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Delhi Election Results 2025: BJP ने दिल्ली में 27 साल बाद कैसे खिलाया कमल, 10 प्वाइंट में जानें

BJP won Delhi Election: दिल्ली विधानसभा चुनाव के रूझानों में बीजेपी दिल्ली में स्पष्ट बहुमत हासिल करते हुए दिख रही है. अगर ऐसा होता है तो बीजेपी की दिल्ली में 27 साल बाद वापसी होगी. आइए 10 प्वाइंट में समझते हैं दिल्ली में बीजेपी ने इस कारनामे को कैसे किया.

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नई दिल्ली:

दिल्ली विधानसभा चुनाव की मतगणना जारी है. अब तक मिले रुझानों के मुताबिक बीजेपी दिल्ली में 27 साल बाद वापसी करती नजर आ रही है. अभी तक सभी 70 सीटों के रूझान आ गए हैं. इनमें बीजेपी 41 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है तो आम आदमी पार्टी को 29 सीटों पर बढ़त हासिल है.ये रूझान बता रहे हैं कि दिल्ली में अगली सरकार बीजेपी की बनने जा रही है.बीजेपी दिल्ली में 27 साल बाद वापसी कर रही है. बीजेपी ने दिल्ली में अंतिम चुनाव 1993 में जीता था.आइए जानते हैं कि दिल्ली में बीजेपी को मिली इस बंपर जीत के प्रमुख कारण क्या हैं. 

भ्रष्टाचार पर हमला

दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने 2021 में नई आबकारी नीति जारी की थी. इसके जारी होने के बाद से ही बीजेपी इसमें भ्रष्टाचार के आरोप लगाने शुरू कर दिए थे. उसने इसकी शिकायत उपराज्यपाल से की. उन्होंने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी. बाद में इस जांच में प्रवर्तन निदेशालय भी शामिल हो गया. इस मामले में जांच एजेंसियों ने अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, राज्य सभा सांसद संजय सिंह को गिरफ्तार कर लिया. इस समय ये नेता जमानत पर बाहर हैं.कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन भी भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेजे गए. आप के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुद्दे को बीजेपी पिछले काफी समय से गरमाए रखा. यह एक ऐसा मुद्दा था, जिस पर आम आदमी पार्टी को डिफेंसिव होना पड़ा. भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से पैदा हुई आम आदमी पार्टी अपने दामन पर लगे भ्रष्टाचार के दाग को छुड़ा नहीं पाई. 

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केजरीवाल का शीश महल

बीजेपी दिल्ली में पिछले काफी समय से मुख्यमंत्री आवास को मुद्दा बनाए रखी. मुख्यमंत्री आवास को बीजेपी शीशमहल बताती है. इस साल तीन जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी ने अशोक विहार में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा,''मैं भी कोई शीशमहल बना सकता था, लेकिन मेरा सपना था कि देशवासियों को पक्का घर मिले. देश जानता है कि मोदी ने कभी अपने लिए घर नहीं बनाया.'' बीजेपी लगातार यह आरोप लगाती रही कि अरविंद केजरीवाल ने  मुख्यमंत्री आवास को सजाने पर करोड़ों रुपये खर्च कर दिए. बीजेपी इस मुद्दे को इसलिए गरमाए रखा कि अरविंद केजरीवाल के आम आदमी की छवि को तोड़ा जा सके. बीजेपी अपने इस मकसद में सफल रही. यह चुनाव परिणाम में नजर आ रहा है. 

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दिल्ली की बदहाली

दिल्ली कई इलाकों में नागरिक सुविधाओं की हालत आम आदमी पार्टी की सरकार में काफी खराब हुई है. दरअसल आम आदमी पार्टी कहती थी कि नगर निगम में बीजेपी का कब्जा है, इसलिए वह नागरिक सुविधाओं पर ध्यान नहीं दे पा रही है. लेकिन निगम चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने उस पर कब्जा कर लिया. इसके बाद भी नागरिक सुविधाओं की हालत नहीं सुधरी. नालियां बजबजाती रहीं और सड़कों पर सीवर का गंदा पानी बहता रहा. सड़कों का बुरा हाल रहा. दिल्ली के लोगों को इससे काफी परेशानी उठानी पड़ी. लेकिन आप की सरकार ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया. इसका खमियाजा आप को इस चुनाल में उठाना पड़ा है. 

