CNS सिस्टम का तुरंत मॉडर्नाइजेशन की जरूरत, दिल्ली ATC में खामी के बाद ATSEPA की चेतावनी

दिल्ली हवाई अड्डे पर हाल में हुई गड़बड़ी ने एक बार फिर उस पुराने और गंभीर मुद्दे को उजागर किया है, जिसके बारे में ATSEPA (इंडिया) कई वर्षों से चेतावनी दे रहा है.

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  • दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों पर CNS सिस्टम के आधुनिकीकरण की मांग की गई
  • एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया को CNS इंजीनियरों की तकनीकी सिफारिशों को शामिल करने का सुझाव
  • दिल्ली एयरपोर्ट पर AMSS तकनीकी खराबी ने पुराने और बिना बैकअप सिस्टम की गंभीर समस्या को उजागर किया
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नई दिल्ली:

एयर ट्रैफिक सेफ्टी इलेक्ट्रॉनिक पर्सनेल एसोसिएशन (ATSEPA)-इंडिया ने विमानन अधिकारियों से अपील की है कि दिल्ली और मुंबई सहित बड़े हवाई अड्डों पर कम्युनिकेशन, नेविगेशन और सर्विलांस (CNS) सिस्टम का आधुनिकीकरण तुरंत किया जाए और इस पर विशेष फंडिंग सुनिश्चित की जाए. एसोसिएशन ने कहा है कि एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) को संचालन प्रणालियों की खरीद या उन्नयन के दौरान सीएनएस इंजीनियरों की तकनीकी सिफारिशों को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए.

देश में एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट (ATM) पेशेवरों का प्रतिनिधित्व करने वाली ATSEPA इंडिया का कहना है कि एटीएम प्रणाली में मौजूद संरचनात्मक असंतुलन को ठीक करने और सीएनएस आधुनिकीकरण को प्राथमिकता देने की अत्यंत आवश्यकता है. दिल्ली एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) में हाल ही में ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (AMSS) की तकनीकी खराबी का उल्लेख करते हुए, एसोसिएशन के पदाधिकारी योगेंद्र गौतम ने नागरिक उड्डयन मंत्री, सचिव और एएआई को पत्र लिखा है.

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पत्र में एसोसिएशन ने क्या लिखा?

पत्र में कहा गया है कि यह संकट पुराने और आधुनिक बैकअप रहित सिस्टम के कारण पैदा हुआ. पत्र में कहा गया है, "दिल्ली हवाई अड्डे पर हाल में हुई गड़बड़ी ने एक बार फिर उस पुराने और गंभीर मुद्दे को उजागर किया है, जिसके बारे में ATSEPA (इंडिया) कई वर्षों से चेतावनी दे रहा है. CNS इंफ्रास्ट्रक्चर को नजरअंदाज किया गया है और CNS इंजीनियरों द्वारा AAI नेतृत्व को दिए गए तकनीकी इनपुट को लगातार नजरअंदाज किया गया है. बार-बार चेतावनी और प्रस्तावों के बावजूद, सीएनएस सिस्टम के अपग्रेडशन, बैकअप व्यवस्था और प्रशिक्षित इंजीनियरों की उचित तैनाती को 24×7 आवश्यक सेवा के अनुरूप प्राथमिकता नहीं दी गई.”

इसी मुद्दे पर एयर ट्रैफिक कंट्रोलर भी कहते हैं कि AAI सिस्टम के अपग्रेडशन में काफी पीछे है. तेज़ी से बढ़ती उड़ानों की संख्या के अनुरूप एटीसी सिस्टम अपग्रेड और नियंत्रकों की भर्ती नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि कई वर्षों से यह चर्चा चल रही है कि एयर नेविगेशन सर्विसेज (ANS) को AAI से अलग कर एक स्वतंत्र इकाई बनाया जाए ताकि ATC को आवश्यक ध्यान मिले, लेकिन इस दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.

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CNS इंजीनियरों का सही उपयोग होना जरूरी

एसोसिएशन ने कहा कि आज भी कई प्रशिक्षित CNS इंजीनियरों को गैर-तकनीकी कार्यों में लगाया गया है, जबकि महत्वपूर्ण स्टेशनों पर तकनीकी स्टाफ की कमी रहती है. ऐसे में हमारी मांग है कि नए सिस्टम या अपग्रेड के दौरान CNS इंजीनियरों की राय अनिवार्य रूप से ली जाए साथ ही इंजीनियरों को केवल CNS सम्बंधित कार्यों में लगाया जाए. एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी एयर इंडिया विमान हादसे के बाद 8 जुलाई को पत्र लिखकर चेतावनी दी थी कि दिल्ली और मुंबई जैसे प्रमुख हवाई अड्डों पर मौजूदा ऑटोमेशन सिस्टम की कार्यक्षमता कमजोर देखी जा रही है. ऐसे में सिस्टम स्लो होने और बार-बार लैग आने की वजह से उड़ानों के संचालन की सुरक्षा और दक्षता पर असर पड़ रहा है. संगठन ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और सांसदों को लिखे पत्र में मांग की थी कि हवाई नेविगेशन सेवाओं में उपयोग हो रहे ऑटोमेशन सिस्टम की समय - समय पर समीक्षा हो, साथ ही उसका अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से आधुनिकीकरण किया जाए. लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया.

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दिल्ली एयरपोर्ट पर क्या हुआ?

ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (AMSS) में हुईं तकनीकी खराबी के कारण दिल्ली एयरपोर्ट पर गुरुवार के बाद शुक्रवार को भी एयर ट्रैफिक में समस्या आ गई. इसकी वजह से करीब 800 से ज्यादा उड़ानों पर असर पड़ा. इसमें कई फ्लाइटें देरी से रवाना या लैंड हुईं तो 20 उड़ानों को रद्द करना पड़ा. हालांकि, 20 घंटे से अधिक वक्त तक कड़ी मशक्कत के बाद रात 9 बजे के करीब सिस्टम को दोबारा ठीक किया जा सका.

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