हाल ही में बॉलीवुड के सुपरस्टार अक्षय कुमार को एक तंबाकू निर्माता कंपनी के लिए विज्ञापन करना इतना महंगा पड़ा कि न केवल उन्होंने माफी मांगी, बल्कि अनुबंध से मिलने वाली रकम को भी समाज हित में लगाने का ऐलान किया, लेकिन नुकसान तो उन्हें हो ही चुका है, लेकिन भारत के सुपर सितारों के बीच सचिन तेंदुलकर ऐसे सुपर स्टार रहे, जिन्होंने कभी तंबाकी का एड नहीं किया. सचिन को भी एक बार बहुत ही मोटी रकम ऑफर हुयी ती, लेकिन यह रकम भी सचिन की इच्छाशक्ति को नहीं पिघला सकी.
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यह साल 1996 में भारत में हुआ विश्व कप था, जब सचिन ने बल्ले पर बिना किसी कंपनी के लोगो के बिना खेलने का फैसला लिया, लेकिन टीम में उनके कई ऐसे साथी खिलाड़ी ते, जिन्होंने अपने बैट पर तंबाकी कंपनी का लोगो लगाकर खेले. लेकिन सचिन पूरा विश्व कप बिना लोगो के ही खेले. उस समय विश्व कप की मुख्य प्रायोजक कंपनी विल्स थी, जिसका उस दौर में बहुत ही ज्यादा नाम था. यहां तक कि भारत की घरेलू वनडे ट्रॉफी (अब विजय हजारे) भी विल्स ट्रॉफी के नाम पर आयोजित होती थी.
सचिन ने प्रस्ताव सिर्फ 1996 में ही नहीं ठुकराया. इस घटना के लगभग 14 साल बाद यूबी ग्रुप ने सचिन को उनके उत्पादों का प्रचार करने के लिए 20 करोड़ रुपये की डील का ऑफर दिया था, लेकिन सचिन ने इसे ठुकरा दिया. इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने सार्वजनिक रूप से सचिन की प्रशंसा की थी. तब के सामाजिक न्याय मंत्री शिवाजीराव मोघे ने सचिन के फैसले के लिए उन्हें पत्र लिखते हुए महान बल्लेबाज की तारीफ की थी.
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यहां तक कि बाद में जब कई क्रिकेटर यूबी कंपनी के "ओ-ला-ला-ला-ले-ओ" अभियान से जुड़े थे, तो तब भी सचिन ने इस कैंपेन से पूरी तरह दूरी बना ली थी. और कारण यह था कि कंपनी का मुख्य उत्पाद शराब था. सचिन ने अपने कई इंटरव्यू में इस बात का जिक्र किया था कि उनके पिता नहीं चाहते थे कि मैं शराब या सिगरेट से जुड़ी किसी कंपनी का प्रचार करूं. और सचिन तेंदुलकर आज तक पिता की इच्छा का अनुसरण कर रहे हैं, जिससे देश के बाकी युवा क्रिकेटर और बाकी लोग सीख ले सकते हैं.
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