- दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में AQI 300 से अधिक दर्ज किया गया है.
- वाहनों, उद्योगों से निकलने वाला धुआं, निर्माण कार्य और पराली जलाने से प्रदूषण में तेज़ी से वृद्धि हो रही है.
- आगामी दिनों में भी दिल्ली की हवा का स्तर बेहद खराब रहने की संभावना है और धुंध की स्थिति बनी रहेगी.
दिल्ली-एनसीआर जहरीली हवा की गिरफ्त में है और भीषण प्रदूषण का सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है.गुरुवार को भी दिल्ली की वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' दर्ज की गई. दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 300 से अधिक दर्ज किया गया. सुबह 6 बजे वजीरपुर- DPCC में एक्यूआई 321, जहांगीरपुरी- 340, पंजाबी बाग में 304 और ITO- 304 दर्ज किया गया. जबकि ग्रेटर नोएडा में 321 और गाजियाबाद में 335 एक्यूआई दर्ज किया गया. यानी इस वक्त दिल्ली-एनसीआर के कई इलाके एक 'गैस चैंबर' बने हुए हैं. प्रदूषण के कारण कई लोगों को सांस, आंखों और त्वचा से जुड़ी कई समस्याएं हो रही हैं.
क्या है वायु खराब होने का कारण
वाहनों और उद्योगों से निकलने वाला धुआं, निर्माण गतिविधियां और पराली खबर वायु गुणवत्ता के प्रमुख कारण माने जा रहे हैं. इसके अलावा मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियां, जैसे कम हवा की गति भी हवा जहरीली होने का कारण बन रही है. बुधवार को दिल्ली के प्रदूषण में गाड़ियों से निकलने वाले धुएं का योगदान 16 प्रतिशत था, जो स्थानीय प्रदूषण कारकों में सबसे ज्यादा है.
कब मिलेगी राहत
अगले कुछ दिनों तक शहर का एक्यूआई 'बेहद खराब' श्रेणी में रहने की आशंका है. IMD पूर्वानुमान में रात में धुंध छाए रहने की भी संभावना जताई गई है. यानी आनेवाले दिनों में भी यही स्थिति रहने वाली है.
सरकार क्या उठा रही कदम
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सभी सरकारी एजेंसियों को प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए युद्ध स्तर पर काम करने का बुधवार को निर्देश दिया और शहर के प्रदूषण नियंत्रण प्रयासों की निगरानी करने तथा उन्हें मजबूत बनाने के लिए विशेष शक्तियों वाली एक समिति के गठन की घोषणा की. दिल्ली सचिवालय में एक अंतर-विभागीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए, गुप्ता ने कहा कि उनकी सरकार प्रदूषण को एक 'आपातकालीन मिशन' के रूप में ले रही है और राष्ट्रीय राजधानी में हवा की गुणवत्ता व स्वच्छता मानकों को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार एजेंसियों द्वारा किसी भी चूक को बर्दाश्त नहीं करेगी.
एक बयान के अनुसार, अनुपालन की निगरानी और सुधारात्मक कार्रवाई लागू करने के लिए सरकार द्वारा समिति को विशेष शक्तियां प्रदान की जाएंगी.
सेहत पर पड़ता है बुरा असर
विशेषज्ञों के अनुसार, इस स्तर की खराब वायु गुणवत्ता पर लंबे समय तक रहने से सांस की बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है. अस्थमा के लोगों को खासा परेशानी इस दौरान होती है. इतना नहीं नहीं स्वस्थ लोग भी आंखों में जलन, गले में खराश, लगातार खांसी और सांस लेने में तकलीफ का सामना कर रहे है.बच्चों और बुजुर्गों को इस स्थिति में विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है.
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