नाबालिग दलित लड़की से 2 साल तक रेप, 8 महीने की गर्भवती, आंध्र प्रदेश की नाकामी उजागर कर रहा ये मामला

लड़की की कम उम्र, कमजोर स्थिति और दलित जाति के कारण उसका शोषण दो साल तक चलता रहा.

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अमरावती:

भारत के दक्षिणी राज्य आंध्र प्रदेश से एक नाबालिग दलित लड़की के साथ रेप का मामला सामने आया है. पुलिस ने बताया कि 14 लोगों ने करीब दो सालों नाबालिग लड़की के साथ रेप किया. नाबालिग अब 8 महीने की गर्भवती है. ये मामला महज रेप का नहीं बल्कि प्रशासन की लापरवाही का भी है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट इस बात की तस्दीक करती है कि कैसे इस मामले में न सिर्फ घोर लापरवाही बरती गई बल्कि कम उम्र, गरीबी, और अनुसूचित जाति से होने के कारण प्रभावशाली समुदाय के लोगों ने सिस्टम को ताक पर रख नाबालिग का लंबे समय तक यौन शोषण किया.

13 की उम्र में लड़की से हैवानियत 

ये सब तब शुरू हुआ लड़की जब 13 साल की थी और 8वीं में पढ़ती थी. पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, तीन साल पहले ही उसके पिता की मौत हो गई थी. उसकी मां कर्नाटक सीमा के पास एक गांव में चली गई थी. पुलिस के अनुसार, एक आरोपी ने लड़की और उसके क्लासमेट को स्कूल के बाद अकेले बैठे देखा और फिर उनके फोटो खींच लिए. इन फोटो को सोशल मीडिया पर लीक करने की धमकी दी और लड़की को मजबूर किया. बाद में इन घटनाओं के वीडियो और फोटो का इस्तेमाल कर अन्य लोगों ने भी नाबालिग का यौन शोषण किया. लड़की के साथ हैवानियत का ये सिलसिला दो साल तक चलता रहा.

आंध्र प्रदेश के सिस्टम की नाकामी

इस मामले की अब तक की जांच में सामने आया कि लड़की की सुरक्षा के लिए बने तमाम सिस्टम पूरी तरह नाकाम रहे. पुलिस अधीक्षक वी. रत्ना ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "लड़की की कम उम्र, उसकी कमजोर स्थिति और दलित जाति की वजह से उसका शोषण दो साल तक होता रहा, और वह 15 साल की उम्र में गर्भवती हो गई. उसकी भलाई के लिए बने सिस्टम्स ने भी सही से काम नहीं किया. उसकी क्लास टीचर ने यह भी नहीं बताया कि वह स्कूल छोड़ चुकी थी. हैरत की बात ये है कि 10वीं क्लास जैसे महत्वपूर्ण साल में टीचर्स ने लड़की की क्लास में गैरमौजूदगी पर कोई फिक्र नहीं की. इसके अलावा, महिला पुलिस के रूप में काम करने वाली वॉलिंटियर और मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) ने भी सिंगल मदर और उनकी बेटी की सुध नहीं ली. 

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प्रभावशाली समुदाय का दबाव

गांव में एससी समुदाय की आबादी बहुत कम है. 17 आरोपियों में से 14 बोया समुदाय से हैं, जबकि तीन (जिनमें लड़की का क्लासमेट भी शामिल है) ने इस बारे में कोई सूचना नहीं दी. जब मामला सामने आया, तो बोया समुदाय के नेताओं ने कथित तौर पर लड़की की शादी उसके क्लासमेट से करवाकर मामले को दबाने की कोशिश की.

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पुलिस कार्रवाई

लड़की की मां ने जून के पहले हफ्ते में पुलिस से संपर्क किया, जिसके बाद 9 जून को छह लोगों को गिरफ्तार किया गया. बाद में 11 और लोगों को हिरासत में लिया गया. कुल 17 आरोपी, जिनमें तीन नाबालिग और 18 से 51 साल की उम्र के 14 पुरुष शामिल हैं. आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता, पॉक्सो एक्ट, और आईटी अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है.

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अस्पताल में रहने को मजबूर

डॉक्टरों ने लड़की की डिलीवरी की तारीख 21 जुलाई के बाद तय की है. पुलिस ने उसे घर भेजने के बजाय अस्पताल में रखने का फैसला किया है, क्योंकि आरोपियों के जेल में होने के बावजूद दबाव का खतरा बना हुआ है. एक अधिकारी ने कहा, "दलित होने के कारण वह और उसकी मां कमजोर स्थिति में हैं. आरोपी किसी भी तरह से केस वापस लेने के लिए दबाव डाल सकते हैं."

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सामाजिक और प्रशासनिक सवाल

यह मामला न केवल एक नाबालिग के साथ हुए अत्याचार की कहानी है, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक व्यवस्था की विफलता को भी दर्शाता है. गरीबी, जातिगत भेदभाव, और सिस्टम की लापरवाही ने एक मासूम की जिंदगी को तबाह कर दिया. यह घटना समाज और सरकार के लिए एक गंभीर सवाल खड़ा करती है कि ऐसी हैवानियत और जघन्य क्राइम को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
 

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