न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाला: फर्जी पहचान से 15 करोड़ की डील, ‘बाबा’ ने मिलाया था कनेक्शन

जांच में सामने आया है कि मुख्य आरोपी हितेश मेहता से 15 करोड़ रुपये की राशि फर्जी पहचान के जरिए निकाल ली गई थी. इस के पीछे राजीव रंजन पांडे नामक आरोपी का हाथ है, जो खुद को “पवन गुप्ता” बताकर मेहता से 15 करोड़ रुपए ले गया.

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मुंबई:

122 करोड़ रुपये के न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले की जांच कर रही आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को बड़ी कामयाबी मिली है. जांच में सामने आया है कि मुख्य आरोपी हितेश मेहता से 15 करोड़ रुपये की राशि फर्जी पहचान के जरिए निकाल ली गई थी. इस के पीछे राजीव रंजन पांडे नामक आरोपी का हाथ है, जो खुद को “पवन गुप्ता” बताकर मेहता से 15 करोड़ रुपए ले गया.

फर्जी एनजीओ ट्रस्टी बनकर ठग लिया 15 करोड़

EOW अधिकारियों के मुताबिक, इस मामले में झारखंड से गिरफ्तार किए गए राजीव रंजन पांडे ने “पवन गुप्ता” बनकर हितेश मेहता से संपर्क साधा और एक एनजीओ में पैसा निवेश कराने के नाम पर 15 करोड़ रुपये की मांग की. पांडे को इस काम में मदद मिली मेहता के ही कर्मचारी समीर शेख से, जो धारावी का निवासी है. शेख ने पूरी लेन-देन की प्रक्रिया पांडे के निर्देश पर की.

फर्जी दस्तावेज, किराए का दफ्तर और प्लानिंग

EOW सूत्रों के अनुसार, यह रकम सांताक्रूज स्थित एक कार्यालय में सौंपी गई, जिसे पांडे के एक साथी ने तीन महीने पहले ₹25,000 से ₹30,000 की मासिक किराए पर लिया था. रकम सौंपने के बाद समीर शेख ने पांडे (उर्फ पवन गुप्ता) को कॉल कर पुष्टिकरण लिया, जिसके बाद उसे वापस घर लौटने का निर्देश दिया गया. शेख का बयान आधिकारिक तौर पर दर्ज कर लिया गया है.

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डील करवाने में ‘बाबा' की भूमिका

इस मामले में  एक स्वयंभू बाबा श्रवण पंडित धुर्वे है, जो बोरिवली में रहता और हितेश मेहता के घर धार्मिक अनुष्ठान करने जाते था. सूत्रों के मुताबिक, मेहता ने बाबा को अपनी 15 करोड़ की काली कमाई को सफेद करने की मंशा बताई थी. इसके बाद बाबा ने पांडे के नेटवर्क से उसकी मुलाकात कराई. कई बैठकों के बाद यह डील सांताक्रूज में फाइनल हुई, और मेहता ने खुद फोन पर पांडे से बातचीत की, जो खुद को लगातार “पवन गुप्ता” ही कहता रहा.

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इससे पहले बाबा ने मेहता की एक पार्टी से पुणे के सतारा में भी मुलाकात करवाई थी, लेकिन वह सौदा नहीं हो सका था. EOW ने बाबा धुर्वे का बयान भी दर्ज कर लिया है.

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गहराई से जांच में जुटी EOW

EOW अब इस मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही है. सूत्रों का कहना है कि पैसों के प्रवाह की पूरी कड़ी को ट्रैक किया जा रहा है, साथ ही अन्य संभावित आरोपियों और इस रैकेट से जुड़े लोगों की भी पहचान की जा रही है. यह घोटाला सिर्फ एक बैंक फ्रॉड नहीं, बल्कि ब्लैक मनी को व्हाइट में बदलने के एक संगठित प्रयास का हिस्सा माना जा रहा है.

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