दिल्ली के लुटियंस जोन को देश का पावरहाउस भी कहा जाता है. पावरहाउस इसलिए भी क्योंकि ये दिल्ली का वो इलाका है जहां देश के प्रधानमंत्री, कई कैबिनेट मंत्रियों, बड़े-बड़े उद्योगपति समेत कई प्रभावशाली हस्तियों की रिहायश है. ये वही इलाका है जहां से देश के भविष्य के निर्माण की योजनाएं तैयार की जाती है. जिनका असर बाद आप और हम जैसे आम लोगों की जिंदगी पर पड़ता है. लुटियंस जोन को लुटियंस दिल्ली के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन क्या आपने ये कभी जानने की कोशिश की कि आखिर ये लुटियंस दिल्ली या यूं कहें कि लुटियन जोन बना कैसे और इसे बनाने की जरूरत क्यों पड़ी.और आखिर इसका नाम लुटियन जोन ही क्यों है. चलिए, आज हम लुटियन जोन के इतिहास और उससे जुड़ी कई अहम बातें आपको विस्तार से बात करने जा रहे हैं.
लुटियंस जोन को आखिर क्यों बनाया गया था?
लुटियंस जोन की कहानी देश की राजधानी के कोलकाता से दिल्ली शिफ्ट होने से शुरू होती है. 12 दिसंबर 1911 को जब ये तय किया गया कि देश की राजधानी अब कोलकाता नहीं बल्की दिल्ली होगी, तो अंग्रेजों के सामने इसे बनाने और संवारने की बड़ी चुनौती थी. उस दौर में अंग्रेजों के दिमाग में ये बात तय थी कि उन्हें दिल्ली के कई हिस्से ऐसे बनाने हैं जो सिर्फ और सिर्फ बड़े अंग्रेज अधिकारियों और अंग्रेज रईसों के लिए ही होंगे. इन इलाकों में भारतीयों के आने-जाने की मनाही होगी. दिल्ली के राजधानी बनते ही इसके सौंदर्यीकरण का काम शुरू किया गया. और इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस (Sir Edwin Lutyens) को.
एडविन लुटियंस ने उस समय की सरकार ने दिल्ली एक ऐसा इलाका बनाने की जिम्मेदारी सौंपी जो बेहद पॉश और भारत के दूसरे इलाकों से बिल्कुल अलग और अनोखी हो. चुकी इस पूरे इलाके को लुटियंस ने डिजाइन किया था, यही वजह है कि इस पूरे एरिया को लुटियंस जोन के नाम से जाना जाता है. लुटियंस ने आर्किटेक्ट की टीम को लीड करते हुए दिल्ली के बीचों बीच वॉयसरॉय हाउस बनाया, जिसे आज हम राष्ट्रपति भवन के नाम से जानते हैं. इस जोन का निर्माण 1931 में पूरा किया गया था.
क्यों इतना खास है ये लुटियंस जोन?
लुटियंस जोन में मौजूद तमाम प्रॉपर्टी दिल्ली के दूसरे इलाकों की तुलना में सबसे महंगी है. इस जोन के अंदर मौजूद बंगलों की कीमत दूसरे इलाकों तुलना में कई गुणा ज्यादा होती है. ऐसे में यहां वही लोग बंगला खरीद सकते हैं जिनकी सालाना कमाई करोड़ों में हो. कई-कई बंगलों की कीमत तो 500 -500 करोड़ तक भी जाती है. यही वजह है कि यह इलाका दूसरे इलाकों से बिल्कुल अलग है.
लुटियंस दिल्ली कैसे पड़ा नाम?
लुटियंस जोन को लुटियंस दिल्ली भी कहा जाता है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इस जोन में पड़ने वाले इलाके दिल्ली की शान हैं. लुटियंस जोन में कनॉट प्लेस, जनपथ, पीएम आवास, नेशनल म्यूजिमय, इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन, कर्तव्य पथ जैसी जगहें आती हैं. आज की तारीख में ये वो इलाके हैं जो दिल्ली की पहचान हैं. चुंकि ये इलाके लुटियंस जोन में पड़ते हैं इसलिए इसे लुटियंस दिल्ली के नाम से भी जाना जाता है. यहीं पर सांसदों से लेकर लोकसभा स्पीकर, उपराष्ट्रपति और अन्य अहम सरकारी कार्यालयों के हेड, मंत्रियों के बंगले मौजूद हैं.