Explainer: पंचकूला के सात लोगों के परिवार की क्‍या है सुसाइड मिस्‍ट्री, जानिए इसका हर एंगल

जिंदगी का बड़ा हिस्सा कर्ज और उसका सूद चुकाने में ही चला जाता है. कई लोग कर्ज जैसे तैसे चुका भी देते हैं, लेकिन कुछ लोगों के साथ कई बार परिस्थितियां शायद ऐसी नहीं होती हैं कि लोग उसे चुका पाएं. ऐसे में कई लोग खुदकुशी तक कर लेते हैं.

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हरियाणा के पंचकूला में सात लोगों की आत्‍महत्‍या ने हर किसी को झकझोर दिया है.

नई दिल्‍ली :

एक कहावत है कि जितनी लंबी चादर हो उतने ही अपने पैर पसारें यानी कोई भी काम उतना ही फैलाएं जितना आप संभाल सकें, अगर कर्ज की बात करें तो ये कहावत और भी ज्‍यादा प्रासंगिक हो जाती है, लेकिन अपने आसपास आपने अक्सर देखा होगा कि कई लोग अलग अलग कारणों से इतना कर्ज ले लेते हैं कि फिर उसे चुकाना भारी पड़ जाता है और उनकी जिंदगी का बड़ा हिस्सा कर्ज और उसका सूद चुकाने में ही चला जाता है. कई लोग कर्ज जैसे तैसे चुका भी देते हैं, लेकिन कुछ लोगों के साथ कई बार परिस्थितियां शायद ऐसी नहीं होतीं कि लोग उसे चुका पाएं. ऐसे में कई लोग आत्मघाती कदम जैसे खुदकुशी तक कर लेते हैं. आज हम ये बात हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि कर्ज न चुका पाने पर खुदकुशी का एक दर्दनाक मामला सामने आया है वो भी एक पूरे परिवार द्वारा खुदकुशी का मामला.

ये हरियाणा के पंचकूला का मामला है. यहां के सेक्टर 27 में एक रिहायशी इलाके में एक कार के अंदर सात लोगों के शव मिलने से सनसनी फैल गई. सोमवार की रात अपने घर के बाहर टहल रहे एक स्थानीय व्यक्ति हर्ष को एक ह्यूंदई कार में कुछ लोग संदिग्ध परिस्थिति में बैठे दिखे. कार के पीछे का शीशा एक तौलिए से ढका हुआ था. पुलिस को दिए बयान में हर्ष ने कहा कि पहले उन्हें कुछ गड़बड़ होने का शक हुआ. वो कार के पास गए तो देखा कि एक व्यक्ति के शरीर में कुछ हरकत हो रही है और बाकी लोग अचेत पड़े हुए हैं. आसपास के लोगों के साथ मिलकर उन्होंने कार का दरवाजा खोलकर उसे बाहर निकाला. अंदर देखा तो कार में हर तरफ लोगों की उल्टियां पड़ी दिखीं. जिस आदमी को बाहर निकाला, उसने अपना नाम प्रवीण मित्तल बताया और कहा कि वो परिवार सहित एक धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने आया था. वो आदमी कांप रहा था और आधी बेहोशी में था. उसे कुछ पानी पिलाया गया तो उसने बताया कि उसने जहर खा लिया है और कार के अंदर सभी लोगों ने जहर खाकर खुदकुशी कर ली है. ये पता चलते ही लोगों ने तुरंत 112 नंबर पर पुलिस कंट्रोल रूम को फोन किया जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची. प्रवीण मित्तल और उनके परिवार के लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन अस्पताल पहुंचते-पहुंचते सब की जान जा चुकी थी. खुदकुशी करने वालों में प्रवीण मित्तल, उनकी पत्नी रीना, तीन बच्चे और माता-पिता, कुल सात लोग शामिल थे. पुलिस ने मौके से एक सुसाइड नोट बरामद किया. पुलिस को शक है कि ये परिवार आर्थिक तंगी का सामना कर रहा था और कर्ज न चुका पाने के चलते उसने खुदकुशी की है. प्राथमिक जांच में मौत की वजह जहर बताई जा रही है. 

सुसाइड नोट में प्रवीण मित्तल ने ये बताया

पुलिस को जो सुसाइड नोट मिला है उसमें प्रवीण मित्तल ने लिखा है कि मैं दिवालिया हो चुका हूं. इस सबके लिए मैं ही जिम्‍मेदार हूं. मेरे ससुर को परेशान न किया जाए. मेरे परिवार के लोगों का अंतिम संस्कार मेरा रिश्ते का भाई करे. 

पुलिस इस मामले में अब आगे की तहकीकात के तहत प्रवीण मित्तल के परिवार के लोगों से पूछताछ कर रही है. हर पहलू से जांच की जा रही है. 

