"यह केंद्र सरकार की बेशर्मी थी कि..." : MCD मेयर चुनाव मामले में SC की टिप्पणी पर AAP नेता सौरभ भारद्वाज

बीजेपी और आम आदमी पार्टी के खींचतान के बीच 6 व 24 जनवरी व 6 फरवरी को दिल्‍ली नगर निगम के पार्षदों की बैठक हुई लेकिन मेयर का चुनाव नहीं हो सका था.

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AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, केंद्र सरकार ने बेइमानी करके तीन बार सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी
नई दिल्‍ली:

दिल्‍ली नगर निगम (MCD) के मेयर का चुनाव अब 16 फरवरी को नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की 17 फरवरी को सुनवाई करेगा.  MCD मेयर चुनाव मामले में सुनवाई के दौरान SC ने कहा कि मनोनीत पार्षद वोट नहीं कर सकते और संवैधानिक प्रावधान इस बारे में स्पष्ट हैं. सु्प्रीम कोर्ट की इस टिप्‍पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी (AAP) नेता सौरभ भारद्वाज ने केंद्र सरकार और बीजेपी पर निशाना साधा है. भारद्वाज ने कहा, "वेल सेटल्ड लॉ है कि नॉमिनेटेड काउंसलर वोट नहीं डाल सकते. मेयर के चुनाव पहले कराए जाते हैं और मेयर ही बाक़ी दो चुनाव कराते हैं. लेकिन यह केंद्र सरकार की बहुत बड़ी बेशर्मी थी कि छोटे से MCD का चुनाव जीतने के लिए उसने बेईमानी करके  3 बार सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी. "

उन्‍होंने कहा, "इस मामले को लेकर AAP, देश के सबसे बड़े कोर्ट (सुप्रीम कोर्ट) में लेकर गई. आज सुप्रीम कोर्ट ने यह बात साफ़ कर दी और केंद्र सरकार के वक़ील से पूछा कि यह कैसे संभव है कि नॉमिनेटेड काउंसलर वोट डालेंगे. जब हमारे वकील ने कहा कि ज़बरदस्ती नॉमिनेटेड काउंसलर से वोट डलवाया जा रहा है, तो कोर्ट ने यह कहा कि यह बात क़ानून में है कि वे वोट नहीं डाल सकते हैं. दूसरी बात कोर्ट ने यह कही कि सुप्रीम कोर्ट जब तक फ़ैसला नहीं करता, तब तक केंद्र सरकार और LG ज़बरदस्ती मेयर का चुनाव न कराएं. हम सुप्रीम कोर्ट का बहुत बहुत धन्यवाद करते हैं कि एक संस्था तो आज देश में ऐसी बची है, जहां पर क़ानून का राज है. जिस पर केंद्र सरकार या किसी का भी कोई दबाव नहीं है."
    
गौरतलब है कि बीजेपी और आम आदमी पार्टी के खींचतान के बीच 6 व 24 जनवरी व 6 फरवरी को दिल्‍ली नगर निगम के पार्षदों की बैठक हुई लेकिन मेयर का चुनाव नहीं हो सका था. उप राज्यपाल (LG) द्वारा नामांकित 10 पार्षदों को वोट देने की अनुमति दिए जाने के बाद आम आदमी पार्टी के सदस्यों के भारी विरोध के बीच नगर निगम की बैठक को रद्द कर दिया गया था. दिसंबर में हुए MCD चुनावों में आम आदमी पार्टी विजेता के रूप में उभरी थी. उसने 134 वार्डों में जीत हासिल की और निकाय निकाय में बीजेपी के 15 साल के शासन को समाप्त कर दिया. बीजेपी ने 104 वार्ड जीतकर दूसरा स्थान हासिल किया था जबकि कांग्रेस महज नौ सीटें ही जीत पाई थी.

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