दिल्ली पुलिस की IFSO यानी साइबर सेल ने एक अंतरराष्ट्रीय गैंग का पर्दाफाश किया है जो भारतीय युवाओं को झूठे जॉब ऑफर देकर म्यांमार ले जाकर उनसे साइबर ठगी का काम कराता था. गिरफ्तार आरोपियों की पहचान बवाना के रहने वाले दानिश राजा और फरीदाबाद के रहने वाले हर्ष के रूप में हुई है. 22 अक्टूबर 2025 को म्यांमार मिलिट्री ने वहां के एक स्कैम सेंटर पर छापा मारकर भारतीय युवाओं को छुड़ाया.
दूतावास की मदद से लोगों को वापस लाया गया
इन लोगों को कैंप में रखा गया और फिर भारतीय दूतावास की मदद से 19 नवंबर 2025 को भारत वापस लाया गया. वापस आए लोगों की जांच के दौरान बवाना निवासी इम्तियाज़ बाबू ने शिकायत दी कि उसे डेटा-एंट्री की हाई सैलरी वाली जॉब का झांसा देकर म्यांमार ले जाया गया था. पीड़ित लोगों को कोलकाता से बैंकॉक और फिर म्यावड्डी (म्यांमार) ले जाया गया, एक बड़े स्कैम सेंटर में बंद करके रखा गया.
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विदेशी में नौकरी के लालच से लोगों को फंसाया
अमेरिकियों को निशाना बनाकर ऑनलाइन फ्रॉड करवाया गया. हथियारबंद गार्ड्स से डराया-धमकाया गया. इस पर 20 नवंबर 2025 को FIR दर्ज कर जांच शुरू की गई. IFSO टीम ने जानकारी जुटाकर बवाना से दानिश राजा को पकड़ लिया. पूछताछ में उसने बताया कि वह खुद मार्च 2025 में म्यांमार से डिपोर्ट होकर आया था, फिर भी यहां वापस लोगों को नौकरी का लालच देकर फंसा रहा था. जांच में पता चला कि आरोपी लोगों को फर्जी जॉब का लालच, गैर-कानूनी तरीकों से बार्डर पार कराना, सफर के दौरान कई वाहन बदलना, मारपीट और धमकी देकर साइबर अपराध करवा रहे थे.
मानव तस्कर और साइबर अपराधियों पर सख्त एक्शन
पुलिस ने 2 मोबाइल फोन बरामद किए जिनमें विदेशी हैंडलर्स से बातचीत और अन्य सबूत मिले. डिजिटल और फाइनेंशियल जांच जारी है, बाकी लोगों की तलाश भी चल रही है. दिल्ली पुलिस और गृह मंत्रालय के I4C की संयुक्त कार्रवाई से ऐसे अंतरराष्ट्रीय साइबर-क्राइम रैकेट्स पर कड़ी नजर रखी जा रही है. पुलिस ने साफ कहा है कि ऐसे मानव तस्करों और साइबर अपराधियों पर तुरंत कड़ी कार्रवाई होगी और पीड़ितों की हर तरह से मदद की जाएगी.
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