20 से 80 हजार रुपये में फर्जी डिग्री और डिप्लोमा देने वाले गैंग का पर्दाफाश, दो गिरफ्तार

इन विज्ञापनों में वह डिग्री और डिप्लोमा का लालच देकर लोगों को अपने झांसे में फंसाते थे और एक बार फोन आने या विज्ञापन पर क्लिक करने के बाद वह खुद ही उनसे संपर्क करते थे.

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आरोपी सोशल मीडिया पर गूगल के माध्यम से विज्ञापन देते थे.
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  • दो जालसाज हुए गिरफ्तार
  • फर्जी मार्कशीट, डिप्लोमा, डिग्री बेचने के आरोप में गिरफ्तार
  • पहले बेंगलुरु में चलाते थे गैंग
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नोएडा:

फर्जी डिग्री और डिप्लोमा बेचने वाले एक अंतरराज्यीय गैंग का पर्दाफाश करते हुए कोतवाली सेक्टर 63 पुलिस ने दो जालसाजों को गिरफ्तार किया है. इनके पास से पुलिस ने 85 फर्जी मार्कशीट, सात खाली अंक तालिका शीट, आठ फर्जी मोहर, 33 मोबाइल फोन, 14 कंप्यूटर और 55 सिम बरामद किए हैं. इनके पास से वर्ष 2000, 2002 तक की पुरानी फर्जी डिग्री और डिप्लोमा भी बरामद किया है.

आनंद शेखर और चिराग शर्मा को बी-44 सेक्टर-63 की इमारत में फर्जी मार्कशीट, डिप्लोमा और डिग्री बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. एडीसीपी सेंट्रल जोन साद मियां ने बताया कि यह गैंग 20 से 80 हजार रुपये तक में एमबीए, एमटेक आदि की फर्जी डिग्री और डिप्लोमा बेचता था. आरोपी सोशल मीडिया पर गूगल के माध्यम से विज्ञापन देते थे. इन विज्ञापनों में वह डिग्री और डिप्लोमा का लालच देकर लोगों को अपने झांसे में फंसाते थे और एक बार फोन आने या विज्ञापन पर क्लिक करने के बाद वह खुद ही उनसे संपर्क करते थे और उन्हें ठगी का शिकार बनाते थे.

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एडीसीपी सेंट्रल नोएडा ने बताया गैंग कोचिंग संस्थानों, कालेजों आदि से भी छात्र-छात्राओं के बारे में जानकारी जुटाकर उन्हें फोन करते थे और उन्हें कम पैसे और कम मेहनत में डिग्री और डिप्लोमा उपलब्ध कराने का झांसा देते थे. इसके लिए वह खुद को विद्या भारती इंस्टीट्यूट और एम्पिरियल इंस्टीट्यूट का संचालक बताते थे. जबकि इस नाम से कोई इंस्टीट्यूट नहीं था. पुलिस ने बताया कि नोएडा से पहले बेंगलुरु में इसी तरह से लोगों को डिप्लोमा और डिग्री बेचने का धंधा किया गया था. बेंगलुरु में जनवरी 2022 में आनंद शेखर को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. जमानत मिलने के बाद मार्च 2022 में उसने नोएडा में आकर अपना यह धंधा फिर से प्रारंभ कर दिया था.

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