Mumbai Crime Diary: अबू सलेम- वह गैंगस्टर जो तीन बार दे चुका है मौत को चकमा

लिस्बन की अदालत ने अबू सलेम को प्रत्यर्पित करने का आदेश तो दे दिया लेकिन साथ ही कुछ कड़ी शर्तें भी रख दीं. इन्हीं शर्तों की वजह से वह आज जिंदा है और चंद सालों में जेल से छूटकर आजाद पंछी हो जाएगा.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
अबू सलेम नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद है (फाइल फोटो).
मुंबई:

कहते हैं कि बिल्ली की नौ जिंदगियां होतीं है. कुछ ऐसा ही मामला अबू सलेम का भी है. मैं अगर किसी अंडरवर्ल्ड डॉन को सबसे शातिर दिमाग मानता हूं तो वो डॉन है अबू सलेम. अगर अबू सलेम अब से 22 साल पहले पुर्तगाल में न पकड़ा जाता तो शायद अब तक भारत में फांसी के फंदे पर लटका दिया जाता. उसका वही हश्र होता जो कि मुंबई बमकांड के आरोपी याकूब मेमन का हुआ था, जिसे कि 30 जुलाई 2015 को नागपुर की जेल में फांसी दे दी गई थी. अबू सलेम भी 12 मार्च 1993 को मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों की साजिश का हिस्सा था, लेकिन उसे फांसी के बजाय उम्रकैद की सजा हुई.

दरअसल 2002 में अबू सलेम की पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में उसकी तत्कालीन पत्नी और बॉलीवुड की अभिनेत्री मोनिक बेदी के साथ गिरफ्तारी हुई थी. भारत के अलग-अलग राज्यों में उसके खिलाफ मामले दर्ज थे और उसे भगोड़ा घोषित कर उसके खिलाफ इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था. जब लिस्बन में उसकी गिरफ्तारी हुई तो भारत सरकार ने पुर्तगाल सरकार से उसके प्रत्यर्पण की मांग की लेकिन अबू सलेम ने स्थानीय अदालत में खुद को भारत भेजे जाने की मांग को चुनौती दी.

पुर्तगाल की कड़ी शर्तों के कारण अबू सलेम जीवित

करीब तीन साल तक भारत सरकार और अबू सलेम के बीच लिस्बन की अदालत में मामला चलता रहा. अखिरकार भारत सरकार को कामयाबी मिली. लिस्बन की अदालत ने अबू सलेम को प्रत्यर्पित करने का आदेश तो दे दिया लेकिन साथ ही कुछ कड़ी शर्तें भी रख दीं. ये वही शर्तें हैं जिनकी वजह से अबू सलेम आज जिंदा है और चंद सालों में जेल से छूटकर आजाद पंछी हो जाएगा.

Advertisement

जो शर्तें लिस्बन की अदालत ने अबू सलेम को भारत सरकार को सौंपते हुए रखीं उनमें सबसे प्रमुख शर्त थी कि सलेम को सजा-ए-मौत नहीं दी जाएगी. पुर्तगाल में अब किसी को भी मौत की सजा नहीं दी जाती और इसी नियम के तहत पुर्तगाल किसी ऐसे देश को आरोपी भी प्रत्यर्पित नहीं करता जहां मृत्युदंड का प्रावधान हो. ऐसे में अदालत की ओर से लगाई गई शर्त से सलेम को पहली बार जीवनदान मिल गया.