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कुछ दिन पहले ही आए थे यहां रहने

प्रवीण के ससुर राकेश गुप्ता ने पुलिस को बताया कि वो पिछले दस साल से उसके संपर्क में नहीं थे. उन्हें पता चला था कि प्रवीण ने कर्ज लिया है जिसे वो बैंकों को चुका पाने में नाकाम रहा. ये भी बताया कि प्रवीण और उसका परिवार पिछले कुछ महीनों से मंसा देवी कॉम्प्लेक्स में रह रहा था और उसने भी अपनी बेटी रीना की आर्थिक मदद की थी. रीना यानी प्रवीण की पत्नी. रीना की बहन ने पुलिस को बताया कि कुछ महीना पहले प्रवीण और रीना मंसा देवी कॉम्प्लेक्स में रहने आए थे और अपने बच्चों का चंडीगढ़ के सेक्टर 22 के एक स्कूल में दाखिला करवाया था. प्रवीण के ममेरे भाई संदीप अग्रवाल ने पुलिस को बताया कि प्रवीण हिसार के बरवाला का रहने वाला है. 12 साल पहले वो पंचकूला आया था. तब उसने हिमाचल प्रदेश के बद्दी में स्क्रैप मैटीरियल यानी कबाड़ को प्रोसेस करने वाली फैक्टरी खोली थी, लेकिन इस कारोबार में उसे नुकसान हुआ. वो कर्ज नहीं चुका पाया तो बैंक ने उसकी फैक्टरी, गाड़ी और दो फ्लैट जब्‍त कर लिए. इसके बाद वो देहरादून चला गया था और पिछले पांच साल से अपने रिश्तेदारों के संपर्क में नहीं था. देहरादून में उसने एक टूर और ट्रेवल एजेंसी खोली थी, जिसमें उसे काफी नुकसान हुआ. अब पिछले कुछ समय से वो गुजर बसर के लिए टैक्सी चला रहा था, लेकिन इस खुदकुशी के बाद से परिजन समझ नहीं पा रहे कि प्रवीण मित्तल ने इतना बड़ा कदम क्यों उठा लिया. 

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जिस गाड़ी में पूरे परिवार के खुदकुशी करने की बात सामने आ रही है वो गाड़ी उत्तराखंड के देहरादून में रजिस्टर्ड है, लेकिन गाड़ी के मालिक का नाम गंभीर सिंह नेगी सामने आ रहा है. हमारे सहयोगी किशोर रावत ने पता किया कि ये परिवार तीन साल पहले देहरादून के कौलागढ़ में किराए के मकान में रहता था, लेकिन उसके बाद किसी और जगह किराए पर चला गया. देहरादून में जहां ये परिवार पहले रहता था वहां आस पड़ोस के लोगों को लगता है कि ये परिवार आर्थिक दिक्कत में फंसा हुआ था, लेकिन परिवार ने खुद कभी ये बात किसी को नहीं बताई. 

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पंचकूला पुलिस अब इस मामले की तहकीकात में जुटी है, लेकिन कर्ज के बोझ से तंग आकर खुदकुशी करने का ये अकेला मामला नहीं है. ऐसे मामले देश के हर इलाके से सामने आते रहे हैं जहां कर्ज के दबाव में आकर लोगों ने खुदकुशी की.

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कर्ज से परेशान दंंपती ने की थी आत्‍महत्‍या

पिछले साल अगस्त का एक मामला काफी सुर्ख़ियों में रहा था जब सहारनपुर के एक दंपती ने हरिद्वार में गंगा में कूदकर खुदकुशी कर ली. पेशे से सर्राफा व्यापारी सौरभ बब्बर ने कर्ज के बोझ में डूब जाने के चलते अपनी पत्नी के साथ खुदकुशी की. खुदकुशी से पहले फोन में एक सेल्‍फी भी ली. इससे पहले अपने घर में वो एक सुसाइड नोट छोड़कर आए थे जिसमें लिखा था कि वो कर्जों के दलदल में इतना फंस गया है कि बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा. इसलिए पत्नी सहित खुदकुशी कर रहा है. ये भी कहा कि उसने अपने लेनदारों को अंधाधुंध ब्याज दिया लेकिन अब और नहीं दे पा रहा है. उनके दो बच्चे भी हैं, सुसाइड नोट में सौरभ ने कहा कि बच्चे अपनी नानी के घर रहेंगे, किसी और पर उन्हें भरोसा नहीं. 

