रोहिणी जिले की साइबर सेल ने 4 शातिर जालसाजों को गिरफ्तार किया है जो ऑनलाइन लोन देने के नाम पर धोखाधड़ी करते थे और क्रिप्टोकरंसी में लेनदेन करते थे. 4 आरोपी पकड़े गए हैं इनके पास से एक बीएमडब्लू गाड़ी भी बरामद हुई है. रोहिणी जिले के डीसीपी प्रणव तायल के मुताबिक मोहम्मद नदीम सैफी नामक शख्स ने साइबर पुलिस स्टेशन रोहिणी में एक शिकायत दर्ज कराई जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्हें अपने फोन पर एक टेक्स्ट संदेश प्राप्त हुआ कि "आपका एप्लाइड लोन स्वीकृत है, आप 2 लाख रुपये से लेकर लोन की अवधि सीमा चुन सकते हैं. लोन लेने के लिए एक ऐप पर लॉग इन करें. शिकायतकर्ता ने दिए गए लिंक पर जाकर डिटेल्स डाले इसके तुरंत बाद उन्हें नंबर से एक व्हाट्सएप कॉल आया और उसे कंपनी के नियम के अनुसार लोन राशि का 5% पहले जमा करने के लिए कहा गया ये बताया गया कि ये पैसे बाद में वापस कर दिया जाएगा,.
तीन लेन-देन में कुल 40,000/- जमा करने के बाद आरोपी ने व्हाट्सएप पर जवाब देना बंद कर दिया. जांच के दौरान मनी ट्रेल के आधार पर पता चला कि ठगी गई राशि को मध्य प्रदेश के नीमच स्थित बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया गया है. आगे की जांच पर पता चला कि 2 दिनों के भीतर 75 लाख रुपये से अधिक कथित खाते में ट्रांसफर कर दिए गए हैं और क्रिप्टो करेंसी यानी यूएसडीटी को विभिन्न प्लेटफार्मों पर ठगे गए पैसे से खरीदा जा रहा है. तकनीकी जांच से पता चला कि आरोपी राजस्थान के चित्तौड़गढ़ क्षेत्र से काम कर रहे हैं.
इसके बाद राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में छापे मारकर चार आरोपी व्यक्तियों को पकड़ा गया,जिनकी पहचान दीपक पटवा, सुनील कुमार खटीक, देव किशन और सुरेश सिंह के तौर पर हुई,उनकी निशानदेही पर 15 एटीएम/डेबिट कार्ड 7 मोबाइल फोन, 27 सिम कार्ड और एक बीएमडब्ल्यू कार बरामद हुई. पूछताछ में आरोपितों ने खुलासा किया कि उन्हें ठगी का यह आइडिया यूट्यूब से आया था. वे टेलीग्राम पर कुछ चीनी नागरिकों के संपर्क में आते हैं जो ऑनलाइन लोन की सुविधा के बहाने लोगों को ठगते थे. वे खाते के मालिक को 1.5% का भुगतान करके बैंक खाते और पंजीकृत सिम कार्ड प्राप्त करते थे और आगे टेलीग्राम के माध्यम से धोखेबाजों को प्रदान करते थे. आरोपी यूपीआई के माध्यम से अलग-अलग बैंक खातों में ठगे गए पैसे को प्राप्त करता था और फिर बिनेंस क्रिप्टो एक्सचेंज पर ठगे गए पैसे से यूएसडीटी खरीदकर इसे क्रिप्टो मुद्रा में परिवर्तित करता था. गिरफ्तार आरोपी दीपक पटवा यूएसडीटी में कमीशन प्राप्त करता था और बाद में इसे अपने खाते में और हवाला के माध्यम से भुनाता था.
आगे की जांच में यह भी पता चला है कि कथित व्हाट्स एप नंबर का आईपी एड्रेस चीन का है. कथित व्हाट्स एप नंबर के साथ बातचीत करने के लिए आरोपी दीपक चीनी भाषा में प्राप्त संदेशों का गूगल ट्रांसलेटर की मदद से हिंदी में अनुवाद करता था और आगे गूगल ट्रांसलेटर की मदद से अपना वर्जन पास भी करता था.
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