- उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में छांगुर गिरोह और आगरा में अब्दुल रहमान के धर्मांतरण रैकेट का खुलासा हुआ है.
- केरल में कथित लव जिहाद और धर्मांतरण के मामले पर भी खूब बवाल हुआ. केरल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा.
- देश में जरबन धर्मांतरण के खिलाफ कई राज्यों में कानून बने, कई राज्यों में कानून बनाने की तैयारी की जा रही है.
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में धर्मांतरण को धंधा बनाने वाले जमालुद्दीन उर्फ छांगुर की गिरफ्तारी के बाद से लगातार खुलासे हो ही रहे थे कि इस बीच आगरा में मास्टरमाइंड अब्दुल रहमान के धर्मांतरण रैकेट के खुलासे ने चौंका दिया है. देश में पिछले कुछ वर्षों में धर्मांतरण के कई ऐसे मॉड्यूल सामने आए हैं, जिन्होंने न सिर्फ संगठित सिंडिकेट के रैकेट्स को बेनकाब किया है, बल्कि इसके पीछे छिपे अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन, विदेशी फंडिंग का भी पर्दाफाश किया है.
केरल मॉड्यूल में कथित तौर पर 'लव जिहाद' (Love Jihad) के मामले हों, ओडिशा का चर्चित कंधमाल मामला हो, या फिर झारखंड और छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में मिशनरीज की ओर से लालच देकर धर्म परिवर्तन के मामले... हजारों पीड़ित सामने आए, सैकड़ों गिरफ्तारियां हुईं और कई राज्यों ने कानून भी बनाए. आइए जानते हैं, देश में कहां-कहां धर्मांतरण के मामले सामने आए हैं और किन राज्यों में इसको लेकर क्या कानून हैं.
छांगुर गिरोह: सबसे बड़ा सिंडिकेट, विदेशी फंडिंग
यूपी के बलरामपुर जिले से निकलकर अयोध्या, मिर्जापुर और कई अन्य जिलों तक फैला जमालुद्दीन उर्फ छांगुर का गिरोह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं. पुलिस और एटीएस के मुताबिक, छांगुर (जमालुद्दीन) अपने हथकंडों से युवकों और लड़कियों को मानसिक तौर पर प्रभावित कर उनका धर्मांतरण करवाता था. आरोप हैं कि इसमें केवल धर्मांतरण ही नहीं, बल्कि महिलाओं के साथ यौन शोषण के मामले भी सामने आए और करोड़ों की काली कमाई का नेटवर्क भी. जांच में 500 करोड़ की विदेशी फंडिंग, पाकिस्तानी और तुर्की हैंडलर्स, हनीट्रैप और लव जिहाद जैसे ठोस सबूत सामने आए. छांगुर पर देशविरोधी साजिशों के भी आरोप लगे हैं. गिरोह के कई गुर्गे लगातार पकड़े जा रहे हैं.
आगरा: सोशल रैकेट, ISIS से लिंक!
आगरा में भी हाल में सामने आए साइबर धर्मांतरण रैकेट का मास्टरमाइंड अब्दुल रहमान पाकिस्तान से जुड़े व्हाट्सएप और सिग्नल ग्रुप्स के जरिए रैकेट चला रहा था. आगरा में 2 सगी बहनों के धर्मांतरण केस में पुलिस ने गैंग के मास्टरमाइंड अब्दुल रहमान समेत 11 लोगों को अरेस्ट किया. लड़कियों को सोशल मीडिया के जरिये जाल में फंसाकर, धर्मग्रंथ और वीडियो के जरिए मानसिक रूप से प्रभावित किया जाता था. एक पीड़िता के मुताबिक, उसे जबरन शादी और इस्लाम अपनाने के लिए दबाव डाला गया. आगरा पुलिस और ATS ने इनसे बंद कमरों में अलग अलग पूछताछ की. पुलिस के सामने धर्मांतरण गैंग ने जो सच कबूला वो और डरावना है.
यूपी के अन्य जिलों से भी सामने आए मामले
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर, प्रतापगढ़ और मिर्जापुर जिलों में भी बीते महीनों में अवैध धर्मांतरण के बड़े मामले सामने आए हैं. फतेहपुर में मिशनरी संचालकों समेत 26 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस जांच के दौरान यह भी पता चला कि कई जिलों में चर्च और मिशनरियां गुपचुप तरीके से धर्मांतरण करा रही थीं.
केरल में धर्मांतरण और 'लव जिहाद' के मामले
केरल धर्मांतरण विवादों और 'लव जिहाद' के आरोपों का एक प्रमुख केंद्र रहा है. यहां कई हाई-प्रोफाइल मामले सामने आए, हालांकि तथ्यों और कानूनी जांच के आधार पर कई बार इसे कमतर पाया गया. सुप्रीम कोर्ट ऑब्जर्वर के मुताबिक, अप्रैल 2016 से अब तक के मामलों में सबसे चर्चित 'हदिया केस' रहा, जिसमें एक हिंदू युवती अखिला (हदिया) ने अपनी मर्जी से इस्लाम कबूलकर शाफिन जहान से शादी की थी. बाद में केरल हाईकोर्ट ने इस शादी को निरस्त किया और इसे जबरन धर्मांतरण बताकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से जांच कराई. सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2018 में फैसला देते हुए हदिया की शादी और धर्मांतरण को पूरी तरह उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और संविधान के तहत दिया गया धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार बताया. इसके बाद NIA ने राज्य में 11 अंतर-धार्मिक शादियों की जांच की, हालांकि किसी भी केस में साजिश, फैलाई गई थ्योरी या जबरन धर्मांतरण के प्रमाण नहीं मिले.