ऐसा ही एक मामला इसी साल मार्च में आया जब दिल्ली के कैलाश नगर में 42 साल के व्यक्ति ललित मोहन वार्ष्णेय ने खुदकुशी की. वो कई साल से एक महाजन द्वारा पैसों के लिए पीड़ित किए जा रहे थे. खुदकुशी से पहले ललित ने एक वीडियो बनाया जिसमें बताया कि कुछ साल पहले पचास हजार रुपए का लोन अब ब्याज मिलाते मिलाते दस लाख रुपए से ऊपर हो चुका है. वो ब्याज चुकाने के लिए नया कर्ज लेता जा रहा था लेकिन कर्ज के जाल से बाहर नहीं निकल पा रहा था. 

ऐसे न जाने कितने ही मामले आपको अपने आसपास दिख जाएंगे. आए दिन ख़बरों में इस तरह की घटनाओं को रिपोर्ट किया जाता है. इनमें से कई लोग बैंक से लिया गया कर्ज नहीं चुका पाते. इसकी कई वजह हो सकती हैं. कोई कारोबार के लिए लोन ले और कारोबार न चले तो पैसा डूब जाता है. कई लोग ऐसे भी होते हैं जो क्रेडिट कार्ड का गैर जिम्‍मेदारी के साथ अंधाधुंध इस्तेमाल करते हैं और फिर मोटे ब्याज के साथ कर्ज चुकाना भारी पड़ जाता है. कई लोग बेरोजगार हो जाने के कारण कर्ज नहीं चुका पाते. बैंक या महाजन के कर्ज के बोझ में दबे किसानों की खुदकुशी की खबरें तो अक्सर आती रही हैं. कोविड के दौरान ऐसे कई मामले सामने आए जब लोगों की नौकरियां चली गईं और लोग कर्ज नहीं चुका पाए और मौत को गले लगा लिया. 

बढ़ते जा रहे हैं खुदकुशी के मामले

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की एक्‍सीडेंटल डेथ्‍स एंड सुसाइड इन इंडिया रिपोर्ट 2022 के मुताबिक में खुदकुशी की दर बढ़ती जा रही है, जो 2019 में 9.9 खुदकुशी प्रति एक लाख थी वो 2021 में बढ़कर 12 और 2022 में बढ़कर 12.4 खुदकुशी प्रति एक लाख व्यक्ति हो गई. 2021 में खुदकुशी के 1,64,033 केस सामने आए जो 2022 में बढ़कर 1,70,924 हो गए. इस ग्राफ में आप देख सकते हैं कि 1966 में जारी हुई पहली एक्‍सीडेंटल डेथ्‍स एंड सुसाइड इन इंडिया रिपोर्ट से लेकर अब तक खुदकुशी की दर किस तरह से घटी और बढ़ी है. पिछले कुछ साल से ये दर बढ़ ही रही है. 

अगर राज्यवार खुदकुशी की दर देखें तो पता चला कि 2022 में मध्य और दक्षिण भारत के राज्यों में खुदकुशी की दर उत्तर भारत और उत्तर पूर्व के राज्यों से कहीं ज्‍यादा है. हालांकि एक अपवाद ये है कि खुदकुशी की सबसे अधिक दर सिक्किम में है जहां प्रति एक लाख पर खुदकुशी की दर 43.1 है. केरल में ये 28.5 है, तमिलनाडु में 25.9, छत्तीसगढ़ में 28.2 और तेलंगाना में 26.3 है. संख्यावार देखें तो सबसे ज़्यादा खुदकुशी महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्यप्रदेश में हुईं पूरे देश की लगभग एक तिहाई खुदकुशी. 

सुसाइड के ये हैं कारण 

अगर ये देखें कि खुदकुशी के लिए सबसे बड़ी वजहें कौन सी रहीं तो कई चौंकाने वाले तथ्‍य सामने आते हैं.  

  • 2022 में सबसे अधिक 54,410 खुदकुशी पारिवारिक कारणों से हुईं. 
  • 30,446 खुदकुशी के मामलों के पीछे बीमारियां वजह रहीं, जिनमें मानसिक स्वास्थ्य भी शामिल है. 
  • 15,466 मामलों में शादी, दहेज और अन्य रिश्तों को वजह बताया गया. 
  • कर्ज, गरीबी या बेरोजगारी के कारण खुदकुशी के 11, 681 मामले सामने आए. 
  • शराब या ड्रग्स के कारण 10,560 खुदकुशी के मामले सामने आए.

ख़ुदकुशी के इन तमाम मामलों पर लगाम लगाई जा सकती है अगर मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोग जागरूक हो जाएं, तनाव घिरने पर किसी मनोचिकित्सक से सलाह लें,  लेकिन इसे लेकर भारत में अब भी जागरूकता उतनी नहीं है. हालांकि आज हम यहां बात कर रहे हैं कर्ज या गरीबी के कारण होने वाली खुदकुशी की. इसी साल 2 अप्रैल को सरकार ने संसद में NCRB के आंकड़ों के हवाले से उन राज्यों की जानकारी दी, जहां कर्ज या दिवालिएपन के कारण सबसे ज्‍यादा  खुदकुशी की गईं. 2022 के आंकड़ों के मुताबिक, इन राज्‍यों में सबसे ज्‍यादा खुदकुशी के मामले सामने आए हैं. 

