आज है अधिक मास का पहला और सावन का तीसरा सोमवार, इस तरह करें भोलेनाथ का पूजन

Sawan Somwar: अधिक मास के चलते इस बार सावन एक महीने का नहीं बल्कि 2 महीनों का होने वाला है. जानिए क्या है इसका महत्व और कैसे करें पूजा संपन्न. 

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Adhik Maas Sawan Somwar: अधिक मास का पहला सावन सोमवार है आज. 

Sawan Somwar 2023: आज 24 जुलाई के दिन सावन के महीने का तीसरा सोमवार है. इस सावन सोमवार का महत्व अत्यधिक है क्योंकि यह अधिक मास (Adhik Maas) का पहला सोमवार है. इस वर्ष अधिक मास के चलते ही सावन एक महीने का नहीं बल्कि 2 महीनों का मनाया जा रहा है. इस महीने अधिक मास लगने से सावन में 8 सोमवार के व्रत रखे जाएंगे. सावन के सोमवार के दिन महादेव (Lord Shiva) की कृपा पाने के लिए भक्त व्रत रखते हैं और पूजा संपन्न करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर दिन को किसी ना किसी देवी-देवताओं को समर्पित किया जाता है और सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए चुना गया है. जानिए अधिक मास के सावन की विशेषता और किस तरह की जा सकती है महादेव की पूजा. 

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अधिक मास का पहला सावन सोमवार | Adhik Maas First Sawan Somwar 

अधिक मास के सावन सोमवार के दिन यानी आज 3 खास योग बन रहे हैं. आज बने वाले योगों में पहला योग है रवि योग, दूसरा योग बनेगा शिव योग और तीसरा योग होगा अद्भुत योग. इस चलते आज रुद्राभिषेक और शिव पूजा (Shiv Puja) बेहद खास माने जा रहे हैं. रवि योग का समय सुबह 5 बजकर 37 मिनट से रात 10 बजकर 12 मिनट बताया जा रहा है, वहीं, शिव योग आज दोपहर 2 बजकर 52 मिनट तक रहेगा और सिद्धि योग 2 बजकर 52 मिनट से शुरू होकर पूरी रात रहने वाला है. 

इस मुहुर्त में करें शिव पूजा 

शिव पूजा करने का आज विशेष शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurt) बन रहा है. रुद्राभिषेक सुबह से लेकर दोपहर 1 बजकर 42 मिनट के बीच किया जा सकता है. आज शिववास नंदी पर है जिस चलते शुभ मुहूर्त में शिव पूजा करना शुभ रहेगा. शिव पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जा सकते हैं. महादेव को प्रसन्न करने के लिए भक्त खासतौर से हरे रंग के वस्त्र धारण करते हैं. शिव पूजा में काले रंग के वस्त्र पहनने से परहेज की सलाह दी जाती है. 

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इसके बाद घर के मंदिर में दीप जलाया जाता है और भगवान शिव पर गंगाजल अर्पित करते हैं. शिव पूजा में पुष्प, बेलपत्र फल और दूध आदि सम्मिलित किए जाते हैं. शिव आरती, मंत्र और कथा के बाद पूजा समाप्त होती है और भगवान शिव को भोग लगाकर सभी में प्रसाद का वितरण होता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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