सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने निजी बिजली कंपनियों की इस मांग को आज खारिज कर दिया किया कि इन कंपनियों का ऑडिट कराने के मुद्दे को संविधान पीठ के पास भेज दिया जाना चाहिए. दो जजों की पीठ ने सोमवार को अपील खारिज करते हुए कहा कि वे इस मामले की सुनवाई रखेंगे.
दिल्ली की तीन बिजली वितरण कंपनियों के खातों का CAG आडिट कराने के मामले में आज सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने मामले को संविधान पीठ को भेजे जाने से इंकार कर दिया. कोर्ट ने बिजली कंपनियों की संविधान पीठ को भेजे जाने की मांग ठुकरा दी. कोर्ट ने कहा कि दो जजों की बेंच ही मामले की सुनवाई करेगी. साफ है कि दिल्ली सरकार और अन्य की याचिका पर सुनवाई होती रहेगी.
बता दें कि दिल्ली की तीन बिजली वितरण कंपनियों टाटा पावर दिल्ली ड्रिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड, बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड और बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेडके खातों का CAG से ऑडिट से कराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट को ये तय करना था कि तीनों कंपनियों के खातों का CAG आडिट हो सकता है या नहीं. इस मामले को संविधान पीठ भेजा जाए या नहीं.
दिल्ली सरकार, सीएजी और NGO ऊर्जा ने दिल्ली हाई कोर्ट के 30 अक्टूबर 2015 केउस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनोती दी है जिसमें हाई कोर्ट ने निजी क्षेत्र की तीनों बिजली वितरण कंपनियों के खातों का ऑडिट कैग से कराने के आप सरकार के फैसले को खारिज कर दिया था. दिल्ली सरकार ने कहा है कि दिल्ली की बिजली कंपनियों के खातों में बडी गडबडियां हैं और इनमे सरकार का 49 फीसदी शेयर है इसलिए उसे आडिट कराने का पूरा अधिकार है. दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला सही नहीं है. दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार को बिजली कंपनियों के खातों का सीएजी से ऑडिट नहीं करा सकती. हाईकोर्ट ने सरकार के नोटिफिकेशन के लिए कहा था कि वो तय प्रक्रिया के तहत नहीं किया गया. जबकि बिजली संबंधी शिकायतों के लिए इलेक्ट्रसिटी एक्ट के तहत DERC का गठन किया गया है जो खातों की निगरानी करता है. ऐसे में सीएजी की जांच अलग नहीं होगी. जाहिर है सरकार एक कमिशन के होते हुए समानांतर जांच नहीं कर सकती.
दरअसल आप सरकार ने जनवरी 2014 में दिल्ली की बिजली कंपनियों के ऑडिट का आदेश दिया था जिसे दिल्ली की तीन बिजली कंपनियां टाटा पावर दिल्ली ड्रिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड, बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड और बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड ने हाई कोर्ट में चुनोती दी थी.
दिल्ली की तीन बिजली वितरण कंपनियों के खातों का CAG आडिट कराने के मामले में आज सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने मामले को संविधान पीठ को भेजे जाने से इंकार कर दिया. कोर्ट ने बिजली कंपनियों की संविधान पीठ को भेजे जाने की मांग ठुकरा दी. कोर्ट ने कहा कि दो जजों की बेंच ही मामले की सुनवाई करेगी. साफ है कि दिल्ली सरकार और अन्य की याचिका पर सुनवाई होती रहेगी.
बता दें कि दिल्ली की तीन बिजली वितरण कंपनियों टाटा पावर दिल्ली ड्रिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड, बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड और बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेडके खातों का CAG से ऑडिट से कराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट को ये तय करना था कि तीनों कंपनियों के खातों का CAG आडिट हो सकता है या नहीं. इस मामले को संविधान पीठ भेजा जाए या नहीं.
दिल्ली सरकार, सीएजी और NGO ऊर्जा ने दिल्ली हाई कोर्ट के 30 अक्टूबर 2015 केउस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनोती दी है जिसमें हाई कोर्ट ने निजी क्षेत्र की तीनों बिजली वितरण कंपनियों के खातों का ऑडिट कैग से कराने के आप सरकार के फैसले को खारिज कर दिया था. दिल्ली सरकार ने कहा है कि दिल्ली की बिजली कंपनियों के खातों में बडी गडबडियां हैं और इनमे सरकार का 49 फीसदी शेयर है इसलिए उसे आडिट कराने का पूरा अधिकार है. दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला सही नहीं है. दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार को बिजली कंपनियों के खातों का सीएजी से ऑडिट नहीं करा सकती. हाईकोर्ट ने सरकार के नोटिफिकेशन के लिए कहा था कि वो तय प्रक्रिया के तहत नहीं किया गया. जबकि बिजली संबंधी शिकायतों के लिए इलेक्ट्रसिटी एक्ट के तहत DERC का गठन किया गया है जो खातों की निगरानी करता है. ऐसे में सीएजी की जांच अलग नहीं होगी. जाहिर है सरकार एक कमिशन के होते हुए समानांतर जांच नहीं कर सकती.
दरअसल आप सरकार ने जनवरी 2014 में दिल्ली की बिजली कंपनियों के ऑडिट का आदेश दिया था जिसे दिल्ली की तीन बिजली कंपनियां टाटा पावर दिल्ली ड्रिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड, बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड और बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड ने हाई कोर्ट में चुनोती दी थी.
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