  • महाराष्‍ट्र में कर्ज या दिवालिएपन के कारण सबसे ज्‍यादा 1941 मामले दर्ज
  • इसके बाद कर्नाटक में 1,401
  • तेलंगाना में 1,163
  • आंध्रप्रदेश में 912
  • तमिलनाडु में 844 ख़ुदकुशी आर्थिक वजहों से की गईं. 

कर्ज न चुका सकें तो क्‍या है कानूनी विकल्‍प?

अकेले इन पांच राज्यों में वित्तीय वजहों से खुदकुशी के 89% केस दर्ज किए गए. इससे ये भी साफ होता है कि जिन राज्यों में आर्थिक गतिविधियां जितनी ज्‍यादा हैं, वहां वित्तीय समस्याओं से खुदकुशी के मामले उतने ही ज्‍यादा हैं. इन राज्यों में लोग ज्‍यादा आर्थिक जोखिम उठाते हैं और नाकाम रहने पर खुदकुशी जैसे कदम उठा लेते हैं. इसे रोकने के लिए हर स्तर पर कदम उठाए जाने की जरूरत है. वैसे एक सवाल ये भी है कि अगर कोई किसी कारण से कर्ज के बोझ में इतना दब जाता है कि लौटा नहीं सकता तो उसके सामने क्या कानूनी विकल्प हैं. इस पर हमने सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट आशुतोष श्रीवास्तव से बात की. 

उन्‍होंने कहा कि ऐसे मामलों के लिए दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 (Insolvency and Bankruptcy Code, 2016) है. यदि कुछ गलत नहीं किया गया है और कंपनी घाटे में चली जाती है तो वह अपनी तरफ इंसोल्‍वेंसी प्रोसिडिंग शुरू कर सकते हैं और उनकी जितनी भी संपत्ति है उससे शेयर डोल्‍डर्स को पैसा दिया जा सकता है. आईबीसी के पार्ट-3 में व्‍यक्ति, साझेदारों, प्रोपराइटर्स के लिए भी प्रावधान है. यदि किसी व्‍यक्ति ने फाइनेंशियल इंस्‍टीट्यूट से लोन लिया है और उसे नुकसान हो गया और उसके पास अपने कर्जे को चुकाने के लिए बिलकुल भी पैसा नहीं है और अगर वो बेहद गंभीर परिस्थिति से गुजर रहा है तो वो भी चाहे तो डेब्‍ट रिकवरी ट्रिब्‍यूनल के जरिए अपनी प्रोसिडिंग फाइल कर सकता है और वो यह घोषणा करने के लिए जा सकता है कि मैंने लोन लिया था, लेकिन अब मैं लोन नहीं चुका सकता हूं. ऐसी स्थिति में एप्‍लीकेशन फाइल कर सकता है और उसके बाद कोर्ट उसकी संपत्तियों और देनदारियों को तय करता है. इसके बाद उसके जितना कर्ज बनता है, उसे अनुपात में चुकाया जा सकता है. 

इसमें लोन लेने वाले को सबसे ज्‍यादा बेनिफिट होता है कि लोग घबराते हैं कि यदि उसने कर्ज नहीं चुकाया तो कहीं उनके खिलाफ कोई क्रिमिनल केस न फाइल हो जाए  या कोई चीटिंग या फ्रॉड का मामला दर्ज न हो जाए. इन दिनों ऐसे भी एफआईआर होते हैं, जिनमें लोन लेने वाले के परिवार को भी आरोपी बनाया जाता है और वो भी इस पूरी प्रक्रिया में प्रताडि़त होते हैं. इसी से बचने के लिए लोग सुसाइड का कदम उठा लेते हैं. हालांकि उन्‍होंने कहा कि कानून में हर तरह का प्रावधान है. 

हेल्पलाइन
वंद्रेवाला फाउंडेशन फॉर मेंटल हेल्‍थ 9999666555 या help@vandrevalafoundation.com
TISS iCall 022-25521111 (सोमवार से शनिवार तक उपलब्‍ध - सुबह 8:00 बजे से रात 10:00 बजे तक)
(अगर आपको सहारे की ज़रूरत है या आप किसी ऐसे शख्‍स को जानते हैं, जिसे मदद की दरकार है, तो कृपया अपने नज़दीकी मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञ के पास जाएं)

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