हाल ही में यह खबर सामने आई थी कि दिल्ली के सरकारी और निजी स्कूलों के शिक्षक सड़क पर आवारा कुत्तों की गिनती करेंगे. कथित तौर पर गणना अभियान के लिए शैक्षणिक संस्थानों से नोडल अधिकारी नियुक्त करने का आदेश दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय के द्वारा सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को दिया गया है. हालांकि अब इस खबर को लेकर दिल्ली सरकार की ओर से इस खबर को लेकर खंडन और साफ इनकार किया गया है. दिल्ली सरकार ने इसे लेकर स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा है कि इसमें आवारा कुत्तों गिनती संबंधित किसी तरह का उल्लेख नहीं किया गया है.
दिल्ली सरकार ने स्पष्टीकरण में क्या कहा
दिल्ली सरकार स्पष्ट रूप से उन रिपोर्ट्स का खंडन करती है जिनमें दावा किया गया है कि शिक्षकों को आवारा कुत्तों की गिनती करने का आदेश दिया गया है. शिक्षा निदेशालय (DoE) द्वारा 5 दिसंबर को जारी सर्कुलर में शिक्षकों को आवारा कुत्तों से संबंधित मामलों के लिए नोडल अधिकारी के रूप में नामित करने और उनकी जानकारी मुख्य सचिव को भेजने का निर्देश दिया गया है, लेकिन इसमें कुत्तों की गिनती का कोई उल्लेख नहीं है. यह कदम सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने के लिए उठाया गया है, जिसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों और बस स्टैंडों से आवारा कुत्तों को हटाकर निर्दिष्ट शेल्टरों में स्थानांतरित करने, उनकी नसबंदी और टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने का आदेश दिया गया है. दिल्ली सरकार ने स्पष्ट किया है कि शिक्षकों को आवारा कुत्तों की गिनती करने के लिए नहीं कहा गया है.
दिल्ली सरकार नागरिकों की सुरक्षा और पशु कल्याण को प्राथमिकता देते हुए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का सख्ती से पालन कर रही है. हम शिक्षकों की भूमिका का सम्मान करते हैं और उन्हें गैर-शैक्षणिक कार्यों में नहीं लगाना चाहते, बल्कि यह प्रक्रिया पशु कल्याण और मानवीय सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने के लिए है. ऐसी भ्रामक खबरें फैलाने से बचें और सरकार की सकारात्मक पहलों का समर्थन करें, ताकि दिल्ली एक सुरक्षित और संवेदनशील शहर बने.
शिक्षक संगठनों ने जाहिर की थी नाराजगी
आदेश जारी होने को लेकर शिक्षक संगठनों ने नाराजगी जाहिर की थी. इसके बाद शिक्षक संगठनों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. शिक्षकों का मानना है कि शिक्षा एक पवित्र पेशा है और उन्हें लगातार गैर-शैक्षणिक कार्यों (Non-teaching duties) में लगाया जा रहा है. उनका सवाल है कि आवारा कुत्तों की गिनती का काम पशुपालन विभाग को क्यों नहीं दिया गया? शिक्षकों की अनुपस्थिति में स्कूलों में शैक्षणिक गुणवत्ता का क्या होगा? क्या इससे समाज में शिक्षकों के सम्मान को ठेस नहीं पहुंचेगी?
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