अदालत ने पहलवान सुशील कुमार को 4 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा

सुशील कुमार ने 4 मई को अपने साथियों के साथ सागर, भगत और सोनू को लाठी और हॉकी से बुरी तरह पीटा था, इससे सागर की मौत हो गई थी

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पहलवान सुशील कुमार (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

पहलवान सुशील कुमार (Sushil Kumar) और उसके साथियों द्वारा एक अन्य पहलवान की हत्या के मामले में अदालत ने आज सुशील कुमार को चार दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के वकील और दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अदालत से सुशील कुमार की सात दिन की रिमांड मांगी थी. इस मामले में अब तक आठ आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं. सुशील कुमार ने 4 मई को अपने साथियों के साथ सागर, भगत और सोनू को लाठी और हॉकी से बुरी तरह पीटा था. इससे सागर की मौत हो गई थी.

पुलिस ने अदालत से कहा कि दोनों आरोपी पुलिस के साथ जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. इनसे पूछताछ के बाद कुछ और जरूरी सबूत मिल सकते हैं जो अभी तक नहीं मिल पाए हैं. आरोपियों की सात गाड़ियां अभी तक जब्त की गई हैं. चार गाड़ियां किसकी हैं, यह पता चल गया है, तीन गाड़ियों की जांच चल रही है.

पुलिस ने कहा कि सुशील के पास मसलमेन हैं. सुशील का मोबाइल अब तक बरामद नहीं हुआ है. वारदात में 18-20 लोग शामिल हैं. बाकी लोगों को सुशील की निशानदेही से ही पकड़ सकते हैं, इसलिए उसकी हिरासत जरूरी है.

पुलिस ने कोर्ट से कहा कि सुशील के घर की डीवीआर नहीं मिली है. आरोपियों ने वारदात के वक्त जो कपड़े पहने थे, वे नहीं मिले हैं. जांच एजेंसी को पूरा मौका मिलना चाहिए जिससे निष्पक्ष जांच हो पाए.

सुशील कुमार के वकील प्रदीप राणा ने अदालत से कहा कि लोकल पुलिस ने कैसे बिना कोर्ट की इजाज़त के क्राइम ब्रांच को सुशील की कस्टडी दे दी. पुलिस ने छह दिन की कस्टडी में क्या किया, कोर्ट को बताए. सोशल मीडिया पर चल रहा है कि पुलिस के पास वारदात का वीडियो है और मोबाइल है. यह वीडियो मीडिया को क्यों दिया गया? इसके लिए कौन जिम्मेदार है. ऐसे में पुलिस कस्टडी नहीं देनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि बाकी आरोपी पहले ही पकड़े गए हैं. पहले उनके साथ बिठाकर सुशील के साथ पूछताछ करने से किसने रोका था. क्या सुशील कुमार की लाइसेंसी पिस्तौल का प्रयोग इस वारदात में हुआ है? उसे क्यों सीज किया गया. क्या छत्रसाल स्टेडियम के लोगों को डीवीआर देने के लिए पुलिस ने कोई नोटिस दिया है? वह सुशील की संपत्ति नहीं है, सरकारी है. सुशील कुमार को आगे पुलिस कस्टडी में नहीं भेजा जाना चाहिए.

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राणा ने कहा कि इनके पास कस्टडी का कोई ग्राउंड नहीं है. मीडिया में पब्लिसिटी के लिए कस्टडी मांग रहे हैं. बचाव पक्ष के वकील को पूछताछ के दौरान वहां रहने दिया जाए. पुलिस को जो वीडियो मिला है उससे छेड़छाड़ कर सकती है. सीडी को प्रिजर्व किया जाए, उसमें कोर्ट के साइन हों.

दिल्ली पुलिस के वकील ने कहा कि पुलिस आरोपी पर कोई दबाव नहीं डालती. आरोपी पर निर्भर करता है कि वह जांच में किस तरह का सहयोग कर रहा है. दिल्ली पुलिस कमिश्नर को ये पूरा अधिकार है कि किस यूनिट को जांच दे. वह केस के जांच अधिकारी को कभी भी बदल सकते हैं. बचाव पक्ष के वकील यह तय नहीं कर सकते कि जांच कैसे हो. 

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