दिल्ली उच्च न्यायालय ने आबकारी नीति मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से जुड़ी निचली अदालत की कार्यवाही की रिकॉर्डिंग कथित रूप से सोशल मीडिया पर साझा करने को लेकर उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल से मंगलवार को जवाब दाखिल करने को कहा. उच्च न्यायालय ने सुनीता केजरीवाल के खिलाफ दायर याचिका पर उन्हें यह जवाब देने का निर्देश दिया है.
सुनीता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने अदालत से अनुरोध किया कि उनका नाम याचिका में पक्षकारों की सूची से ‘‘हटा दिया जाए.'' उन्होंने कहा कि सुनीता ने रिकॉर्डिंग को महज 'री-ट्वीट' किया था और उन्होंने रिकॉर्डिंग नहीं की थी.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अदालती कार्यवाही को रिकॉर्ड नहीं किया जा सकता और इंटरनेट पर साझा नहीं किया जा सकता. पीठ ने वकील से कहा कि वह जवाब के रूप में अपना पक्ष रखें. पीठ में न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला भी शामिल थे.
पक्षकारों ने अदालत को मंगलवार को बताया कि निर्देश का पालन करते हुए सोशल मीडिया से सामग्री हटा दी गई है.
मेटा के वकील ने कहा कि उनके लिए अवकाशकालीन पीठ के निर्देशों का पालन करना संभव नहीं था, जिसमें यह सुनिश्चित करने को कहा गया था कि सामग्री पुनः अपलोड न की जाए. अदालत ने सोशल मीडिया मंच से इस संबंध में उचित आवेदन दायर करने को कहा.
वकील वैभव सिंह ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दावा किया कि दिल्ली आबकारी नीति मामले में गिरफ्तारी के बाद जब अरविंद केजरीवाल को 28 मार्च को निचली अदालत में पेश किया गया तो उन्होंने अपना पक्ष अदालत में खुद रखा था. उन्होंने कहा कि कार्यवाही की रिकॉर्डिंग को सोशल मीडिया मंचों पर साझा की गई, जो दिल्ली उच्च न्यायालय की अदालत के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियम 2021 के तहत निषिद्ध है.
उन्होंने आरोप लगाया कि सुनीता केजरीवाल और कई अन्य लोगों ने इस वीडियो को फिर से पोस्ट किया. मामले की अगली सुनवाई सात अक्टूबर को होगी.
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