भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने यो-यो टेस्ट को चयन के लिए एक बार फिर से अनिवार्य कर दिया है. भारतीय क्रिकेट में सबसे पहले फिटनेस टेस्ट की शुरुआत विराट कोहली (Virat Kohli) की कप्तानी में हुई थी. कोहली ने सामने से आगे बढ़ते हुए टीम (Team India) में फिटनेस में नए मानक स्थापित किए, खेल के प्रति अपने नए दृष्टिकोण के साथ कई मौजूदा और उभरते हुए खिलाड़ियों को प्रेरित किया. BCCI द्वारा एक बार फिर से फिटनेस टेस्ट (Yo Yo Test) अनिवार्य किए जाने के बाद, विराट कोहली का एक पुराना वीडियो सामने आया, जिसमें उन्हें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से यो-यो टेस्ट के बारे में बात करते हुए सुना जा सकता है.
बातचीत के दौरान, कोहली ने बताया कि भारतीय एथलीटों के लिए अपनी फिटनेस में सुधार करना कितना महत्वपूर्ण है और इस यात्रा में यो-यो टेस्ट जो भूमिका निभाता है.
कोहली ने पीएम मोदी से कहा था, “फिटनेस के लिहाज से यह टेस्ट काफी अहम था. अगर हम ग्लोबल फिटनेस लेवल की बात करें तो हमारा फिटनेस लेवल दूसरी टीमों की तुलना में अभी भी कम है और हम इसे उठाना चाहते हैं, जो एक बुनियादी जरूरत है.”
यह पूछे जाने पर कि क्या टीम के 'कप्तान' को भी इस तरह के कठिन टेस्ट से गुजरना पड़ता है, कोहली ने कहा कि वह इसके लिए जाने वाले पहले व्यक्ति हैं. अगर वह फेल हो जाते हैं, तो वह उनका भी चयन नहीं होगा.
उन्होंने कहा, "मैं वह हूं जो सबसे पहले दौड़ने के लिए जाता हूं और यह स्थिति है कि अगर मैं असफल रहता हूं तो मैं भी चयन के लिए उपलब्ध नहीं रहूंगा. टीम में उस संस्कृति को स्थापित करना महत्वपूर्ण है और इससे समग्र फिटनेस स्तर में सुधार होगा."
हाल के दिनों में मैदान में टीम इंडिया (Indian Team Fitness) के खराब प्रदर्शन के साथ-साथ बढ़ती चोट की परेशानियों के कारण, यह समझा जा सकता है कि BCCI चाहता है कि खिलाड़ी फिटनेस मानकों के मामले में सख्त हो जाए. वनडे वर्ल्ड कप (World Cup 2023) इस साल होने के साथ, बोर्ड ने कुछ मामलों पर अपना रुख सख्त कर लिया है और इस तरह के और फैसले लिए जा सकते हैं.
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