हिमाचल में बारिश, दिल्ली में बाढ़, यमुना का जलस्तर, हथिनीकुंड बैराज
नई दिल्ली: उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में भारी बारिश होने तथा हथिनीकुंड बैराज से यमुना में पानी छोड़े जाने से राष्ट्रीय राजधानी में नदी का जल स्तर बढ़ने तथा बाढ़ प्रभावित निचले इलाकों में राहत और पुनर्वास कार्य प्रभावित होने की आशंका है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी. दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर शनिवार सुबह खतरे के निशान से नीचे आ गया जो पिछले कुछ दिनों से खतरे के निशान 205.33 मीटर के आसपास बना हुआ था.
केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के आंकड़ों के मुताबिक, शनिवार शाम चार बजे जल स्तर घटकर 205.16 मीटर हो गया. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने 25 जुलाई तक हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश का पूर्वानुमान व्यक्त किया है. विभाग के मुताबिक, हरिपुर (126.8 मिमी) और हल्द्वानी (122 मिमी) में भारी बारिश हुई, इसके अलावा मसूरी (112 मिमी), चकराता (83 मिमी), लोहारखेत (68 मिमी), डुंडा (91 मिमी) और पुरोला (90 मिमी) सहित उत्तराखंड के कई इलाकों में भारी बारिश दर्ज की गई.
वहीं, शनिवार सुबह साढ़े आठ बजे समाप्त हुए 24 घंटों में रेनुका/दाधौ (195 मिमी), पच्छाद (103.3 मिमी), नाहन (91.4 मिमी), चौपाल (90 मिमी) सुंदरनगर (87.7 मिमी) और मंडी सोलन (86 मिमी) सहित हिमाचल प्रदेश के कई इलाकों में भारी से बहुत भारी बारिश हुई.
सीडब्ल्यूसी के आंकड़ों के अनुसार, यमुनानगर स्थित हथिनीकुंड बैराज में प्रवाह दर सुबह नौ बजे एक लाख का आंकड़ा पार कर गई और सुबह 10 बजे से शाम चार बजे के बीच प्रवाह दर दो लाख से 2.5 लाख क्यूसेक के बीच रही.
जल आयोग के मुताबिक, 'यमुना के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में रात भर की बारिश के बाद सात घंटे तक हथिनीकुंड बैराज से प्रवाह दर दो लाख क्यूसेक से ऊपर रहा, दोपहर दो बजे अधिकतम प्रवाह दर 2,51,987 क्यूसेक दर्ज किया गया. आयोग ने बताया कि पानी की यह मात्रा 36 घंटों के भीतर दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है, जिससे राजधानी में मध्यम स्तर की बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो सकता है.
ऊपरी जलग्रहण राज्यों, मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश के बीच पिछले चार से पांच दिनों में जल स्तर में मामूली उतार-चढ़ाव हुआ है. दिल्ली सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली के ऊपरी हिस्से में भारी बारिश से राजधानी के निचले इलाकों में बाढ़ से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास पर असर पड़ेगा और उन्हें लंबे समय तक राहत शिविरों में रहना पड़ सकता है.
उन्होंने बताया कि इसका असर शहर में पानी की आपूर्ति पर भी पड़ सकता है, जो वजीराबाद में एक पंप हाउस में पानी भर जाने के कारण चार या पांच दिनों तक प्रभावित हुई थी.
अधिकारी ने बताया कि वजीराबाद में स्थित पंप हाउस, चंद्रावल और ओखला उपचार संयंत्रों को कच्चे पानी की आपूर्ति करता है, जो शहर की आपूर्ति का लगभग 25 प्रतिशत है. दिल्ली के कुछ हिस्से पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से जलभराव और बाढ़ से जूझ रहे हैं. शुरुआत में, आठ और नौ जुलाई को अत्यधिक बारिश से भारी जलभराव हुआ और इन दो दिनों में शहर में मासिक कोटे की 125 प्रतिशत बारिश हुई.
इस बीच यमुना नदी के हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा समेत ऊपरी जलग्रहण इलाकों में भारी बारिश से जलस्तर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. जल के बहाव ने तटबंधों को तोड़ दिया और चार दशकों की तुलना में शहर के काफी अंदर तक घुस गया.
दिल्ली में बाढ़ के परिणाम विनाशकारी रहे हैं, शहर में 27,000 से अधिक लोगों को उनके घरों से निकाला गया. संपत्ति, व्यवसाय और कमाई के मामले में नुकसान का आंकड़ा करोड़ों तक पहुंच गया है. विशेषज्ञों के मुताबिक, दिल्ली में भीषण बाढ़ का कारण यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र पर अतिक्रमण, थोड़े समय के भीतर ज्यादा बारिश और गाद जमा होना है.
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