मां-बाप बेटे को बेदखल कर दें, तो क्या बहू को भी घर छोड़ना होगा? जानें दिल्ली HC ने क्या कहा

कोर्ट ने कहा कि मौजूदा व्यवस्था, जहां सास पहली मंजिल पर रहती है और बहू ग्राउंड फ्लोर पर, यह दोनों पक्षों के बीच बैलेंस रखने के लिए बिल्कुल सही है.

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कोर्ट् ने कहा कि बहू को बेदखल नहीं किया जा सकता (सांकेतिक फोटो)
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  • दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि ससुराल वालों द्वारा बेटे को घर से निकालने पर भी बहू को वहीं रहने का अधिकार है.
  • शादी के बाद पत्नी का घर में रहना घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत साझा घर में रहने का अधिकार है.
  • कोर्ट ने कहा कि बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के बहू को घर से बेदखल नहीं किया जा सकता.
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नई दिल्ली:

अगर माता-पिता अपने बेटे को घर से बाहर निकाल देते हैं तो क्या बहू को भी घर से जाना होगा, इस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम फैसला दिया है. अदालत का कहना है कि ऐसी स्थिति में भी बहू के पास उसी घर में रहने का अधिकार है. कोर्ट ने कहा कि शादी के तुरंत बाद घर में रहने वाली पत्नी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत 'साझा घर' मानी जाती है. अगर बाद में पति को उसके माता-पिता त्याग भी दें तो भी उसके पास उसी घर में रहने का अधिकार है.  

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पत्नी के पास पति के माता-पिता के घर में रहने का हक

घरवाले अपने ही बेटे को त्याग भी दें तो भी बहू को घर में पहने से नहीं रोका जा सकता. हाई कोर्ट ने कहा कि वह शेयर्ड हाउसहोल्ड कहलाएगी. कानून उसे पति के घर में रहने का हक देता है. जस्टिस संजीव नरूला ने एक महिला की सास और ससुर की तरफ से दायर याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की.

जस्टिस नरूला ने 16 अक्टूबर को पारित एक आदेश में कहा कि उचित कानूनी प्रक्रिया के अलावा बहू को घर से बेदखल नहीं किया जा सकता. बता दें कि बहू का पक्ष कोर्ट में वकील संवेदना वर्मा ने रखा, जबकि सास-ससुर का केस अधिवक्ता काजल चंद्रा लड़ रही थीं. 

बेटे को बेदखल किया फिर भी बहू को घर से नहीं निकाल सकते

याचिका के मुताबिक, यह विवाद एक दशक से भी ज़्यादा समय से चल रहा था. साल 2010 में महिला की शादी हुई थी. उसका अपने ससुराल वालों के साथ विवाद घर में रहने के बाद शुरू हुआ. 2011 में उसके वैवाहिक संबंधों में खटास आ गई, जिसकी वजह से दोनों पक्षों के बीच कई आपराधिक मुकदमे चले. याचिकाकर्ता सास का कहना था कि वह घर ससुर दलजीत सिंह का था. इसलिए इसे घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम के तहत शेयर हाउस नहीं माना जा सकता.

बहू के पास साझा घर में रहने का अधिकार

बता दें कि आपसी मतभेदों की वजह से पति-पत्नी नवंबर 2011 में किराए के मकान में रहने चले गए थे. ससुराल वालों का कहना था कि कपल के घर छोड़ने से पहले उन्होंने अपने बेटे को संपत्ति से बेदखल कर दिया था. लाइव लॉ की खबर के मुताबिक, महिला ने सुराल वालों के दावे का खंडन कर दावा किया कि ससुराल वाले उसे बेदखल करने के लिए उसका सामान किराए के एक कमरे में रख रहे थे. जिसके  बाद उसने पति और ससुराल वालों के खिलाफ घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत केस दर्ज करवाया था. जिसमें साझा घर में रहने का अधिकार होने का दावा किया गया.

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हालांकि, कोर्ट ने कहा कि मौजूदा व्यवस्था, जहां सास पहली मंजिल पर रहती है और बहू ग्राउंड फ्लोर पर, यह दोनों पक्षों के बीच बैलेंस रखने के लिए बिल्कुल सही है. कोर्ट ने कहा कि बहू को घर में रहने का अधिकार है. 


 

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