दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को कहा कि वह दिल्ली के तीनों नगर निगमों को एकीकृत करने के लिए संसद में पेश किए गए विधेयक का अध्ययन करेंगे और अगर जरूरत पड़ी, तो इसे अदालत में चुनौती देंगे. उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा दिल्ली का बजट पेश किये जाने के बाद केजरीवाल ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही. राष्ट्रीय राजधानी में तीनों नगर निगमों का आपस में विलय करके उन्हें एक एकीकृत इकाई बनाने संबंधी विधेयक शुक्रवार को लोकसभा में पेश किया गया. हालांकि, विपक्ष ने दावा किया है कि यह कदम संसद की विधायी क्षमता के परे है. विधेयक में कुल वार्ड की संख्या 272 से घटाकर 250 करने का भी प्रस्ताव है.
वर्तमान में दिल्ली में तीन नगर निगम - उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी), दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) और पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) हैं, जिनमें कुल 272 वार्ड हैं. एनडीएमसी और एसडीएमसी में से प्रत्येक में 104 वार्ड हैं, जबकि ईडीएमसी में 64 वार्ड हैं.
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मुख्यमंत्री ने कहा, ‘एमसीडी विधेयक केवल (नगर निगम) चुनाव में देरी करने की मंशा से लाया गया है. वार्ड की संख्या कम करने के पीछे क्या तर्क है? हम विधेयक का अध्ययन करेंगे और जरूरत पड़ने पर इसे अदालत में चुनौती देंगे.'
विशेषज्ञों ने शुक्रवार को कहा था कि निकाय चुनाव अब पांच से छह महीने बाद ही होने की संभावना है, क्योंकि तीन निगमों के पुन: एकीकरण के बाद नये सिरे से परिसीमन प्रक्रिया की आवश्यकता होगी.
विधेयक के अनुसार, विलय किए गए नगर निगम में सीटों की संख्या 250 से अधिक नहीं होगी और पुन:एकीकरण कानून के तहत जब तक कि निकाय की पहली बैठक आयोजित नहीं होती, तब तक के लिए एक विशेष अधिकारी को इसके कार्य की देखरेख के लिए नियुक्त किया जा सकता है.
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कांग्रेस की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि भाजपा नगर निकाय चुनाव में सिर्फ अपनी हार टालने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा, ‘यह कदम भाजपा द्वारा नगर निकाय चुनावों में अपनी हार को टालने के लिए रची गई साजिश है. मसौदा विधेयक में इसका कहीं उल्लेख नहीं है कि एमसीडी की वित्तीय स्थिति कैसे सुधारी जाएगी.'
भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा था कि इस विधेयक से निगम और उसके कर्मचारियों को फायदा होगा. उन्होंने कहा, ‘यह कदम एमसीडी को मजबूत करेगा और स्वच्छता, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी उसकी सेवाओं में सुधार होगा. दिल्ली सरकार धन नहीं देकर नगर निकायों को परेशान कर रही है. वे (आप सरकार) एमसीडी को कमजोर कर रहे थे. एकीकरण से एमसीडी कर्मचारियों को मदद मिलेगी और वेतन और बकाये का समय पर वितरण सुनिश्चित होगा.'
पूर्ववर्ती एमसीडी को 2011 में तीन भागों में विभाजित किया गया था.
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