पीने का गंदा पानी

दिल्ली के राजेंद्र नगर के डीडीए फ्लैट में अरविंद केजरीवाल पिछले साल दिसंबर में गए थे. वहां उन्होंने एक टैब को खोलकर उन्होंने पानी पिया था. इससे उन्होंने यह दिखाने की कोशिश की, दिल्ली जल बोर्ड अच्छे पानी की सप्लाई करता है. लेकिन इसके बाद बीजेपी ने पलटवार किया. बीजेपी नेता जगह-जगह आ रहे गंदे पानी को दिखाना शुरू कर दिया. बीजेपी नेता यह काम काम काफी लंबे समय तक करते रहे. वह इसे चुनावी मुद्दा बनाने में सफल रही.  

आम आदमी पार्टी को 'आपदा' बताना

दिल्ली के एक चुनावी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आम आदमी पार्टी को 'आपदा' बताया. इसके बाद बीजेपी का हर छोटा बड़ा नेता ने आप को आपदा कहना शुरू कर दिया. बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता इस बात को दिल्ली के लोगों तक पहुंचाने में कामयाब रहे. मतदाताओं इस बात को समझा और बीजेपी के पक्ष में मतदान किया.  

बीजेपी लंबी रणनीति

दिल्ली चुनाव के लिए बीजेपी ने दीर्घकालिक रणनीति बनाई थी. बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता पिछले काफी समय से दिल्ली की झुग्गी बस्तियों, दलितों, पिछड़ों और दूसरे क्षेत्रीय और जातिय समूहों के साथ समन्वय कर अपना विस्तार कर रहे थे. इस काम के लिए बाहर से भी लोगों को बीजेपी ने बुलाया था. ये लोग बिना शोर-शराबे के अपना काम करते रहे. इसका परिणाम यह निकला कि आम आदमी पार्टी अपने उन वोट बैंक को नहीं बचा पाई. दिल्ली में झुग्गी-झोपड़ियों में आप का मजबूत वोट बैंक था, लेकिन बीजेपी ने इसमें सेंध लगाई है. इसमें 'जहां झुग्गी, वहीं मकान' जैसी योजनाओं ने बड़ा काम किया.दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले चुनावी कार्यक्रम में इसी योजना के तहत मकान सौंपे थे.  

आरएसएस का मिला साथ

भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अनुसांगिक संगठन है. चुनाव के दौरान आरएसएस पर्दे के पीछे से बीजेपी की मदद करता है. इस बार के चुनाव में आरएसएस के स्वयंसेवक और प्रचारक बीजेपी के पक्ष में लगातार सक्रिय रहे. वो इस काम में चुनाव का माहौल बनने के पहले से ही लग गए थे. 

मजबूत उम्मीदवार 

बीजेपी ने इस बार के चुनाव में उम्मीदवारों चयन में बहुत सावधानी बरती. उसने अपने बड़े नेताओं को चुनाव मैदान में लड़ने के लिए उतार दिया. प्रवेश वर्मा, रमेश बिधूड़ी, दुष्यंत गौतम जैसे नेताओं का उम्मीदवार बनाना इसी रणनीति का हिस्सा था. इसका फायदा भी बीजेपी को मिलता दिख रहा है. हालांकि बीजेपी के बड़े उम्मीदवार अच्छा प्रदर्शन तो नहीं कर पाए. लेकिन इसने कार्यकर्ताओं में इससे अच्छा मैसेज गया और वो पूरी ताकत के साथ मैदान में पार्टी के पक्ष में जुट गए. 

लोकसभा चुनाव में मिली सफलता

बीजेपी ने 2021 में ही दिल्ली में चुनाव जैसा माहौल बना दिया था. उसके नेता रोज किसी न किसी मुद्दे पर सड़क पर सक्रिय रहे. इसका फायदा उसे लोकसभा चुनाव में मिला. वह दिल्ली की सभी सातों सीटें जीतने में कामयाब रही. वह भी तब जब लोकसभा चुनाव आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था. बीजेपी लोकसभा चुनाव में बने माहौल को बनाए रखने में कामयाब रही. इसका असर विधानसभा चुनाव में भी दिखाई दे रहा है. 

मध्य वर्ग का मिला साथ

केंद्र सरकार ने पिछले साल दिसंबर में आठवें वेतन आयोग के गठन का ऐलान किया था. आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद केंद्र करकार के कर्मचारियों और पेंशनरों की सैलरी में बहुत बड़ा इजाफा होने की उम्मीद है. वित्तमंत्री निर्मला सीतमारमण ने एक फरवरी को पेश बजट में 12 लाख रुपये तक की आय को कर मुक्त करने का ऐलान किया. इसके अलावा उन्होंने मध्य वर्ग के लिए कई सुधारों की घोषणा की. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सरकार की इन घोषणाओं ने मध्य वर्ग में बीजेपी के प्रति धारणा को बदलने का काम किया. दिल्ली में मध्य वर्ग और सरकारी कर्मचारियों का बड़ा वोट बैंक हैं.  

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