- ईडी ने लखनऊ में 60 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नवीन रोहरा को गिरफ्तार किया है.
- मामला छांगुर बाबा और सहयोगियों द्वारा अवैध धार्मिक रूपांतरण और विदेशी फंडिंग से जुड़ा है.
- जांच में पता चला कि विदेशी फंडिंग के जरिए मिले पैसे से प्रॉपर्टी खरीदी और कंस्ट्रक्शन कराया गया.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ईडी ने बड़ी कार्रवाई की है. प्रवर्तन निदेशालय ने 60 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग के एक गंभीर मामले में नवीन रोहरा को गिरफ्तार किया है. यह मामला छांगुर बाबा और उनके सहयोगियों से जुड़ा है, जिसमें धार्मिक रूपांतरण, विदेशी फंडिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे जैसे गंभीर आरोप हैं. ईडी (ED) की लखनऊ जोनल यूनिट ने नवीन रोहरा को 4 अगस्त 2025 को गिरफ्तार किया. उन्हें लखनऊ की विशेष अदालत (PMLA कोर्ट) ने 5 दिन की ईडी हिरासत में भेज दिया है, ताकि उनसे गहन पूछताछ की जा सके.
क्या है पूरा मामला?
यह जांच ATS लखनऊ द्वारा दर्ज एक FIR के आधार पर शुरू हुई थी. FIR में आरोप लगाया गया है कि बाबा और उनके साथियों ने एक बड़े स्तर पर अवैध धर्मांतरण की साजिश रची थी.
छांगुर बाबा, जो बलरामपुर के चांद औलिया दरगाह से अपना नेटवर्क चला रहा था, वहां बड़े-बड़े धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे, जिनमें भारतीयों के साथ-साथ विदेशी नागरिक भी शामिल होते थे.
एफआईआर (FIR) में यह भी कहा गया है कि छांगुर बाबा और उनके लोग अन्य धर्मों के गरीब, दलित और कमजोर तबकों को बहला-फुसलाकर, डराकर या लालच देकर उनका धर्म परिवर्तन कराते थे.
मनी लॉन्ड्रिंग में 60 करोड़ से ज्यादा की रकम
ईडी की जांच में अब तक ये सामने आया है कि 60 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम नवीन रोहरा, छांगुर बाबा और उनके साथियों के बैंक खातों में जमा हुई थी. इनमें से एक बड़ा हिस्सा विदेशों से नवीन रोहरा के खातों में आया था.
पैसों से प्रॉपर्टी और कंस्ट्रक्शन
जांच के दौरान 17 जुलाई 2025 को यूपी और मुंबई में 15 जगहों पर छापेमारी हुई थी. इस दौरान जो दस्तावेज जब्त किए गए, उनसे पता चला कि जो पैसे आए थे वो अपराध से अर्जित धन (Proceeds of Crime) थे और इन पैसों से नवीन रोहरा ने जमीनें खरीदी और कंस्ट्रक्शन भी कराया.
छांगुर बाबा पहले ही गिरफ्तार
इस केस में चंगुर बाबा को पहले ही 28 जुलाई को ED ने गिरफ्तार कर लिया था और फिलहाल वो न्यायिक हिरासत (Judicial Custody) में है. ED इस पूरे मामले में यह पता लगाने में जुटी है कि इन पैसों का उपयोग और किस-किस तरह से किया गया, कौन-कौन लोग इस नेटवर्क से जुड़े थे और क्या इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा था?