Cryptocurrency में ट्रेडिंग से पहले KYC कराना जरूरी, जानिए क्यों और कैसे होता है वेरिफिकेशन

Cryptocurrency KYC Verification : क्रिप्टो मार्केट तेजी से बढ़ रहा है, तो स्कैमर्स भी स्मार्ट हो रहे हैं. ऐसे में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ब्लॉकचेन सिक्योरिटी कंपनियां यूजरों की ऑडिटिंग और KYC वेरिफिकेशन करती हैं.

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क्रिप्टोकरेंसी इंडस्ट्री (Cryptocurrency Industry) बीते दो सालों में अप्रत्याशित तेजी से बढ़ी है. भारत में ही इससे इस साल लाखों नये निवेशक जुड़े हैं. लेकिन चूंकि यह एक डिजिटल माध्यम है, बाजार नया और अनरेगुलेटे यानी इसकी संरचना ज्यादातर बिना किसी नियामक संस्था के चलती है, ऐसे में बाजार से हैकर्स और धोखाधड़ी के इरादे से भी लोग इससे जुड़े हैं. बीते कुछ वक्त में क्रिप्टो निवेशकों के साथ होने वाली धोखाधड़ी की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. अब चूंकि मार्केट तेजी से बढ़ रहा है, तो स्कैमर्स भी स्मार्ट हो रहे हैं. ऐसे में इंडस्ट्री में सुरक्षा सुनिश्चित करने के नए तरीके अपनाए जा रहे हैं. निवेशकों का पैसा सुरक्षित रहे और धोखाधड़ी की घटनाओं पर लगाम लगे, इसके लिए ब्लॉकचेन सिक्योरिटी कंपनियां (Blockchain Security Companies) यूजरों की ऑडिटिंग करती हैं और उनसे एक KYC (Know Your Customer) वेरिफिकेशन करने को कहती हैंं.

कैसे काम करती हैं सिक्योरिटी कंपनीज़ और कैसे KYC और ऑडिटिंग?

सिक्योरिटी कंपनीज़ बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज या प्लेटफॉर्म्स के साथ पार्टनरशिप करती हैं और उस प्लेटफॉर्म से जुड़े कस्टमर्स की ऑडिटिंग करती हैं. कुछ कंपनियां उस प्लेटफॉर्म की भी ऑडिटिंग करती हैं. भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर कोई सरकारी नियंत्रण या नियमन नहीं है, ऐसे में यहां भी ऐसे प्लेटफॉर्म सक्रिय हैं. कुछ क्रिप्टो एक्सचेंज अपने प्लेटफॉर्म को धोखाधड़ी का माध्यम बनने से बचाने के लिए KYC और ऑडिटिंग प्रकिया चलाते हैं.

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CoinSwitch Kuber अपने संभावित ग्राहकों को अपने प्लेटफॉर्म पर ट्रेडिंग शुरू करने से पहले उनसे KYC वेरिफिकेशन पूरा करने को कहता है. CoinSwitch पर KYC के लिए यूजर को अपने PAN या Aadhaar कार्ड की डिटेल्स देनी होती हैं और इसके ऐप पर अपनी एक सेल्फी अपलोड करनी होती है.

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एक अन्य क्रिप्टो एक्सचेंज WazirX है, इसका कहना है कि यह अपना एक आईडी वेरिफिकेशन टूल इस्तेमाल करती है, जिससे यूजर के साइन अप करने के कुछ घंटों के भीतर उसका वेरिफिकेशन हो जाता है. इसी तरह दूसरे एक्सचेंज भी हैं, जो अपने वेरिफिकेशन टूल्स इस्तेमाल करते हैं. यह सुनिश्चित किया जाता है कि मार्केट में जो पैसा आ रहा है, वो यूजर के अपने बैंक अकाउंट से आ रहा हो, न कि किसी थर्ड पार्टी बैंक अकाउंट से. 

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कुछ प्लेटफॉर्म 'penny drop' मेथड का इस्तेमाल करते हैं, इसके लिए वो यूजर के अकाउंट की डिटेल्स को वेरिफाई करने के लिए उनके अकाउंट में 1 रुपये भेजते हैं. कुछ मामलों में जैसे कि अगर कोई कॉरपोरेट क्लाइंट है या किसी यूजर को ज्यादा बड़ी अमाउंट में ट्रांजैक्शन करना है, तो वो उन्हें वेरिफाई करने के लिए उनसे कुछ अतिरिक्त दस्तावेज मांग सकते हैं. क्रिप्टो एक्सचेंज हाईएंड सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं, जिससे कि किसी संदिग्ध यूजर को जरूरत पड़ने पर तुरंत ब्लॉक किया जा सके.

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