दिल्ली दंगे में मारे गए हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल हत्या में शामिल फरार आरोपी गिरफ्तार

पूछताछ में पता चला कि साल 2010 में आरोपी दिल्ली आ गया था और यहीं रहने लगा था. उसने अपने दोस्तों के साथ फरवरी 2020 में सीएए के विरोध में भाग लेना शुरू किया, जहां वह कई दंगा भड़काने वालों और असामाजिक तत्वों के संपर्क में आया.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

साल 2020 में उत्तरी पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान मारे गए दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या के मामले में एक भगोड़े आरोपी को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. इन दंगों में एसीपी अनुज कुमार और डीसीपी अमित शर्मा समेत 50 अन्य पुलिसकर्मियों को चोटें आई थीं. क्राइम ब्रांच के डीसीपी रविन्द्र यादव के मुताबिक जनवरी 2020 में चांद बाग इलाके में सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहे थे.

23 फरवरी 2020 को प्रदर्शनकारियों धारा 144 लगे होने के बाद भी अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प की यात्रा के दौरान दुनिया भर में मीडिया का ध्यान खींचने के लिए चांद बाग में अपना अवैध विरोध जारी रखा. क्षेत्र में अत्यधिक तनाव को देखते हुए दिनांक 24 फरवरी 2020 अमित शर्मा, तत्कालीन डीसीपी शाहदरा और अनुज कुमार,एसीपी गोकुलपुरी को उनके स्टाफ के साथ  साथ चांद बाग इलाके में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात किया गया था. 

इसी दौरान दोपहर में, आयोजकों के आह्वान पर, डंडा , लाठी,  हथियार, लोहे की छड़ें, तलवारें, पत्थर, पेट्रोल बम और रासायनिक हथियार लेकर प्रदर्शनकारी वजीराबाद रोड की ओर भागने लगे. पुलिस अधिकारियों ने उन्हें सर्विस रोड पर लौटने का निर्देश दिया. हालांकि, प्रदर्शनकारियों की गैरकानूनी सभा ने उनके निर्देशों पर ध्यान नहीं दिया और हिंसक हो गए और पुलिस कर्मियों पर पथराव और पेट्रोल बम आदि फेंकने लगे. इसके बाद, प्रदर्शनकारी बेहद हिंसक हो गए और पुलिस कर्मियों पर हमला करना शुरू कर दिया. 

उन्हें शांत करने की कोशिश कर रहे 50 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए. कानून व्यवस्था की व्यवस्था के लिए तैनात हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल ने अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए. अमित शर्मा, तत्कालीन डीसीपी शाहदरा और अनुज कुमार, एसीपी ,गोकुलपुरी गंभीर रूप से घायल हो गए. हिंसक भीड़ ने सरकारी और निजी वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया और जला दिया. इस संबंध में थाना दयालपुर में केस दर्ज किया गया मामले की आगे की जांच क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दी गई है.

जांच के दौरान घटनास्थल के पास के सीसीटीवी और वीडियो फुटेज की जांच, सीडीआर की लोकेशन, गवाहों के बयानों,आरोपी व्यक्तियों के खुलासे के माध्यम से, 22 आरोपियों की पहचान की गई और उन्हें गिरफ्तार किया गया, जबकि 5 आरोपी फरार रहे और उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया.अपराधियों की पहचान के लिए एम्पेड वीडियो एन्हांस तकनीक का इस्तेमाल किया गया 

इसी बीच पुलिस टीम को पता चला कि एक आरोपी वसीम उत्तर प्रदेश के जिला अलीगढ़ में बेहद गुपचुप तरीके से रह रहा है. इसके बाद अलीगढ़ से जानकारी मिली तो पता चला कि आरोपी दिलशाद नाम की एक छोटी सी फैक्ट्री में काम करता है. इसके बाद आरोपी वसीम को अलीगढ़ से गिरफ्तार कर लिया गया.

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पूछताछ में पता चला कि साल 2010 में आरोपी दिल्ली आ गया था और यहीं रहने लगा था. उसने अपने दोस्तों के साथ फरवरी 2020 में सीएए के विरोध में भाग लेना शुरू किया, जहां वह कई दंगा भड़काने वालों और असामाजिक तत्वों के संपर्क में आया. घटना वाले दिन उसने अपने साथियों के साथ कांच की बोतलों में थिनर भरकर भरी हुई बोतलों को एक कार्टन में भरकर एक घर की छत पर रख दिया. ये बम दंगों के दौरान पुलिस अधिकारियों पर फेंके गए थे. घटना के बाद आरोपी ने उसका मोबाइल फोन तोड़ दिया और पिछले दो साल से अपने रिश्तेदारों से भी संपर्क नहीं किया.

आरोपी का जन्म साल 1989 में दिल्ली में हुआ था और उसका पालन-पोषण उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था. वह 10वीं के बाद स्कूल छोड़ चुका है. उसके तीन भाई और तीन बहनें हैं. उसके दो बच्चे हैं. फरार होने के दौरान वह अलीगढ़ में दिलशाद की छोटी सी ताला बनाने वाली फैक्ट्री में काम करने लगा. दंगों में शामिल होने से पहले, वह दिल्ली के सदर बाजार में एक सूटकेस की दुकान में काम करता था. 

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