भारत में क्रिप्टोकरेंसी बिल (Cryptocurrency Bill) को लाने की तैयारियां चल रही हैं. इस बीच क्रिप्टोकरेंसी बिल के ड्राफ्ट को लेकर खूब चर्चाएं हो रही हैं. अलग-अलग कयास और उम्मीदें लगाई जा रही हैं. इस बीच भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने क्रिप्टो या डिजिटल करेंसी को एक खास तरह की प्रतिभूति मानने और उस पर प्रतिभूति संबंधी मौजूदा नियमों के बजाय नए नियम लागू करने का सुझाव दिया है. संगठन ने यह सुझाव भी दिया है कि इन्हें आयकर कानून और जीएसटी कानून के दायरे में भी लाना चाहिए. कई मार्केट एनालिस्ट्स ने भी क्रिप्टो को करेंसी के बजाय असेट यानी संपत्ति की परिभाषा में रखने की बात कही है.
वहीं, एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही क्रिप्टोकरेंसी के नियामकीय फ्रेमवर्क पर आखिरी फैसला ले सकते हैं. Reuters ने शुक्रवार को Economic Times की एक रिपोर्ट में सूत्रों का हवाला देते हुए बताया है कि वित्त मंत्रालय ने क्रिप्टोकरेंसी पर ड्राफ्ट बिल तैयार कर लिया है, लेकिन सरकार के कुछ हिस्सों का मानना है कि अभी इसपर और चर्चा किए जाने की जरूरत है. रिपोर्ट में बताया गया है कि आज अधिकारी एक बैठक कर सकते हैं, जिसके बाद बिल पर एक आखिरी सहमति बन सकती है. बता दें कि बिल अभी चल रहे संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाना है.
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CII ने कौन-कौन से कदम उठाने की दी है सलाह?CII ने एक बयान में कहा है कि क्रिप्टो या डिजिटल मुद्राओं को एक विशेष प्रतिभूति मानने के बाद उन पर नियामकीय निगरानी सिर्फ प्रतिभूति जारी करने तक ही नहीं बल्कि उनके सौदों एवं कब्जे पर भी रखी जाए. सीआईआई का कहना है कि इन क्रिप्टोकरेंसी के लिए भारत में केंद्रीकृत एक्सचेंज बनाए जा सकते हैं लेकिन उनका सेबी के पास पंजीकरण कराना जरूरी हो और उन्हें केवाईसी संबंधी मानकों का बखूबी पालन करना होगा. इसके साथ ही इन एक्सचेंज को प्रतिभागियों के पास मौजूद क्रिप्टो या डिजिटल मुद्राओं को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी भी निभानी होगी.
सीआईआई ने इसके लिए केंद्रीकृत एक्सचेंज के पास न्यूनतम पूंजी एवं गारंटीशुदा फंड को भी सुनिश्चित करने का सुझाव दिया है. उसने शर्त रखी है कि एक्सचेंजों को समय-समय पर निर्धारित होने वाली निवेशक खुलासा संबंधी शर्तों को भी पूरा करना होगा.
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क्रिप्टो पर टैक्स भरने की सलाहक्रिप्टो बिल आने से पहले क्रिप्टो पर टैक्स भरने की चर्चा भी जोर पकड़ रही है. क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा एक बहुत बड़ा मुद्दा उससे होने वाली आय का है. वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि जिन लोगों ने क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर रखा है या उससे उन्हें जो आय हुई है उसका इनकम टैक्स रिटर्न में खुलासा नहीं किया है तो वो परेशानी में पड़ सकते हैं. उनका कहना है कि आधे लोगों ने इसे बिजनेस इनकम दिखाया है. वो ये मान रहे हैं कि 30 प्रतिशत टैक्स चुकाकर वो बच जाएंगे.
लेकिन अगर क्रिप्टोकरेंसी पर 50-60 फीसदी टैक्स लगता है तो उन्हें नुकसान होगा. ऐसे में पिछले वित्त वर्ष का 2020-21 के आईटीआर नहीं भरा है तो इसका ध्यान जरूर रखें. अगर आईटीआर भर चुके हैं और इसका उल्लेख नहीं किया है तो कर विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है.
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