती की जाती है. व्रत में फलाहार ग्रहण किए जाते हैं और अगले दिन व्रत का पारण होता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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