इससे पहले 2009 में भी केरल हाईकोर्ट ने पुलिस रिपोर्ट के हवाले से कहा था कि करीब तीन से चार हजार मामलों में 'लव मैरिज' यानी प्रेम विवाह के बहाने धर्मांतरण हुए, पर 2012 में पुलिस ने 'लव जिहाद' की थ्योरी और साजिश का खंडन किया. केरल सरकार ने 2023-24 में धर्मांतरण संबंधी किसी सख्त कानून की वकालत नहीं की. केरल हाईकोर्ट ने 2024 में साफ किया कि संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत हर नागरिक को बिना दबाव या बिना धोखे के धर्म बदलने की पूरी आजादी है और सरकारी दस्तावेजों में उसे मान्यता दी जाएगी.
'केरल में धर्मांतरण' के मामले को लेकर केरला फाइल्स नाम से एक फिल्म भी बनी.
ओडिशा: चर्चित कंधमाल और पहला कानून
ओडिशा देश का पहला राज्य है जिसने 1967 में 'ओडिशा धार्मिक स्वतंत्रता कानून' बनाया. इसके तहत प्रशासन से लिखित अनुमति के बिना धर्म परिवर्तन अवैध है, और साथ ही जबरन, लालच या धोखे से धर्म परिवर्तन कराने पर दो साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान है. यहां का कंधमाल जिला पूरे देश में चर्चित है, जहां 2008 में सांप्रदायिक हिंसा भड़की थी. यहां पर मिशनरीज के जरिये समाज के दलित और आदिवासी वर्गों के धर्मांतरण के मामले सामने आए हैं. हालांकि आंकड़े बताते हैं कि बहुत से मामले पुलिस या प्रशासन तक पहुंचते ही नहीं, बल्कि गुपचुप स्तर पर होते रहते हैं. प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार, पांच वर्षों में मात्र दो लोगों ने सरकारी तौर पर धर्म बदला.
मध्य प्रदेश: प्रलोभन, धर्म परिवर्तन, कानून...
मध्य प्रदेश के नीमच, खंडवा और जबलपुर जैसे शहरों में धर्मांतरण गैंग पकड़े गए हैं. मिशनरियों की भूमिका बार-बार संदेह के घेरे में आई. कई बार 'लव जिहाद' और शादी के नाम पर धर्मांतरण, आदिवासी समाज में ईसाईकरण, बच्चों के अपहरण और मानसिक दबाव से कराने जैसे बड़े मामले सामने आए हैं. यहां जबरन, प्रलोभन या झांसे से कराए जा रहे धर्मांतरण को रोकने के लिए कठोर कानून लागू हैं. वर्ष 1968 में 'मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम' देश में सबसे पहले लागू कानूनों में से एक था. इसमें समय-समय पर संशोधन किया जाता रहा.
2006 में प्रावधान किया गया कि कोई भी व्यक्ति अपना धर्म बदलने से पहले एक माह पूर्व प्रशासन को लिखित में सूचित करेगा, नहीं तो कड़ी सजा और जुर्माने का प्रावधान है. 2021-22 में, नए संशोधन लाकर जबरन, धोखा या लालच देकर धर्म परिवर्तन पर 10 वर्ष तक की सजा का प्रावधान किया गया. 2025 में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घोषणा की कि यदि अपराधी जबरन धर्मांतरण और उसके साथ दुराचार करता है तो उसे फांसी तक की सजा दी जा सकती है. यहां सरकार की नीति काफी सख्त है और विशेष टीमें ऐसे मामलों पर नजर रखती हैं.
महाराष्ट्र: सख्त कानून लाने पर विचार
महाराष्ट्र में नंदुरबार, पालघर, डिंडोरी, अमरावती जैसे आदिवासी जिलों में चर्च और मिशनरीज के जरिये बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के आरोप लगते रहे हैं. विदेशी फंडिंग, स्थानीय मिशनरीज स्कूल या अस्पताल में सेवा के बहाने धर्म परिवर्तन की खबरें लगातार आती रही हैं, जिसका हिंदू संगठन काफी विरोध करते रहे हैं. राज्य सरकार ने पिछले साल संसद में कहा कि वो सख्त कानून लाने पर विचार कर रही है. प्रदेश सरकार कानून का ड्राफ्ट तैयार कर रही है ताकि दोषियों पर मुकदमा चलाया जा सके.