Advertisement

गुलशन कुमार हत्याकांड का जिक्र नहीं

अदालत की ओर से लगाई गई दूसरी शर्त ये थी कि सलेम को 25 साल से ज्यादा की कैद की सजा नहीं हो सकती. ऐसे में मुंबई की विशेष टाडा अदालत ने सलेम को मुंबई बमकांड के मामले में उम्रकैद की सजा तो सुना दी लेकिन 25 साल की कैद पूरी होने पर उसे जेल से रिहा करना होगा. तीसरी शर्त यह थी कि जिन 8 मामलों के तहत उसका प्रत्यर्पण किया गया उनके अलावा किसी और मामले में सलेम के खिलाफ मुकदाम नहीं चलाया जा सकता. दिलचस्प बात यह है कि 1996 में देश को दहला देने वाले जिस गुलशन कुमार हत्याकांड का मास्टरमाइंड होने का आरोप सलेम पर था, आठ मामलों की लिस्ट में वह मामला जोड़ा ही नहीं गया. 

Advertisement

लिस्बन की अदालत की बदौलत सलेम फांसी के फंदे पर लटकने से तो बच गया लेकिन जेल में दो बार उसकी जान जाते-जाते बची. साल 2010 में दूसरी बार उस वक्त अबू सलेम की जान जाते-जाते बची जब जुलाई के महीने में मुंबई की आर्थर रोड जेल में उस पर हमला हो गया. हमला करने वाला भी उसी की तरह मुंबई बमकांड का आरोप मुस्तफा दोसा था. दोसा को जेल में गैरकानूनी तरीके से कई सहूलियतें मिल रहीं थीं. उसे शक हुआ कि इन सहूलियतों को बंद कराने के लिए सलेम जेल के आला अधिकारियों से उसकी चुगली कर रहा है.

Advertisement

जेल में दो बार हुए सलेम की हत्या के प्रयास

मोहम्मद दोसा ने जेल में ही अबू सलेम को मौत के घाट उतराने की सोची. इसके लिए उसने जेल में खाने के वक्त दी जाने वाली चार इंच की एक चम्मच को पत्थर से घिस घिरकर उसे धारदार बना दिया. इसके बाद जुलाई महीने की एक सुबह उसने उसी चम्मच से सलेम पर हमला कर दिया. सलेम के चेहरे पर गंभीर चोटें आईं. दोसा और सलेम के बीच हाथापाई से जेल में हड़कंप मच गया. जेल कर्मचारी दौड़कर आए और उन्होंने दोनों को अलग किया. सलेम को तुरंत अस्पताल ले जाया गया.

इस घटना के बाद अबू सलेम को आर्थर रोड जेल से निकालकर नवी मुंबई के तलोजा जेल भेज दिया गया. लेकिन दो साल बाद तलोजा जेल में फिर एक बार सलेम की जान जाते-जाते बची. देवेंद्र जगताप नाम का एक शूटर, जो वकील शाहिद आजमी की हत्या का आरोपी था, ने देसी पिस्तौल से 2012 में सलेम पर दो राउंड गोलियां चला दीं. एक गोली सलेम के करीब से निकल गई जबकि दूसरी गोली उसके हाथ को जा लगी. सलेम को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया. मामले की जांच के आदेश दिए गए. कुछ जेल कर्मचारी निलंबित हुए. पुलिस को शक था कि सलेम को मारने की सुपारी मुस्तफा दोसा ने ही दी थी. यह भी बड़ा सवाल था कि आखिर पिस्तौल जेल के भीतर पहुंची कैसे?

साल 2029 में जेल से छूट जाएगा सलेम 

अबू सलेम जेल से बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा है. हाल ही में उसने जेल से टाडा अदालत के सामने यह अर्जी डाली कि सरकार उसे बताए कि जेल से उसके रिहा होने की तारीख क्या होगी. अदालत ने जेल प्रशासन की इस दलील को मानते हुए सलेम की अर्ज खारिज कर दी कि सलेम की 25 साल की कैद पूरी होने से पहले उसकी अर्जी को नहीं सुना जा सकता. साल 2029 में उसके 25 साल पूरे हो रहे हैं.

Featured Video Of The Day
Top 100 News: Virat Kohli | RCB | IPL 2025 Final | Coronavirus Active Cases | Russia Ukraine War
Topics mentioned in this article