गुजरात: जबरन धर्म बदलवाने पर सजा
गुजरात के जूनागढ़, अहमदाबाद, गोधरा, मेमनगर जैसे शहरों में धर्मांतरण के मामले सामने आए हैं. राज्य सरकार ने साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर, जबरन धर्म परिवर्तन को देश की संप्रभुता और आम नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता के लिए बड़ा खतरा बताया था. यहां धर्मांतरण के खिलाफ कड़ा कानून लागू है, जिसके मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति हिंदू धर्म से बौद्ध या किसी अन्य धर्म में जाना चाहता है, तो उसे जिला मजिस्ट्रीट से अनुमति लेनी होगी. जबरन, धोखे या लालच से धर्म बदलने पर भारी सजा और जुर्माना तय है. इस मुद्दे पर राज्य में खूब सियासत और आंदोलन सामने आए हैं. बार-बार बड़े रैकेट उजागर हुए हैं. नियमानुसार, बिना प्रशासनिक स्वीकृति के धर्म परिवर्तन अवैध है, आरोपी पर पुलिस तुरंत एफआईआर दर्ज करती है.
झारखंड और छत्तीसगढ़: टारगेट पर आदिवासी
छत्तीसगढ़ के बस्तर और सरगुजा के आदिवासी इलाके धर्मांतरण के लिए सबसे ज्यादा विवादित रहे हैं. पिछले पांच वर्षों में यहां 23 कानूनी मामले दर्ज हुए. यहां 'लोकल मिशनरीज' के माध्यम से प्रलोभन देकर बड़ी तादाद में ईसाई धर्मांतरण के आरोप लगते रहे हैं. यहां भी राज्य सरकार एक कठोर विधेयक लाने की तैयारी कर रही है ताकि जबरन धर्म परिवर्तन पर कड़ी कार्रवाई हो सके.
दूसरी ओर झारखंड में आदिवासी बहुल इलाकों में धर्मांतरण का मुद्दा सुर्खियों में रहा है. हाईकोर्ट ने हाल में राज्य सरकार और केंद्र सरकार से आदिवासी धर्मांतरण के बारे में जवाब मांगा था. कोर्ट ने कहा था कि आदिवासी इलाकों में 'चंगाई सभाओं' के नाम पर धर्मांतरण कराया जा रहा है, जिससे उनकी आबादी कम हो रही है. कई संगठन दावा करते हैं कि आदिवासी बहुल इलाकों में धर्मांतरण तेजी से बढ़ा है.
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड
हिमाचल प्रदेश में बीते वर्षों में कई संगठनों पर पहाड़ी गांवों में प्रलोभन देकर धर्म बदलवाने के आरोप लगे हैं. ऐसे में धर्मांतरण रोधी कानून को 2022 में और सख्त बनाया गया. अब जबरन धर्मांतरण के दोषियों को अधिकतम 10 वर्ष की सजा हो सकती है. प्रशासनिक अधिकारी भी मानते हैं कि पहाड़ों में सामाजिक ताने-बाने को बचाए रखने के लिए यह जरूरी कदम था. वहीं उत्तराखंड में जबरन धर्मांतरण के मामलों में तेजी देखी गई है. वर्ष 2020-22 तक ऐसे 11 केस सामने आए थे, जबकि 2023 से जुलाई 2025 के बीच ये आंकड़े बढ़कर 42 हो गए. यहां 2018 में राज्य सरकार ने सख्त 'धर्मांतरण विरोधी कानून' लागू किया, और 2022 में इसमें और बदलाव कर 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया.
कर्नाटक: कई शहरों में सामने आए मामले
कर्नाटक के बेलगावी, बेंगलुरु और मैंगलोर जैसे शहरों में कई बार धार्मिक प्रचार के नाम पर धर्मांतरण विवाद सामने आए हैं. 2025 में एक चर्चित मामला आया जिसमें तीन मुस्लिम युवकों पर एफआईआर दर्ज की गई थी, लेकिन हाई कोर्ट ने सबूत के अभाव में मामला रद्द कर दिया. यहां साल 2022 से ही कठोर धर्मांतरण रोधी कानून लागू हैं, जिसके तहत झूठे वादे, विवाह, लालच या मजबूरी से धर्म बदलवाना पूरी तरह प्रतिबंधित है.
हरियाणा: कड़े कानून की तैयारी में सरकार
हरियाणा में पलवल, नूंह और फरीदाबाद जिलों में जबरन धर्मांतरण के कई मामले सामने आए. 'लव जिहाद' के बहाने, शादी के नाम पर धर्म परिवर्तन, पुराने चर्च में प्रलोभन देकर धर्मांतरण के केस सामने आए. यहां राज्य सरकार ने 2022 में ऐलान किया कि वो जल्द ही जबरन धर्मांतरण पर रोक के लिए नया कानून लाएगी.
आंध्र प्रदेश: आदिवासी और दलित निशाने पर
आंध्र प्रदेश में खास तौर पर तटीय जिलों के आदिवासी और दलित समाज के धर्मांतरण की खबरें समय-समय पर सामने आती हैं. पश्चिमी गोडावन, विशाखापत्तनम, कडप्पा जैसे जिलों में विवाद सामने आए हैं. यहां भी धर्मांतरण पर रोक संबंधी कानून पर चर्चा हुई है, लेकिन अब तक कोई कानून बन नहीं पाया.